न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली/मुंबई
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Mon, 03 Jan 2022 12:07 AM IST
सार
कोरोना के मामलों में भी दिल्ली और मुंबई ही टॉप पर हैं। जहां मुंबई में पिछले 24 घंटे में 8063 नए मामले मिले हैं तो वहीं दिल्ली में पिछले एक दिन में 3194 कोरोना के केस मिले हैं। भारत में इन दोनों शहरों में कोरोना की रफ्तार सबसे तेज है।
दिल्ली गेट स्थित संडे बुक बाजार में लगी भीड़।
– फोटो : विवेक निगम
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विस्तार
भारत में कोरोनावायरस के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी यह महामारी पूरे देश में फैलेगी, जिसके बाद भारत में तीसरी लहर आने का खतरा पैदा हो सकता है। अब तक 23 राज्यों में ओमिक्रॉन के मामले मिल चुके हैं और देश में कोरोना के रोजाना के केसों का आंकड़ा भी तीन गुना बढ़ चुका है। इस बीच मुंबई में रविवार को कोरोना के केसों में 8 हजार की बढ़ोतरी दर्ज की गई। वहीं, दिल्ली में यह आंकड़ा 3 हजार से ज्यादा रहा। ऐसे में यह जानना अहम है कि आखिर देश की राजधानी और आर्थिक राजधानी कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित क्यों हैं और आखिर कैसे दोनों शहरों में ओमिक्रॉन अपने पैर पसार रहा है।
क्या रहे हैं मुंबई-दिल्ली में ओमिक्रॉन फैलने की रफ्तार?
दिल्ली और मुंबई दोनों ही शहरों में हाल ही में नगरपालिका ने जीनोम सिक्वेंसिंग के नतीजे जारी किए थे। बृहनमुंबई महानगरपालिका ने सैंपल्स के एक समूह की जांच के बाद खुलासा किया था कि मुंबई में ओमिक्रॉन वैरिेएंट ने डेल्टा की जगह लेना शुरू कर दिया है। बीएमसी ने बताया था कि जो 282 सैंपल्स जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए भेजे गए थे, उनमें से 156 यानी 55 फीसदी में ओमिक्रॉन के पुष्टि हुई। इसके अलावा 89 केस (32 फीसदी) में अब भी डेल्टा का विकसित स्वरूप पाया गया था। 37 सैंपल्स (करीब 13 फीसदी) में डेल्टा वैरिएंट की पुष्टि हुई थी। अधिकारियों की मानें तो मुंबई में कोरोना के केस बढ़ने की वजह ओमिक्रॉन वैरिएंट ही है, जो कि तेजी से डेल्टा वैरिएंट को विस्थापित कर रहा है।
इसी तरह देश की 38 लैब्स के संगठन INSACOG के अधिकारियों ने खुलासा किया है कि दिल्ली में भी जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए भेजे गए कोरोना पॉजिटिव सैंपल्स में से 55 फीसदी में ओमिक्रॉन की पुष्टि हुई है। इस बात की पुष्टि ओमिक्रॉन और कोरोनावायरस संक्रमितों के ताजा आंकड़ों से भी होती है। जहां मुंबई में अब तक ओमिक्रॉन के कुल 328 मामले दर्ज हुए हैं, वहीं दिल्ली में फिलहाल इस वैरिएंट के 351 केस हैं। यानी इन दोनों शहर/केंद्र शासित प्रदेश में ही ओमिक्रॉन के केस बाकी के 21 राज्यों से ज्यादा हैं।
कोरोना के मामलों में भी दिल्ली और मुंबई ही टॉप पर हैं। जहां मुंबई में पिछले 24 घंटे में 8063 नए मामले मिले हैं तो वहीं दिल्ली में पिछले एक दिन में 3194 कोरोना के केस मिले हैं। भारत में इन दोनों शहरों में कोरोना की रफ्तार सबसे तेज है।
मुंबई और दिल्ली क्यों बन रहे ओमिक्रॉन के गढ़
गौरतलब है कि भारत में विदेश से आने वाले सबसे ज्यादा यात्री मुंबई और दिल्ली में ही उतरते हैं। इतना ही नहीं इन दोनों शहरों में आबादी का मूवमेंट देश के बाकी आंतरिक शहरों के मुकाबले काफी ज्यादा है। इसके अलावा दिल्ली और मुंबई का बेहतर टेस्टिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर भी ओमिक्रॉन और कोरोना के ज्यादा केस डिटेक्ट करने के लिए जिम्मेदार है।
मुंबई-दिल्ली के लिए आगे क्या?
राजधानी और आर्थिक राजधानी में जिस तेजी से ओमिक्रॉन फैल रहा है, उससे माना जा सकता है कि दोनों जगहों पर ही कम्युनिटी ट्रांसमिशन की शुरुआत हो चुकी है। मुंबई की बात करें तो चार अप्रैल को शहर में कोरोना के 11 हजार मामले मिले थे। महामारी के शुरू होने के बाद से ही यह शहर में एक दिन में मिले सबसे ज्यादा केस थे। मुंबई में कोरोना की रफ्तार को देखें तो पिछले पांच दिन में ही यहां चार गुना केस बढ़े हैं। अब दो जनवरी को शहर में आठ हजार केस मिल चुके हैं। ऐसे में माना जा सकता है कि अगले एक या दो दिन में मुंबई में संक्रमितों का पिछला रिकॉर्ड टूटना तय है।
इसी तरह दिल्ली में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 3194 नए केस मिले है, यह सात महीने में कोरोना के केसों में सबसे बड़ा उछाल है। राजधानी में आखिरी बार इससे ज्यादा मामले 21 मई को दर्ज हुए थे, जबकि दिल्ली में कोरोना का पीक 22 अप्रैल को आया था। तब यहां एक दिन में 26 हजार से ज्यादा संक्रमित पाए गए थे। अब पिछले पांच दिनों की बात की जाए तो राजधानी में कोरोना केस छह गुना बढ़े हैं। यही रफ्तार रही, तो दिल्ली में भी कोरोना के केस 8-12 दिन में दूसरी लहर के रिकॉर्ड तोड़ देंगे।