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Retail Inflation: महंगाई के मोर्चे पर फिर लग सकता है झटका, सीपीआई 16 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंचने का अनुमान

Retail Inflation: महंगाई के मोर्चे पर फिर लग सकता है झटका, सीपीआई 16 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंचने का अनुमान

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: दीपक चतुर्वेदी
Updated Mon, 11 Apr 2022 12:51 PM IST

सार

Inflation Latest News Update: मार्च महीने के खुदरा महंगाई के आंकड़े मंगलवार को जारी होने वाले हैं। इससे पहले 48 अर्थशास्त्रियों के बीच पोल में संकेत मिले कि सालाना आधार पर मार्च में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (सीपीआई) यानी खुदरा महंगाई 6.35 फीसदी की दर से बढ़ने का अनुमान है, जबकि इससे पिछले महीने फरवरी में खुदरा महंगाई 6.07 फीसदी रही थी।

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एक रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है मार्च में भारत की खुदरा महंगाई 16 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच सकती है। इसके 6.35 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है, जो कि नवंबर 2020 के बाद सर्वाधित आंकड़ा है। महंगाई का यह स्तर लगातार तीसरे महीने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के लक्षित दायरे से ऊपर होगा। 

48 अर्थशास्त्रियों के बीच पोल
एक पोल के जरिए अर्थशास्त्रियों ने यह अनुमान जताया है। यह पोल चार से आठ अप्रैल तक किया गया। इसमें 48 अर्थशास्त्रियों के बीच पोल में संकेत मिले कि सालाना आधार पर मार्च में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (सीपीआई) यानी खुदरा महंगाई 6.35 फीसदी की दर से बढ़ने का अनुमान है, जबकि इससे पिछले महीने फरवरी में खुदरा महंगाई 6.07 फीसदी रही थी। रिपोर्ट के अनुमसार, महंगाई बढ़ने की मुख्य वजह लगातार खाद्य वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी है। 

12 अप्रैल को जारी होंगे नतीजे
यहां बता दें कि खुदरा महंगाई के मार्च महीने के नतीजे 12 अप्रैल मंगलवार को जारी किए जाएंगे। इसके 6.06 फीसदी और 6.50 फीसदी के बीच रहने का अनुमान जताया गया है। कुल मिलाकर, खुदरा महंगाई आरबीआई के छह फीसदी के ऊपरी लक्ष्य से ज्यादा रहने का अनुमान जताया जा रहा है। एएनजेड के अर्थशास्त्री धीरज निम ने कहा है कि जैसा कि फरवरी महीने तक लगातार तीन महीने खाद्य वस्तुओं की कीमतों में गिरावट के बाद अब इनके दाम फिर से बढ़ने लगे हैं तो हमारा सालाना आधार पर खुदरा मंहगाई 6.30 फीसदी रह सकती है। 

रूस-यूक्रेन युद्ध का असर
गौरतलब है कि देश में महंगाई की बात करें तो इसमें तकरीबन आधी हिस्सेदारी वाले खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी का अनुमान जताया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एक महीने से भी ज्यादा समय से जारी रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध से सप्लाई चेन प्रभावित हुई है। इसका असर सीधे तौर पर खाद्य पदार्थों पर दिखाई दे सकता है। हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस के यूक्रेन पर हमले के चलते वैश्विक स्तर पर क्रूड ऑयल की कीमतों में बढ़ोतरी का पूरा असर अभी तक नहीं दिखा है, क्योंकि भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में देरी से बढ़ोतरी की गई थी।

रेपो दरों में इजाफे का समय बीता 
सीआईटीआई के वरिष्ठ अर्थशास्त्री समीरन चक्रवर्ती ने कहा कि वैश्विक स्तर पर जिंस की कीमतों में बढ़ोतरी मार्च महीने में महंगाई के आंकड़ों को बढ़ाने का काम करेंगे और यह आरबीआई के लक्ष्य से ऊपर रह सकती है। इस बीच रिपोर्ट में कहा गया कि आरबीआई ने बीते शुक्रवार को फिर से अपनी प्रमुख रेपो दर को 4.0 प्रतिशत के रिकॉर्ड निचले स्तर पर अपरिवर्तित रखा है। लेकिन विश्लेषकों ने इस पर चिंता व्यक्त करना शुरू कर दिया है। इसमें कहा गया है कि ब्याज दरों में इजाफा करने का सही समय पहले ही बीत चुका है।

विस्तार

एक रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है मार्च में भारत की खुदरा महंगाई 16 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच सकती है। इसके 6.35 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है, जो कि नवंबर 2020 के बाद सर्वाधित आंकड़ा है। महंगाई का यह स्तर लगातार तीसरे महीने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के लक्षित दायरे से ऊपर होगा। 

48 अर्थशास्त्रियों के बीच पोल

एक पोल के जरिए अर्थशास्त्रियों ने यह अनुमान जताया है। यह पोल चार से आठ अप्रैल तक किया गया। इसमें 48 अर्थशास्त्रियों के बीच पोल में संकेत मिले कि सालाना आधार पर मार्च में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (सीपीआई) यानी खुदरा महंगाई 6.35 फीसदी की दर से बढ़ने का अनुमान है, जबकि इससे पिछले महीने फरवरी में खुदरा महंगाई 6.07 फीसदी रही थी। रिपोर्ट के अनुमसार, महंगाई बढ़ने की मुख्य वजह लगातार खाद्य वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी है। 

12 अप्रैल को जारी होंगे नतीजे

यहां बता दें कि खुदरा महंगाई के मार्च महीने के नतीजे 12 अप्रैल मंगलवार को जारी किए जाएंगे। इसके 6.06 फीसदी और 6.50 फीसदी के बीच रहने का अनुमान जताया गया है। कुल मिलाकर, खुदरा महंगाई आरबीआई के छह फीसदी के ऊपरी लक्ष्य से ज्यादा रहने का अनुमान जताया जा रहा है। एएनजेड के अर्थशास्त्री धीरज निम ने कहा है कि जैसा कि फरवरी महीने तक लगातार तीन महीने खाद्य वस्तुओं की कीमतों में गिरावट के बाद अब इनके दाम फिर से बढ़ने लगे हैं तो हमारा सालाना आधार पर खुदरा मंहगाई 6.30 फीसदी रह सकती है। 

रूस-यूक्रेन युद्ध का असर

गौरतलब है कि देश में महंगाई की बात करें तो इसमें तकरीबन आधी हिस्सेदारी वाले खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी का अनुमान जताया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एक महीने से भी ज्यादा समय से जारी रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध से सप्लाई चेन प्रभावित हुई है। इसका असर सीधे तौर पर खाद्य पदार्थों पर दिखाई दे सकता है। हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस के यूक्रेन पर हमले के चलते वैश्विक स्तर पर क्रूड ऑयल की कीमतों में बढ़ोतरी का पूरा असर अभी तक नहीं दिखा है, क्योंकि भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में देरी से बढ़ोतरी की गई थी।

रेपो दरों में इजाफे का समय बीता 

सीआईटीआई के वरिष्ठ अर्थशास्त्री समीरन चक्रवर्ती ने कहा कि वैश्विक स्तर पर जिंस की कीमतों में बढ़ोतरी मार्च महीने में महंगाई के आंकड़ों को बढ़ाने का काम करेंगे और यह आरबीआई के लक्ष्य से ऊपर रह सकती है। इस बीच रिपोर्ट में कहा गया कि आरबीआई ने बीते शुक्रवार को फिर से अपनी प्रमुख रेपो दर को 4.0 प्रतिशत के रिकॉर्ड निचले स्तर पर अपरिवर्तित रखा है। लेकिन विश्लेषकों ने इस पर चिंता व्यक्त करना शुरू कर दिया है। इसमें कहा गया है कि ब्याज दरों में इजाफा करने का सही समय पहले ही बीत चुका है।

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