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Guru Pradosh Vrat: गुरु प्रदोष व्रत कल, जानें शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा-विधि

Guru Pradosh Vrat: गुरु प्रदोष व्रत कल, जानें शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा-विधि

ज्योतिष डेस्क, अमरउजाला, नई दिल्ली
Published by: श्वेता सिंह
Updated Wed, 15 Dec 2021 02:09 PM IST

सार

Guru Pradosh Vrat: प्रदोष व्रत पर विधि-विधान से भगवान शंकर की पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत कल यानी 16 दिसंबर को पड़ रहा है।

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शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी भगवान शिव भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है। इस दिन लोग सूर्योदय से सूर्यास्त तक उपवास रखते हैं और प्रदोष काल (सूर्यास्त से लगभग डेढ़ घंटे पहले और बाद में) के दौरान पूजा करने के बाद ही व्रत का समापन करते हैं।जब प्रदोष गुरुवार को पड़ता है तो इसे गुरु प्रदोष कहते हैं। प्रदोष व्रत पर विधि-विधान से भगवान शंकर की पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत कल यानी 16 दिसंबर को पड़ रहा है। आइए जानते हैं गुरु प्रदोष व्रत पूजा- विधि, महत्व, शुभ मुहूर्त और सामग्री की पूरी लिस्ट…

शुभ मुहूर्त 
त्रयोदशी प्रारम्भ – 16 दिसंबर , गुरुवार प्रातः 02:01 से  
त्रयोदशी समाप्त – 17 दिसंबर, शुक्रवार प्रातः 04:40 पर 
प्रदोष काल- 16 दिसंबर सायं 05:27 से  रात्रि 08:11 तक 

प्रदोष व्रत का महत्व
त्रयोदशी तिथि का अपना महत्व हैं। मान्यता है कि भगवान शिव ने असुरों को परास्त कर उनका विनाश किया था। प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सप्ताह के सातों दिन के प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व होता है। गुरु प्रदोष व्रत करने से मनोकामना पूरी होती है। मान्यता है यह व्रत करने से संतान पक्ष को लाभ प्राप्त होता है। 

प्रदोष व्रत पूजा- विधि

  • प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानआदि कर स्वच्छ वस्त्र धरण करें। 
  • इसके उपरांत पूजा घर को साफ कर गंगाजल से छिड़काव करें और दीप जलाएं। 
  • इसके बाद व्रत का संकल्प करें। 
  • भगवान शंकर की पूजा करते समय उनका जल से अभिषेक करें और पुष्प अर्पित करें। 
  • भगवान शंकर के साथ माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा भी करें।  
  • इसके बाद भगवान शिव को भोग लगाएं और फिर आरती करें। 
  • इसके बाद चंद्र दर्शन कर व्रत का पारण करें। 

 

विस्तार

शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी भगवान शिव भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है। इस दिन लोग सूर्योदय से सूर्यास्त तक उपवास रखते हैं और प्रदोष काल (सूर्यास्त से लगभग डेढ़ घंटे पहले और बाद में) के दौरान पूजा करने के बाद ही व्रत का समापन करते हैं।जब प्रदोष गुरुवार को पड़ता है तो इसे गुरु प्रदोष कहते हैं। प्रदोष व्रत पर विधि-विधान से भगवान शंकर की पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत कल यानी 16 दिसंबर को पड़ रहा है। आइए जानते हैं गुरु प्रदोष व्रत पूजा- विधि, महत्व, शुभ मुहूर्त और सामग्री की पूरी लिस्ट…

शुभ मुहूर्त 

त्रयोदशी प्रारम्भ – 16 दिसंबर , गुरुवार प्रातः 02:01 से  

त्रयोदशी समाप्त – 17 दिसंबर, शुक्रवार प्रातः 04:40 पर 

प्रदोष काल- 16 दिसंबर सायं 05:27 से  रात्रि 08:11 तक 

प्रदोष व्रत का महत्व

त्रयोदशी तिथि का अपना महत्व हैं। मान्यता है कि भगवान शिव ने असुरों को परास्त कर उनका विनाश किया था। प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सप्ताह के सातों दिन के प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व होता है। गुरु प्रदोष व्रत करने से मनोकामना पूरी होती है। मान्यता है यह व्रत करने से संतान पक्ष को लाभ प्राप्त होता है। 

प्रदोष व्रत पूजा- विधि

  • प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानआदि कर स्वच्छ वस्त्र धरण करें। 
  • इसके उपरांत पूजा घर को साफ कर गंगाजल से छिड़काव करें और दीप जलाएं। 
  • इसके बाद व्रत का संकल्प करें। 
  • भगवान शंकर की पूजा करते समय उनका जल से अभिषेक करें और पुष्प अर्पित करें। 
  • भगवान शंकर के साथ माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा भी करें।  
  • इसके बाद भगवान शिव को भोग लगाएं और फिर आरती करें। 
  • इसके बाद चंद्र दर्शन कर व्रत का पारण करें। 

 

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