हिंदी सिनेमा के प्रसिद्ध निर्माता, निर्देशक, लेखक और अभिनेता ओपी रल्हन के सम्मान में मुंबई में ओपी रल्हन चौक का उद्घाटन किया गया। ओपी रल्हन का हिंदी सिनेमा में बहुत योगदान रहा। उन्होंने फिल्म उद्योग को फूल और पत्थर, तलाश, बंदे हाथ, हलचल, पापी जैसी फिल्में दी। इसी के साथ ओपी रल्हन ने 1960, 1970 और 1980 के दशक में कई हिट फिल्मों में अभिनय किया। ओपी रल्हन चौक का उद्धाटन दिग्गज अभिनेता धर्मेद्र के द्वारा किया गया। इस दौरान उद्घाटन समारोह में मनोरमा रल्हन, मुनेश रल्हन, अरमान रल्हान, राशी शाह, प्रदीप शाह और रूपल्ली पी शाह सहित पूरा रल्हन परिवार मौजूद था। इसके अलावा ज़ीनत अमान, प्रिया दत्त, बाबा सिद्दीकी, कलीम खान, साहिला चड्ढा, छाया मोमाया जैसी कई हस्तियां भी मौजूद रहीं।
निर्माता निर्देशक अभिनेता और लेखक रहे ओपी रल्हन के सम्मान और समृति के तौर पर ओपी रल्हन चौक का उद्घाटन किया गया। ओपी रल्हन ने अपने जीवन में कई अभिनेताओं के करियर को स्टारडम तक बढ़ाया है और अपने जीवनकाल में कई नई प्रतिभाओं को पेश किया है। धर्मेंद्र, अमिताभ बच्चन, जीनत अमान कुछ नाम भी इसमें शामिल हैं। वह अपनी फिल्मों के प्रति जुनूनी थे। उन्होंने ऐसी फिल्में बनाई जो सामाजिक संदेशों, महान कहानियों और बहुत ही अवंत ग्रेड के साथ थीं। उनके लिए, सेल्युलाइड अस्तित्व और अभिव्यक्ति का एक आयाम था।
अभिनेता धर्मेंद्र देओल ने चौक का अनावरण किया। सबसे पहले समारोह की शुरुआत पारंपरिक दीप प्रज्वलित करके की गई। इस दौरान अभिनेता धर्मेंद्र ने फिल्म फूल और पत्थर के दौरान अपने अनुभव और दिवंगत ओ.पी. के साथ उनकी यादें साझा की। शनिवार की सुबह उनके परिवार द्वारा श्रद्धांजलि में भाग लेने के लिए उनके प्रशंसकों वहां मौजूद रहे। अनावरण की शुरुआत अभिनेता धर्मेंद्र को एक शॉल भेंट के साथ हुई। इसके बाद वहीं उपस्थित लोगों ने अपने अनुभव और जादू के निर्माता की यादों को साझा किया। उनकी फिल्मोग्राफी दुनिया भर में देखी जाएगी और उनका कालातीत काम आसानी से सुंदर सिनेमा की दुनिया में ले जाता रहेगा।
धर्मेंद्र देओल ने ओपी रल्हन को एक बुद्धिमान और बौद्धिक निर्देशक के रूप में याद किया, जो एक बहुत ही हंसमुख और स्नेही सहयोगी थे। उन्होंने आगे कहा कि अगर केवल यादें ही जीवित रह सकती हैं, तो मैं अपने दोस्त को अपना दोस्त रल्हान कहूंगा और उससे कहूंगा कि चलो एक और फूल और पत्थर बनाते हैं। हमारी एक-दूसरे के लिए दोस्ती, प्यार और प्रशंसा थी। हम दोस्त थे जो आपस में झगड़ते और लड़ते थे, लेकिन एक-दूसरे के साथ एक ऐसा रिश्ता था जो हमेशा बना रहता था। इस अवसर पर चौक का नामकरण उनके नाम पर किया जा रहा है, अब उन्हें हमेशा बड़े प्यार और सम्मान के साथ याद किया जाएगा। यादें ही जिंदा होतीं हैं वो आज भी हमारे साथ हैं।