न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अभिषेक दीक्षित
Updated Sat, 18 Dec 2021 08:57 PM IST
सार
कोर्ट ने कहा कि बीसीआई के समक्ष 1,246 शिकायतें लंबित हैं। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए यह उचित और आवश्यक है कि उक्त शिकायतों के निपटान के लिए निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार एक तंत्र खोजा जाए।
सुप्रीम कोर्ट (फाइल)
– फोटो : Social Media
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बार काउंसिल आफ इंडिया (बीसीआइ) राज्य बार काउंसिल से अधिवक्ता अधिनियम की धारा 35 के तहत मिली शिकायतों का एक साल के भीतर निपटारा करने लिए कहे। कोर्ट ने बीसीआइ को हस्तांतरित शिकायतों का भी निपटारा करने को कहा है। इसके लिए कोर्ट ने बीसीआई के समक्ष शिकायत मिलने की तारीख से एक साल का समय दिया है। जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि केवल असाधारण मामलों में वैध कारणों के साथ ही राज्यों से शिकायतों को बीसीआइ को भेजा जाना चाहिए।
पीठ ने कहा कि हम बीसीआई को हस्तांतरित की गई शिकायतों का त्वरित निपटारा करने का निर्देश देते हैं। जिनका विवरण यहां दिया गया है, उनके निपटान में एक साल से अधिक का समय नहीं लगना चाहिए। इसके लिए बार काउंसिल आफ इंडिया की अनुशासनात्मक समिति भी सर्किट सुनवाई कर सकती है।
शीर्ष कोर्ट ने कहा कि अधिवक्ता अधिनियम के तहत कानूनी पेशे की अखंडता की रक्षा करना बीसीआइ और राज्य बार काउंसिल का कर्तव्य है। शुक्रवार को दिए अपने फैसले में पीठ ने कहा कि बीसीआइ और संबंधित राज्य बार काउंसिल का कर्तव्य है कि वे कानूनी व्यवस्था की श्रेष्ठता हर कीमत पर सुनिश्चित करें। पीठ ने कहा कि अधिवक्ता अधिनियम की धाराओं 35 और 36 बी के तहत बार के सदस्यों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की शक्तियां प्रदान की गई हैं। धारा 35 या धारा 36 के तहत प्राप्त शिकायत का उसकी प्राप्ति या बार काउंसिल आफ इंडिया में ऐसी कार्यवाही की तिथि से एक वर्ष की अवधि के भीतर निपटारा करने का आदेश है।
कोर्ट ने कहा कि बीसीआई के समक्ष 1,246 शिकायतें लंबित हैं। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए यह उचित और आवश्यक है कि उक्त शिकायतों के निपटान के लिए निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार एक तंत्र खोजा जाए।
विस्तार
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बार काउंसिल आफ इंडिया (बीसीआइ) राज्य बार काउंसिल से अधिवक्ता अधिनियम की धारा 35 के तहत मिली शिकायतों का एक साल के भीतर निपटारा करने लिए कहे। कोर्ट ने बीसीआइ को हस्तांतरित शिकायतों का भी निपटारा करने को कहा है। इसके लिए कोर्ट ने बीसीआई के समक्ष शिकायत मिलने की तारीख से एक साल का समय दिया है। जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि केवल असाधारण मामलों में वैध कारणों के साथ ही राज्यों से शिकायतों को बीसीआइ को भेजा जाना चाहिए।
पीठ ने कहा कि हम बीसीआई को हस्तांतरित की गई शिकायतों का त्वरित निपटारा करने का निर्देश देते हैं। जिनका विवरण यहां दिया गया है, उनके निपटान में एक साल से अधिक का समय नहीं लगना चाहिए। इसके लिए बार काउंसिल आफ इंडिया की अनुशासनात्मक समिति भी सर्किट सुनवाई कर सकती है।
शीर्ष कोर्ट ने कहा कि अधिवक्ता अधिनियम के तहत कानूनी पेशे की अखंडता की रक्षा करना बीसीआइ और राज्य बार काउंसिल का कर्तव्य है। शुक्रवार को दिए अपने फैसले में पीठ ने कहा कि बीसीआइ और संबंधित राज्य बार काउंसिल का कर्तव्य है कि वे कानूनी व्यवस्था की श्रेष्ठता हर कीमत पर सुनिश्चित करें। पीठ ने कहा कि अधिवक्ता अधिनियम की धाराओं 35 और 36 बी के तहत बार के सदस्यों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की शक्तियां प्रदान की गई हैं। धारा 35 या धारा 36 के तहत प्राप्त शिकायत का उसकी प्राप्ति या बार काउंसिल आफ इंडिया में ऐसी कार्यवाही की तिथि से एक वर्ष की अवधि के भीतर निपटारा करने का आदेश है।
कोर्ट ने कहा कि बीसीआई के समक्ष 1,246 शिकायतें लंबित हैं। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए यह उचित और आवश्यक है कि उक्त शिकायतों के निपटान के लिए निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार एक तंत्र खोजा जाए।
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