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सीजेआई ने सुनाई खरी-खरी: सीबीआई की विश्वसनीयता सवालों के घेरे में, पुलिस के पास जाने से हिचकिचाते हैं लोग 

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना ने शुक्रवार को सीबीआई और पुलिस को लेकर खरी-खरी बात कही। उन्होंने कहा कि सीबीआई की विश्वसनीयता पर कुछ वर्षों के दौरान आंच आई है। वहीं पुलिस के संबंध में कहा कि भ्रष्टाचार के कारण इसकी छवि प्रभावित हुई है और लोग पुलिस के पास जाने से कतराने लगे हैं। सीजेआई रमना सीबीआई के 19वें डीपी कोहली मेमोरियल लेक्चर में “लोकतंत्र: भूमिका और जांच एजेंसियों की जिम्मेदारियां” पर बोल रहे थे। 

सीबीआई की विश्वसनीयता सार्वजनिक जांच के दायरे में

मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना ने कहा कि सीबीआई की विश्वसनीयता समय बीतने के साथ सार्वजनिक जांच के दायरे में आ गई है क्योंकि इसके कार्यों और निष्क्रियता ने कुछ मामलों में सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने विभिन्न जांच एजेंसियों को एक छत के नीचे लाने के लिए एक स्वतंत्र जांच संस्था बनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, जब सीबीआई की बात आती है, तो अपने शुरुआती दौर में इस पर जनता का अत्यधिक विश्वास था। वास्तव में न्यायपालिका सीबीआई को जांच सौंपने के अनुरोधों से भर जाती थी, क्योंकि यह निष्पक्षता और स्वतंत्रता का प्रतीक थी।

जस्टिस रमना ने कहा, जब भी नागरिकों ने अपनी राज्य पुलिस के कौशल और निष्पक्षता पर संदेह किया, उन्होंने सीबीआई से जांच की मांग की, क्योंकि वे न्याय चाहते थे। लेकिन समय बीतने के साथ अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों की तरह सीबीआई भी गहरी सार्वजनिक जांच के दायरे में आ गई है। इसके कार्यों और निष्क्रियता ने कुछ मामलों में इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि विभिन्न एजेंसियों जैसे सीबीआई, एसएफआईओ, ईडी, आदि को एक ही छत के नीचे लाने के लिए एक स्वतंत्र संस्थान के गठन की जरूरत है। 

उन्होंने कहा कि इस संगठन के प्रमुख को विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ प्रतिनिधि द्वारा सहायता प्रदान की जा सकती है। यह संगठन कार्यवाही की बहुलता को समाप्त कर देगा। इन दिनों एक ही मामले की कई एजेंसियों द्वारा जांच की जाती है, जिससे अक्सर सबूत कमजोर पड़ जाते हैं, बयानों में विरोधाभास, बेगुनाही साबित करने में लंबा समय लगता है। यह संस्थानों को उत्पीड़न के हथियार के रूप में आरोपित होने से भी बचाएगा। 

पुलिस से निराश हैं लोग, मदद मांगने से हिचकिचाते हैं

वहीं सीजेआई एन वी रमना ने कहा कि लोग निराशा के समय पुलिस से संपर्क करने से हिचकिचाते हैं क्योंकि भ्रष्टाचार, ज्यादतियों, निष्पक्षता की कमी और राजनीतिक वर्ग के साथ घनिष्ठता के कारण इसकी छवि धूमिल हो रही है। लोग निराशा के समय पुलिस से संपर्क करने से हिचकिचाते हैं। भ्रष्टाचार, पुलिस ज्यादतियों, निष्पक्षता की कमी और राजनीतिक वर्ग के साथ घनिष्ठता के आरोपों से पुलिस संस्था की छवि खेदजनक रूप से धूमिल होती है।

अक्सर पुलिस अधिकारी हमसे शिकायत करते हैं कि शासन में बदलाव के बाद उन्हें परेशान किया जा रहा है। जब आप सत्ता से प्यार करने लग जाते हैं तो आपको परिणाम भी भुगतने होते हैं। 

सीजेआई ने कहा कि अक्सर सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाएं मान्यता और प्रशंसा की उम्मीद में इस प्रणाली में प्रवेश करती हैं। लेकिन, अगर संक्रमण का खतरा बड़ा हो जाता है, तो ईमानदार अधिकारियों को अपनी शपथ के साथ डटे रहना मुश्किल लगता है। सच्चाई यह है कि अन्य संस्थाएं कितनी भी कमजोर और असहयोगी क्यों न हों, यदि आप सभी अपनी नैतिकता के साथ खड़े हों और सत्यनिष्ठा के साथ खड़े हों, तो कुछ भी आपके कर्तव्य के रास्ते में नहीं आ सकता। वास्तव में सभी संस्थानों के लिए यही सच है। यहीं पर नेतृत्व की भूमिका आती है। संस्था उतनी ही अच्छी या उतनी ही बुरी होती है, जितना उसका नेतृत्व। उन्होंने कहा कि कुछ ईमानदार अधिकारी व्यवस्था के भीतर क्रांति ला सकते हैं। हम या तो प्रवाह के साथ जा सकते हैं या हम एक आदर्श बन सकते हैं। चुनाव हमारा है। 

लोकतंत्र हमारे जैसे बहुलवादी समाज के लिए सबसे उपयुक्त 

यह रेखांकित करते हुए कि लोकतंत्र भारत जैसे देश के लिए सबसे उपयुक्त है, सीजेआई एनवी रमना ने कहा कि तानाशाही शासन के माध्यम से देश की समृद्ध विविधता को कायम नहीं रखा जा सकता है। लोकतंत्र के साथ हमारे अब तक के अनुभव को देखते हुए यह संदेह से परे साबित होता है कि लोकतंत्र हमारे जैसे बहुलवादी समाज के लिए सबसे उपयुक्त है।

उन्होंने कहा, तानाशाही शासन के माध्यम से हमारी समृद्ध विविधता को कायम नहीं रखा जा सकता है। लोकतंत्र के माध्यम से ही हमारी समृद्ध संस्कृति, विरासत, विविधता और बहुलवाद को कायम रखा और मजबूत किया जा सकता है। लोकतंत्र को मजबूत करने में हमारा निहित स्वार्थ है, क्योंकि हम अनिवार्य रूप से जीने के लोकतांत्रिक तरीके में विश्वास करते हैं। हम भारतीय अपनी स्वतंत्रता से प्यार करते हैं। जब उनसे आजाद छीनने की कोशिश की गई तो हमारे सतर्क नागरिकों ने निरंकुश लोगों से सत्ता वापस लेने में संकोच नहीं किया।

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