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Budget 2022: कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित एमएसएमई क्षेत्र को बजट से बड़ी उम्मीदें, वित्त मंत्री इन मांगों को कर सकती हैं पूरा

Budget 2022: कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित एमएसएमई क्षेत्र को बजट से बड़ी उम्मीदें, वित्त मंत्री इन मांगों को कर सकती हैं पूरा

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: दीपक चतुर्वेदी
Updated Thu, 20 Jan 2022 04:47 PM IST

सार

Expectations From Union Budget 2022-23: देश का आम बजट पेश होने का समय नजदीक आता जा रहा है और विभिन्न सेक्टरों के साथ कोरोना की मार से बेहाल देश के एमएसएमई सेक्टर को वित्त मंत्री से बड़ी उम्मीदें हैं। इस सेक्टर ने जीएसटी दरों को सुगम और सरल बनाने के साथ ही एमएसएमई के लिए लाइसेंसिंग या ऑडिट के नियमों को आसान बनाए जाने की भी मांग की गई है।

 

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देश का आम बजट पेश होने का समय नजदीक आता जा रहा है और इसके साथ विभिन्न सेक्टर की उम्मीदें भी बढ़ती जा रही है। इस बीच कोरोना की मार से बेहाल देश के एमएसएमई सेक्टर को वित्त मंत्री से बड़ी उम्मीदें हैं। इस सेक्टर ने जीएसटी दरों को सुगम और सरल बनाने के साथ ही एमएसएमई के लिए लाइसेंसिंग या ऑडिट के नियमों को आसान बनाए जाने की भी मांग की गई है।

देश की जीडीपी में अहम योगदान
देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 30 फीसदी और देश के निर्यात में 48 फीसदी की बड़ी हिस्सेदारी रखने वाले एमएसएमई सेक्टर को कोरोना महामारी के प्रकोप ने बेहाल कर दिया है। यही वजह है कि आगामी वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में सरकार को एमएसएमई मंत्रालय के लिए भी अन्य बड़े मंत्रालयों की तरह बजटीय प्रावधान करना होगा। पिछले बजट यानी वित्त वर्ष 2021-22 में एमएसएमई सेक्टर के लिए 15,700 करोड़ का आवंटन किया गया था, इस बार उम्मीद जताई जा रही है कि इस साल आवंटन को और बढ़ाया जा सकता है। 

जीएसटी दरों को सुगम बनाना जरूरी
बजट में एमएसएमई को लाभ पहुंचाने के लिए कुछ बदलावों का प्रस्ताव है। इनमें स्टील स्क्रू, प्लास्टिक बिल्डर वेयर और प्रॉन फीड पर शुल्क बढ़ाना भी शामिल है। गौरतलब है कि एमएसएमई सेक्टर को कोरोना काल के दौरान उत्पादन में गिरावट, नौकरियों में कमी, राजस्व में कटौती जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ा है। ऐसे में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम सेक्टर की सबसे बड़ी मांग गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) की दरों पर एक बार फिर विचार करके इन्हें सरल और सुगम बनाने की है। 

एनबीएफसी पर देना होगा विशेष ध्यान
एनबीएफसी सेक्टर बैंकिंग उद्योग के एक पूरक के रूप में एनबीएफसी (नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी) की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उम्मीद है कि इस साल का बजट मंदी और गिरावट को देखते हुए अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने वाला होगा। इसमें एनबीएफसी पर विशेष ध्यान देने की संभावना है, जो एमएसएमई को फाइनेंस मुहैया कराती हैं। इसके साथ ही इस सेक्टर के लिए लोन देने की दरों को और कम किए जाने की मांग उठी है।

विस्तार

देश का आम बजट पेश होने का समय नजदीक आता जा रहा है और इसके साथ विभिन्न सेक्टर की उम्मीदें भी बढ़ती जा रही है। इस बीच कोरोना की मार से बेहाल देश के एमएसएमई सेक्टर को वित्त मंत्री से बड़ी उम्मीदें हैं। इस सेक्टर ने जीएसटी दरों को सुगम और सरल बनाने के साथ ही एमएसएमई के लिए लाइसेंसिंग या ऑडिट के नियमों को आसान बनाए जाने की भी मांग की गई है।

देश की जीडीपी में अहम योगदान

देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 30 फीसदी और देश के निर्यात में 48 फीसदी की बड़ी हिस्सेदारी रखने वाले एमएसएमई सेक्टर को कोरोना महामारी के प्रकोप ने बेहाल कर दिया है। यही वजह है कि आगामी वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में सरकार को एमएसएमई मंत्रालय के लिए भी अन्य बड़े मंत्रालयों की तरह बजटीय प्रावधान करना होगा। पिछले बजट यानी वित्त वर्ष 2021-22 में एमएसएमई सेक्टर के लिए 15,700 करोड़ का आवंटन किया गया था, इस बार उम्मीद जताई जा रही है कि इस साल आवंटन को और बढ़ाया जा सकता है। 

जीएसटी दरों को सुगम बनाना जरूरी

बजट में एमएसएमई को लाभ पहुंचाने के लिए कुछ बदलावों का प्रस्ताव है। इनमें स्टील स्क्रू, प्लास्टिक बिल्डर वेयर और प्रॉन फीड पर शुल्क बढ़ाना भी शामिल है। गौरतलब है कि एमएसएमई सेक्टर को कोरोना काल के दौरान उत्पादन में गिरावट, नौकरियों में कमी, राजस्व में कटौती जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ा है। ऐसे में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम सेक्टर की सबसे बड़ी मांग गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) की दरों पर एक बार फिर विचार करके इन्हें सरल और सुगम बनाने की है। 

एनबीएफसी पर देना होगा विशेष ध्यान

एनबीएफसी सेक्टर बैंकिंग उद्योग के एक पूरक के रूप में एनबीएफसी (नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी) की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उम्मीद है कि इस साल का बजट मंदी और गिरावट को देखते हुए अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने वाला होगा। इसमें एनबीएफसी पर विशेष ध्यान देने की संभावना है, जो एमएसएमई को फाइनेंस मुहैया कराती हैं। इसके साथ ही इस सेक्टर के लिए लोन देने की दरों को और कम किए जाने की मांग उठी है।

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