न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शिव शरण शुक्ला
Updated Mon, 21 Feb 2022 11:17 PM IST
सार
सामूहिक दुष्कर्म मामले में जेल में बंद गायत्री प्रजापति की एफआईआर निरस्त करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है। कोर्ट ने प्रजापति के वकील से सवाल किया कि आखिर रिट (अनुच्छेद-32) के जरिये मुकदमे को निरस्त करने की मांग कैसे की जा सकती है।
गायत्री प्रसाद प्रजापति
– फोटो : गूगल
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विस्तार
सामूहिक दुष्कर्म मामले में जेल में बंद उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री और सपा नेता गायत्री प्रजापति की एफआईआर निरस्त करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई है। शीर्ष अदालत ने कहा कि रिट याचिका के जरिये इस तरह की मांग को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
जस्टिस एमआर शाह की अध्यक्षता वाली पीठ ने प्रजापति के वकील से सवाल किया कि आखिर रिट (अनुच्छेद-32) के जरिये मुकदमे को निरस्त करने की मांग कैसे की जा सकती है। वकील ने जवाब में कहा कि याचिका कुछ समय पहले दायर की गई थी, अब यह औचित्यहीन हो गई है। वकील ने याचिका को वापस लेने की अनुमति मांगी। पीठ ने कहा कि यह सही है कि याचिका का अब कोई औचित्य नहीं है, लेकिन सवाल यह है कि जब हाईकोर्ट के पास धारा-482 के तहत एफआईआर निरस्त करने की याचिका पर विचार करने का अधिकार है, तो रिट के माध्यम से सीधे सुप्रीम कोर्ट का रुख क्यों किया गया। यह कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है। वकील के अनुरोध के बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिका वापस लेने को इजाजत दे दी।
झारखंड से जुड़ी याचिका भी दाखिल
वहीं, एक अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई। इसमें रांची जिले के अंगारा ब्लाक में पत्थरों के खनन की लीज देने में खनन विभाग और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के बीच कथित गठजोड़ की सीबीआइ से जांच कराने की मांग की गई है। याचिका जय प्रकाश जनता दल (जेपीजेडी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और गैरसरकारी संगठन (एनजीओ) नव आकांक्षा के अध्यक्ष पंकज कुमार की ओर से दाखिल की गई है।