ज्योतिष डेस्क, अमरउजाला, नई दिल्ली
Published by: श्वेता सिंह
Updated Mon, 17 Jan 2022 12:11 PM IST
सार
Saturn Transit 2022: शनि देव मकर और कुंभ राशि के अधिपति हैं। जहां तुला राशि शनि की उच्च राशि है जबकि मेष इनकी नीच राशि मानी जाती है। शनि 29 अप्रैल को अपनी ही राशि कुंभ में गोचर करने जा रहे हैं और इस राशि के जातकों के लिए यह समय बहुत मुश्किल होगा।
Saturn Transit 2022: ज्योतिष शास्त्र में 9 ग्रहों का उल्लेख मिलता है। इन नव ग्रहों में शनि देव का बहुत ही खास स्थान है, शनि देवता को न्याय का देवता माना जाता है। शनि देव मनुष्य को उसके कर्म के अनुसार फल देते हैं इसलिए उन्हें आयु, दुख, रोग, पीड़ा, विज्ञान, तकनीकी, लोहा, खनिज तेल आदि का कारक माना जाता है। शनि देव मकर और कुंभ राशि के अधिपति हैं। जहां तुला राशि शनि की उच्च राशि है जबकि मेष इनकी नीच राशि मानी जाती है। शनि 29 अप्रैल को अपनी ही राशि कुंभ में गोचर करने जा रहे हैं और इस राशि के जातकों के लिए यह समय बहुत मुश्किल होगा। आइए जानते हैं किन राशि के जातकों को इस दौरान सावधानी बरतने की जरूरत होगी.
कुंभ राशि पर शुरू होगा दूसरा चरण
शनि के राशिपरिवर्तन करते ही कुंभ राशि के जातकों पर इसका दूसरा चरण आरंभ हो जाएगा। इस दौरान शनि की साढ़ेसाती अपने शिखर पर होगा और इसी कारण यह बहुत ही कष्टकारी साबित होगा। इसके सात ही कर्क और वृश्चिक राशि वालों पर शनि की ढैय्या शुरू हो जाएगी जो 12 जुलाई तक बनी रहेगी। 12 जुलाई से शनि वक्री अवस्था में चले जाएंगे। यानि वह पुनः मकर राशि में प्रवेश करेंगे और मकर राशि में आते ही मिथुन और तुला राशि के जातकों पर फिर से शनि की ढैय्या लग जाएगी। इस बार यह ढैय्या 17 जनवरी 2023 तक रहेगी।
साढ़ेसाती में होते हैं तीन चरण
शनि की साढ़ेसाती की दशा पूरे साढ़ेसात साल तक की होती है। ये तीन चरणों में विभाजित होती है। हर चरण की अवधि ढाई साल की होती है। पहले चरण को उदय चरण कहते हैं , दूसरे चरण को शिखर चरण कहते हैं और वहीं तीसरे चरण को अस्त चरण कहा जाता है। इन सभी में शनि साढ़ेसाती का दूसरा चरण सबसे ज्यादा कष्टदायी माना जाता है। हालांकि मान्यता है दूसरे चरण में जातक की भौतिक उन्नति तो होती है लेकिन वह मानसिक रूप से अशांत बना रहता है।
विस्तार
Saturn Transit 2022: ज्योतिष शास्त्र में 9 ग्रहों का उल्लेख मिलता है। इन नव ग्रहों में शनि देव का बहुत ही खास स्थान है, शनि देवता को न्याय का देवता माना जाता है। शनि देव मनुष्य को उसके कर्म के अनुसार फल देते हैं इसलिए उन्हें आयु, दुख, रोग, पीड़ा, विज्ञान, तकनीकी, लोहा, खनिज तेल आदि का कारक माना जाता है। शनि देव मकर और कुंभ राशि के अधिपति हैं। जहां तुला राशि शनि की उच्च राशि है जबकि मेष इनकी नीच राशि मानी जाती है। शनि 29 अप्रैल को अपनी ही राशि कुंभ में गोचर करने जा रहे हैं और इस राशि के जातकों के लिए यह समय बहुत मुश्किल होगा। आइए जानते हैं किन राशि के जातकों को इस दौरान सावधानी बरतने की जरूरत होगी.
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