बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: दीपक चतुर्वेदी
Updated Mon, 17 Jan 2022 04:33 PM IST
सार
Union Budget 2022-23 Expectations: देश का आम बजट पेश होने में महज कुछ दिन बाकी रह गए हैं। आगामी एक फरवरी 2022 को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कोरोना से क्षतिग्रस्त अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए बजट पेश करेंगी। विभिन्न क्षेत्रों के साथ इस बार शिक्षा क्षेत्र भी बजट से काफी उम्मीदें लगाए बैठा है। ऐसी संभावना है कि इस बार केंद्र सरकार शिक्षा क्षेत्र के लिए अपने बजट में इजाफा कर सकती है।
देश का आम बजट पेश होने में महज कुछ दिन बाकी रह गए हैं। आगामी एक फरवरी 2022 को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कोरोना से क्षतिग्रस्त अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए बजट पेश करेंगी। विभिन्न क्षेत्रों के साथ इस बार शिक्षा क्षेत्र भी बजट से काफी उम्मीदें लगाए बैठा है। ऐसी संभावना है कि इस बार केंद्र सरकार शिक्षा क्षेत्र के लिए अपने बजट में इजाफा कर सकती है।
पिछले बजट में हुई थी 6 फीसदी कटौती
शिक्षा क्षेत्र को इस बार के बजट 2022 से खासी उम्मीदें हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार सरकार पिछले वित्त वर्ष की तरह शिक्षा क्षेत्र के बजट में पिछले साल की तरह कटौती नहीं करेगी, बल्कि इस ओर विशेष तौर पर ध्यान केंद्रित करेगी। गौरतलब है कि पिछले साल, सरकार ने वार्षिक बजट में शिक्षा के लिए अपने आवंटन में 6 फीसदी की कटौती की थी। इस कटौती के बाद बजट में शिक्षा क्षेत्र के लिए कुल 93,223 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। इसके पहले के वर्ष में शिक्षा के लिए 99,311 करोड़ रुपये का बजट दिया गया था।
इस साल बजट बढ़ाए जाने की उम्मीद
इस साल सरकार से शिक्षा पर बजट बढ़ाए जाने की उम्मीद की जा रही है। संभावना जताई जा रही है कि केंद्र सरकार बजट 2022-23 पेश करने के दौरान इस साल लगभग शिक्षा क्षेत्र के लिए आवंटन 10 फीसदी तक बढ़ा सकती है। गौरतलब है कि पिछले साल की गई कटौती के लिए कोरोना महामारी के दौरान उपजे हालातों को जिम्मेदार ठहराया गया था और कहा गया था कि यह कटौती स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र पर खर्च होगी। वहीं इस बार भी देश का आम बजट कोरोना के साये में पेश होने वाला है, लेकिन इस बार शिक्षा क्षेत्र के बजट में कटौती के बजाया बढ़ोतरी की उम्मीद जताई जा रही है।
इस बात का भी जताया जा रहा अनुमान
शिक्षा प्रणाली, विशेष रूप से सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली पर कोरोना महामारी का गहरा प्रभाव पड़ा है। ऐसे में निजी संगठनों द्वारा प्रदान की जाने वाली शिक्षा के पूरक स्रोतों पर सभी छात्रों की निर्भरता बढ़ गई है। गौरतलब है कि ऐसे स्रोतों को शैक्षिक सेवाओं के तहत वर्गीकृत किया गया है और इस पर 18 फीसदी माल और सेवा कर (जीएसटी) लगाया गया है। विशेषज्ञों ने यह अनुमान जताया है कि इस बार के बजट में वित्त मंत्री द्वारा इस श्रेणी के लिए जीएसटी दर को संशोधित करके 5 फीसदी करने का एलान किया जा सकता है।
विस्तार
देश का आम बजट पेश होने में महज कुछ दिन बाकी रह गए हैं। आगामी एक फरवरी 2022 को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कोरोना से क्षतिग्रस्त अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए बजट पेश करेंगी। विभिन्न क्षेत्रों के साथ इस बार शिक्षा क्षेत्र भी बजट से काफी उम्मीदें लगाए बैठा है। ऐसी संभावना है कि इस बार केंद्र सरकार शिक्षा क्षेत्र के लिए अपने बजट में इजाफा कर सकती है।
पिछले बजट में हुई थी 6 फीसदी कटौती
शिक्षा क्षेत्र को इस बार के बजट 2022 से खासी उम्मीदें हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार सरकार पिछले वित्त वर्ष की तरह शिक्षा क्षेत्र के बजट में पिछले साल की तरह कटौती नहीं करेगी, बल्कि इस ओर विशेष तौर पर ध्यान केंद्रित करेगी। गौरतलब है कि पिछले साल, सरकार ने वार्षिक बजट में शिक्षा के लिए अपने आवंटन में 6 फीसदी की कटौती की थी। इस कटौती के बाद बजट में शिक्षा क्षेत्र के लिए कुल 93,223 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। इसके पहले के वर्ष में शिक्षा के लिए 99,311 करोड़ रुपये का बजट दिया गया था।
इस साल बजट बढ़ाए जाने की उम्मीद
इस साल सरकार से शिक्षा पर बजट बढ़ाए जाने की उम्मीद की जा रही है। संभावना जताई जा रही है कि केंद्र सरकार बजट 2022-23 पेश करने के दौरान इस साल लगभग शिक्षा क्षेत्र के लिए आवंटन 10 फीसदी तक बढ़ा सकती है। गौरतलब है कि पिछले साल की गई कटौती के लिए कोरोना महामारी के दौरान उपजे हालातों को जिम्मेदार ठहराया गया था और कहा गया था कि यह कटौती स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र पर खर्च होगी। वहीं इस बार भी देश का आम बजट कोरोना के साये में पेश होने वाला है, लेकिन इस बार शिक्षा क्षेत्र के बजट में कटौती के बजाया बढ़ोतरी की उम्मीद जताई जा रही है।
इस बात का भी जताया जा रहा अनुमान
शिक्षा प्रणाली, विशेष रूप से सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली पर कोरोना महामारी का गहरा प्रभाव पड़ा है। ऐसे में निजी संगठनों द्वारा प्रदान की जाने वाली शिक्षा के पूरक स्रोतों पर सभी छात्रों की निर्भरता बढ़ गई है। गौरतलब है कि ऐसे स्रोतों को शैक्षिक सेवाओं के तहत वर्गीकृत किया गया है और इस पर 18 फीसदी माल और सेवा कर (जीएसटी) लगाया गया है। विशेषज्ञों ने यह अनुमान जताया है कि इस बार के बजट में वित्त मंत्री द्वारा इस श्रेणी के लिए जीएसटी दर को संशोधित करके 5 फीसदी करने का एलान किया जा सकता है।
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