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प्रधानमंत्री ने कहा: केंद्र सरकार ने सात सालों में कृषि क्षेत्र में किए कई सुधार, रासायनिक प्रयोग छोड़कर कुदरती खेती पर ध्यान दें किसान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि केंद्र सरकार ने पिछले सात वर्षों में कृषि क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण सुधार किए हैं। उन्होंने किसानों से अपील की कि वह रासायनिक प्रयोगशाला के प्रयोग से निकलकर प्राकृतिक खेती पर ध्यान दें। पर्यावरण और प्रकृति को लेकर सजग प्रधानमंत्री ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का संकल्प लिया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात में ‘कुदरती एवं शून्य बजट वाली खेती’ को लेकर एक सम्मेलन को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय कृषि क्षेत्र में तकनीक के सहारे आधुनिकीकरण के लिए उनकी सरकार ने बीज से लेकर बाजार मुहैया कराने तक पिछले सात सालों में कई अहम सुधार किए हैं।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार प्रकृति को बचाने के लिए रासायनिक खेती को छोड़कर कुदरती खेती को पुनर्जीवित कर रही है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी खेती के रसायन प्रयोगशाला से निकालकर कुदरत की प्रयोगशाला से जोड़ना होगा। मोदी ने कहा कि जब हम कुदरती प्रयोगशाला की बात करते हैं तो यह पूरी तरह विज्ञान पर आधारित है। उन्होंने कहा कि खेती के नए तौर तरीकों और सुधारों से किसानों को सकारात्मक बदलाव लाने में मदद मिलेगी।

प्रधानमंत्री ने किसानों के कल्याण के लिए लागू की गई योजनाओं का जिक्र करते हुए कहा, मिट्टी की जांच से बीज तक, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना से न्यूनतम समर्थन मूल्य को लागत का डेढ़ गुना करने, मजबूत सिंचाई नेटवर्क से लेकर किसान रेल तक सरकार ने कई कदम उठाए हैं। प्राकृतिक एवं शून्य बजट खेती पर तीन दिवसीय सम्मेलन बृहस्पतिवार को संपन्न हो गया।

वेद पुराणों में भी कृषि पर शोध
प्रधानमंत्री ने कहा, यहां कृषि से जुड़े कई विद्वान उपस्थित हैं, जिन्होंने इस विषय पर व्यापक शोध किया है। आप जानते ही हैं कि हमारे यहां ऋगवेद और अथर्ववेद से लेकर पुराणों तक, कृषि-पाराशर और काश्यपीय कृषि सूक्त जैसे प्राचीन ग्रन्थों तक और दक्षिण में तमिलनाडु के संत तिरुवल्लुवर से लेकर उत्तर में कृषक कवि घाघ तक, हमारी कृषि पर कितनी बारीकियों से शोध हुआ है।

प्राकृतिक खेती को जन आंदोलन बनाएं
प्रधानमंत्री ने कहा, प्राकृतिक खेती को जनता का आंदोलन बनाने की जरूरत है। उन्होंने इस आंदोलन में सभी राज्य सरकारों और किसानों से हिस्सा लेने की अपील की। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा, आज कुछ किसानों को लगता है कि रासायनिक खादों के बिना खेती नहीं हो सकती, लेकिन यह पूरी तरह असत्य है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती के बारे में हमें अपनी प्राचीन परंपराओं से सीखने की जरूरत है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक खेती से देश के उन 80 फीसदी छोटे किसानों को फायदा होगा, जिनके पास दो एकड़ से कम जमीन है। यदि वे किसान प्राकृतिक खेती करते हैं तो उन्हें इसका जबर्दस्त लाभ होगा और रासायनिक खाद पर कम पैसे खर्च करने पड़ेंगे। प्रधानमंत्री  ने महात्मा गांधी का जिक्र करते हुए कहा, हमें गांधी जी के शब्द याद रखने चाहिए। उन्होंने कहा था, जहां शोषण होगा, वहां पोषण नहीं होगा। इसलिए हम अन्नदाताओं के ऊपर से दशकों पुराना भार हटाना चाहते हैं।

स्वच्छ पर्यावरण के लिए  पराली जलाना खत्म हो
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, हमें खेती की मूल पद्धति को फिर से सीखना पड़ेगा और उसे प्रौद्योगिकी व नवाचार से जोड़ना होगा। इसके साथ ही उन्होंने पर्यावरण में प्रदूषण की समस्या को खत्म करने पर जोर देते हुए किसानों से पराली न जलाने की भी अपील की। उन्होंने खेती को रसायन मुक्त बनाने के लिए कीटनाशकों के कम प्रयोग पर जोर दिया।

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