न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: संजीव कुमार झा
Updated Mon, 07 Feb 2022 12:20 AM IST
सार
सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया गया फैसला हर उस बहु के लिए सबक है जो कि अपने बुजुर्ग सास-ससुर को तंग करती है।
सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसा फैसला सुनाया जिसके तहत एक बहु को उसके बुजुर्ग ससुर का घर खाली करने का आदेश दिया गया। यह मामला है उत्तराखंड के हरिद्वार का जहां एक बुजुर्ग ससुर ने अपनी बहू की प्रतारणा से तंग आकर घर एसडीएम के समक्ष अर्जी लगाई थी जिसमें उन्होंने बहू पर गंभीर आरोप लगाते हुए अपने घर से बाहर निकालने की मांग की थी।
इसके बाद एसडीएम ने अर्जी पर संज्ञान लेते हुए बहू को घर खाली करने का आदेश दिया लेकिन बहू इस मामले को लेकर हाईकोर्ट पहुंच गई जब यहां बात नहीं बनी तो वह फिर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई। लेकिन दोनों ही अदालतों ने माता पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण पोषण और कल्याण कानून के तहत बहू को घर खाली करने का दिया गया और आदेश को रद्द नहीं किया।
दूसरे फ्लैट में रहने का विकल्प
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान ससुर की ओर से बहू को अलग दूसरे फ्लैट में रहने का विकल्प दिया था। कोर्ट जिससे सहमत हो गया और बहू को आदेश दिया कि वह अपनी बेटी के साथ दूसरे फ्लैट में शिफ्ट हो जाए। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह अब से सासुर की जिंदगी में दखलअंदाजी नहीं करेगी। हालांकि अदालत ने बहू को यह भरोसा दिलाया कि उसके फ्लैट में फिलहाल कोई तीसरा पक्ष अधिकार नहीं जताएगा।
विस्तार
सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसा फैसला सुनाया जिसके तहत एक बहु को उसके बुजुर्ग ससुर का घर खाली करने का आदेश दिया गया। यह मामला है उत्तराखंड के हरिद्वार का जहां एक बुजुर्ग ससुर ने अपनी बहू की प्रतारणा से तंग आकर घर एसडीएम के समक्ष अर्जी लगाई थी जिसमें उन्होंने बहू पर गंभीर आरोप लगाते हुए अपने घर से बाहर निकालने की मांग की थी।
इसके बाद एसडीएम ने अर्जी पर संज्ञान लेते हुए बहू को घर खाली करने का आदेश दिया लेकिन बहू इस मामले को लेकर हाईकोर्ट पहुंच गई जब यहां बात नहीं बनी तो वह फिर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई। लेकिन दोनों ही अदालतों ने माता पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण पोषण और कल्याण कानून के तहत बहू को घर खाली करने का दिया गया और आदेश को रद्द नहीं किया।
दूसरे फ्लैट में रहने का विकल्प
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान ससुर की ओर से बहू को अलग दूसरे फ्लैट में रहने का विकल्प दिया था। कोर्ट जिससे सहमत हो गया और बहू को आदेश दिया कि वह अपनी बेटी के साथ दूसरे फ्लैट में शिफ्ट हो जाए। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह अब से सासुर की जिंदगी में दखलअंदाजी नहीं करेगी। हालांकि अदालत ने बहू को यह भरोसा दिलाया कि उसके फ्लैट में फिलहाल कोई तीसरा पक्ष अधिकार नहीं जताएगा।
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