वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वाशिंगटन
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Fri, 11 Mar 2022 07:42 PM IST
सार
जानकारों के मुताबिक रूस से सबसे ज्यादा तेल चीन खरीदता है। उसके बाद जर्मनी, नीदरलैंड्स और कुछ पूर्वी यूरोपीय देशों का नंबर है। रूस के इस निर्यात पर अभी तक ज्यादा फर्क नहीं पड़ा है। अमेरिका कनाडा, मेक्सिको, सऊदी अरब और रूस से तेल खरीदता रहा है। उसके बीच उसने रूस से आयात रोका है…
अमेरिका में प्राकृतिक गैस की कीमतों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है। गुरुवार को ये कीमत 4.318 डॉलर प्रति गैलन तक पहुंच गईं। आने वाले दिनों में इसमें वृद्धि का अनुमान लगाया गया है। यह अमेरिका सरकार के रूस से तेल और गैस आयात रोकने के फैसले का परिणाम है। अब इस फैसले की कीमत अमेरिकी जनता को अपनी जेब से चुकानी पड़ रही है।
विशेषज्ञों के मुताबिक वैसे तो अमेरिका ऊर्जा के मामले में आत्म निर्भर है, लेकिन रूस से अचानक तेल और गैस का आयात रोक देने का बाजार पर बहुत खराब असर हुआ है। ऊर्जा क्षेत्र की कंपनी रिस्टैड एनर्जी के ऑयल मार्केट विभाग के प्रमुख बयोर्नार तोंगहॉगेन ने एक टिप्पणी में लिखा है- ‘रूसी तेल और गैस के आयात पर रोक का असर वैसे तो सीमित ही रहना चाहिए, लेकिन रूसी और संभवतया दूसरे देशों के साथ तेल व्यापार करने में खड़ी हुई चुनौतियों के कारण कीमतें बढ़ रही हैं।’
तेल और गैस उत्पादन में गिरावट
अमेरिका में तेल और गैस का उत्पादन का 2019 में रिकॉर्ड बना था। लेकिन कोरोना महामारी के दौरान इसमें भारी गिरावट आई। कुछ समय पहले ही इसमें बढ़ोतरी शुरू हुई थी। लेकिन इसी बीच यूक्रेन पर रूस का हमला हो गया। बाजार विशेषज्ञों के मुताबिक अभी देश में जितने तेल और गैस को निकाला जा रहा है, वह 2019 से कम है। 2019 के स्तर तक पहुंचने में वक्त लगेगा।
ऑक्सिडेंटल पेट्रोलियम कंपनी के सीईओ विकी हॉलब ने एक समाचार एजेंसी को दिए इंटरव्यू में कहा है कि तेल उद्योग सप्लाई चेन में रुकावट और श्रमिकों की कमी की समस्या का सामना कर रहा है। ऐसे में तेज गति से उत्पादन बढ़ाना बहुत मुश्किल है। उधर रिपब्लिकन पार्टी के नेता मौजूदा हालात के लिए राष्ट्रपति जो बाइडन की अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने की नीति को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। बाइडन ने राष्ट्रपति बनने के बाद की-स्टोन एक्सएल पाइपलाइन के निर्माण को रोक दिया था। अब कहा जा रहा है कि अगर ये काम नहीं रुका होता, तो कनाडा से तेल और गैस को अमेरिका लाया जा सकता था।
सऊदी अरब और वेनेजुएला से तेल आयात की कोशिश
पर्यवेक्षकों का कहना है कि देश में तेल और गैस की महंगाई जो बाइडन प्रशासन के लिए बड़ी मुसीबत बन सकती है। इसीलिए राष्ट्रपति अब उन देशों से भी तेल खरीदने के लिए हाथ-पांव मार रहे हैं, जिन पर उनके प्रशासन ने अब तक नकेल कसने की कोशिश की थी। बाइडन प्रशासन ने सऊदी अरब और वेनेजुएला से नए तेल आयात की कोशिश की है, जबकि दोनों देशों के शासकों की अमेरिका आलोचक रहा है। बाइडन ने तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक से भी तेल उत्पादन बढ़ाने को कहा है, लेकिन उसमें भी अभी तक कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला है।
जानकारों के मुताबिक रूस से सबसे ज्यादा तेल चीन खरीदता है। उसके बाद जर्मनी, नीदरलैंड्स और कुछ पूर्वी यूरोपीय देशों का नंबर है। रूस के इस निर्यात पर अभी तक ज्यादा फर्क नहीं पड़ा है। अमेरिका कनाडा, मेक्सिको, सऊदी अरब और रूस से तेल खरीदता रहा है। उसके बीच उसने रूस से आयात रोका है। ये मात्रा भले अपेक्षाकृत कम हो, लेकिन उससे मांग की तुलना में तेल और गैस की आपूर्ति घट गई है। इसका नतीजा ऊर्जा महंगाई के रूप में सामने आया है।
विस्तार
अमेरिका में प्राकृतिक गैस की कीमतों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है। गुरुवार को ये कीमत 4.318 डॉलर प्रति गैलन तक पहुंच गईं। आने वाले दिनों में इसमें वृद्धि का अनुमान लगाया गया है। यह अमेरिका सरकार के रूस से तेल और गैस आयात रोकने के फैसले का परिणाम है। अब इस फैसले की कीमत अमेरिकी जनता को अपनी जेब से चुकानी पड़ रही है।
विशेषज्ञों के मुताबिक वैसे तो अमेरिका ऊर्जा के मामले में आत्म निर्भर है, लेकिन रूस से अचानक तेल और गैस का आयात रोक देने का बाजार पर बहुत खराब असर हुआ है। ऊर्जा क्षेत्र की कंपनी रिस्टैड एनर्जी के ऑयल मार्केट विभाग के प्रमुख बयोर्नार तोंगहॉगेन ने एक टिप्पणी में लिखा है- ‘रूसी तेल और गैस के आयात पर रोक का असर वैसे तो सीमित ही रहना चाहिए, लेकिन रूसी और संभवतया दूसरे देशों के साथ तेल व्यापार करने में खड़ी हुई चुनौतियों के कारण कीमतें बढ़ रही हैं।’
तेल और गैस उत्पादन में गिरावट
अमेरिका में तेल और गैस का उत्पादन का 2019 में रिकॉर्ड बना था। लेकिन कोरोना महामारी के दौरान इसमें भारी गिरावट आई। कुछ समय पहले ही इसमें बढ़ोतरी शुरू हुई थी। लेकिन इसी बीच यूक्रेन पर रूस का हमला हो गया। बाजार विशेषज्ञों के मुताबिक अभी देश में जितने तेल और गैस को निकाला जा रहा है, वह 2019 से कम है। 2019 के स्तर तक पहुंचने में वक्त लगेगा।
ऑक्सिडेंटल पेट्रोलियम कंपनी के सीईओ विकी हॉलब ने एक समाचार एजेंसी को दिए इंटरव्यू में कहा है कि तेल उद्योग सप्लाई चेन में रुकावट और श्रमिकों की कमी की समस्या का सामना कर रहा है। ऐसे में तेज गति से उत्पादन बढ़ाना बहुत मुश्किल है। उधर रिपब्लिकन पार्टी के नेता मौजूदा हालात के लिए राष्ट्रपति जो बाइडन की अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने की नीति को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। बाइडन ने राष्ट्रपति बनने के बाद की-स्टोन एक्सएल पाइपलाइन के निर्माण को रोक दिया था। अब कहा जा रहा है कि अगर ये काम नहीं रुका होता, तो कनाडा से तेल और गैस को अमेरिका लाया जा सकता था।
सऊदी अरब और वेनेजुएला से तेल आयात की कोशिश
पर्यवेक्षकों का कहना है कि देश में तेल और गैस की महंगाई जो बाइडन प्रशासन के लिए बड़ी मुसीबत बन सकती है। इसीलिए राष्ट्रपति अब उन देशों से भी तेल खरीदने के लिए हाथ-पांव मार रहे हैं, जिन पर उनके प्रशासन ने अब तक नकेल कसने की कोशिश की थी। बाइडन प्रशासन ने सऊदी अरब और वेनेजुएला से नए तेल आयात की कोशिश की है, जबकि दोनों देशों के शासकों की अमेरिका आलोचक रहा है। बाइडन ने तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक से भी तेल उत्पादन बढ़ाने को कहा है, लेकिन उसमें भी अभी तक कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला है।
जानकारों के मुताबिक रूस से सबसे ज्यादा तेल चीन खरीदता है। उसके बाद जर्मनी, नीदरलैंड्स और कुछ पूर्वी यूरोपीय देशों का नंबर है। रूस के इस निर्यात पर अभी तक ज्यादा फर्क नहीं पड़ा है। अमेरिका कनाडा, मेक्सिको, सऊदी अरब और रूस से तेल खरीदता रहा है। उसके बीच उसने रूस से आयात रोका है। ये मात्रा भले अपेक्षाकृत कम हो, लेकिन उससे मांग की तुलना में तेल और गैस की आपूर्ति घट गई है। इसका नतीजा ऊर्जा महंगाई के रूप में सामने आया है।
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