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World Cup Balls: कतर में 'अल-रिहला' बॉल से होंगे मैच, जानें 92 साल में कितनी बार बदली गेंद, क्या हुए बदलाव?

कतर में 21 नवंबर से 18 दिसंबर तक दुनिया का सबसे बड़ा फुटबॉल टूर्नामेंट वर्ल्ड कप का आयोजन होना है। इसके लिए एडिडास कंपनी ने नई गेंद का अनावरण कर दिया है। एडिडास ने गेंद का नाम ‘अल रिहला’ रखा है। अरबी भाषा के इस शब्द का अर्थ है यात्रा या सफर होता है। 1930 से हो रहे वर्ल्ड कप में अब तक 21 गेंदों का इस्तेमाल हो चुका है। एडिडास 1970 वर्ल्ड कप से गेंद बना रही है। यह उसकी 14वीं गेंद है।

आइए अब तक इस्तेमाल हुए गेंद के बारे में जानते हैं:

1930 (टिएंटो/टी-मॉडल): उरुग्वे ने टूर्नामेंट की मेजबानी की थी। तब टी-मॉडल गेंद का इस्तेमाल हुआ था। फाइनल में अर्जेंटीना की टीम इस गेंद से सहमत नहीं थी। इस पर फीफा ने पहले हाफ में अर्जेंटीना द्वारा लाए गए टिएंटो बॉल और दूसरे हाफ में उरुग्वे के टी-मॉडल गेंद का इस्तेमाल किया गया था। उरुग्वे की गेंद ज्यादा भारी थी। गेंद में 13 पैनल थे। एक जगह सिलाई का इस्तेमाल किया गया था।

1934 (फेडरेल 102): इटली की मेजबानी में फेडरेल 102 बॉल से मैचों का आयोजन कराया गया था। यह 1930 वर्ल्ड कप में इस्तेमाल हुए गेंद की तरह ही था।

1938 (एलेन): फ्रांस की मेजबानी में एलेन गेंद से मैच हुए थे। इस बार सिलाई वाले जगह पर तीन पैनल थे। अन्य स्थानों पर दो पैनलों का ही इस्तेमाल किया गया था।

1950 (सुपर डुपलो): ब्राजील ने पहली बार वर्ल्ड कप की मेजबानी की थी। इस पर सुपर डुपलो गेंद से मैच हुए थे। पहली बार ऐसी गेंद का इस्तेमाल किया गया जिसमें हवा न आ सकती थी और न ही जा सकती थी। जितनी हवा गेंद में थी उतनी बरकरार रहती थी।

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