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सरकार की शाहखर्ची पर सवाल: इस हद तक कर्ज में कैसे डूब गया है अमेरिका?

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वाशिंगटन
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Thu, 03 Feb 2022 04:09 PM IST

सार

सीएनएन के मुताबिक बीते दिसंबर में उसकी तरफ से कराए गए एक जनमत सर्वेक्षण में लगभग 67 फीसदी अमेरिकियों ने कहा था कि सरकार की शाहखर्ची देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी समस्या बन गई है। फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जिरोम पॉवेल ने भी हाल में यह माना कि मौजूदा राजकोषीय दिशा टिकाऊ नहीं हो सकती…

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन
– फोटो : पीटीआई (फाइल)

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अमेरिका में सरकारी कर्ज में अभूतपूर्व बढ़ोतरी के बाद अर्थशास्त्रियों के बीच इसके संभावित परिणामों को लेकर बहस छिड़ गई है। इस हफ्ते जारी आंकड़ों के मुताबिक अमेरिकी सरकार पर कुल कर्ज 30 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा हो गया है। यह अमेरिका के सालाना जीडीपी के लगभग 125 फीसदी के बराबर है। कोरोना काल में अमेरिका सरकार ने बड़ी मात्रा में कर्ज लिया। नतीजा यह है कि 2019 के बाद उस पर मौजूद कर्ज में सात ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा बढ़ोतरी हो गई है।

इन्वेस्टमेंट बैंक जेपी मॉर्गन के चीफ ग्लोबल स्ट्रेटेजिस्ट डेविट केली ने इस बारे में कहा- ‘यह छोटी अवधि में पैदा हुआ संकट नहीं है। लेकिन इसका मतलब यह जरूर है कि लंबी अवधि में हम अपेक्षाकृत अधिक गरीब हो जाएंगे।’ अमेरिका में इस समय महंगाई की दर 40 साल के सबसे ऊंचे स्तर पर है। इससे निपटने के लिए अमेरिका के केंद्रीय बैंक- फेडरल रिजर्व ने अगले महीने से ब्याज दर बढ़ाने की नीति अपनाने का एलान किया है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि ब्याज दर बढ़ने पर कर्ज संकट और गहरा सकता है।

पांच ट्रिलियन डॉलर का देना होगा ब्याज

राजकोषीय स्थिति का अध्ययन करने वाली संस्था पीटर जी. पीटरसन फाउंडेशन के मुताबिक अगले दस साल में सिर्फ ब्याज के रूप में अमेरिका सरकार को पांच ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा की रकम चुकानी होगी। 2051 तक तो अमेरिका सरकार को अपने सालाना राजस्व का लगभग आधा हिस्सा ब्याज चुकाने के लिए खर्च कर देना होगा। डेविड केली ने कहा है कि कर्ज चुकाने पर अधिक रकम खर्च करने की वजह से जलवायु परिवर्तन रोकने से जुड़ी और ऐसी अन्य योजनाओं पर खर्च करने की अमेरिका सरकार की क्षमता सीमित हो जाएगी।

ताजा आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका की संघीय सरकार पर अभी अंतरराष्ट्रीय निवेशकों का आठ ट्रिलियन डॉलर का कर्ज है। इनमें सबसे ज्यादा निवेशक जापान और चीन के हैं। केली ने अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन से कहा- ‘इस कर्ज को अंततः चुकाना होगा। इसका अर्थ यह हुआ कि अमेरिकी करदाता चीन और जापान के लोगों की रिटायरमेंट सुविधाओं का बोझ उठाएंगे, जो हमारे कर्जदाता हैं।’

सरकारी ट्रस्ट फंड्स से लिया कर्ज

वैसे कुछ अर्थशास्त्रियों ने ध्यान दिलाया है कि 30 ट्रिलियन डॉलर एक भ्रामक आंकड़ा है, क्योंकि इसका एक हिस्सा खुद अमेरिकी सरकार का ही है। यह कर्ज सामाजिक सुरक्षा और अन्य सरकारी ट्रस्ट फंड्स से लिया गया है। अपनी ही एजेंसियों से लिए गए कर्ज की कुल रकम लगभग छह ट्रिलियन डॉलर है। लेकिन ये अर्थशास्त्री भी मानते हैं कि सरकार पर कर्ज का बोझ अत्यधिक हो गया है। इसमें खास कर 2008 की आर्थिक मंदी और 2020 में आई कोरोना महामारी के कारण तेजी से उछाल आया।

पीटर जी. पीटरसन फाउंडेशन के मुताबिक अमेरिका की मौजूदा राजकोषीय समस्या अनेक वर्षों से जारी राजकोषीय गैर-जिम्मेदारी का नतीजा है। ये गैर जिम्मेदारी दोनों ही प्रमुख पार्टियों की सरकारों ने दिखाई है। सीएनएन के मुताबिक बीते दिसंबर में उसकी तरफ से कराए गए एक जनमत सर्वेक्षण में लगभग 67 फीसदी अमेरिकियों ने कहा था कि सरकार की शाहखर्ची देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी समस्या बन गई है। फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जिरोम पॉवेल ने भी हाल में यह माना कि मौजूदा राजकोषीय दिशा टिकाऊ नहीं हो सकती।

विस्तार

अमेरिका में सरकारी कर्ज में अभूतपूर्व बढ़ोतरी के बाद अर्थशास्त्रियों के बीच इसके संभावित परिणामों को लेकर बहस छिड़ गई है। इस हफ्ते जारी आंकड़ों के मुताबिक अमेरिकी सरकार पर कुल कर्ज 30 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा हो गया है। यह अमेरिका के सालाना जीडीपी के लगभग 125 फीसदी के बराबर है। कोरोना काल में अमेरिका सरकार ने बड़ी मात्रा में कर्ज लिया। नतीजा यह है कि 2019 के बाद उस पर मौजूद कर्ज में सात ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा बढ़ोतरी हो गई है।

इन्वेस्टमेंट बैंक जेपी मॉर्गन के चीफ ग्लोबल स्ट्रेटेजिस्ट डेविट केली ने इस बारे में कहा- ‘यह छोटी अवधि में पैदा हुआ संकट नहीं है। लेकिन इसका मतलब यह जरूर है कि लंबी अवधि में हम अपेक्षाकृत अधिक गरीब हो जाएंगे।’ अमेरिका में इस समय महंगाई की दर 40 साल के सबसे ऊंचे स्तर पर है। इससे निपटने के लिए अमेरिका के केंद्रीय बैंक- फेडरल रिजर्व ने अगले महीने से ब्याज दर बढ़ाने की नीति अपनाने का एलान किया है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि ब्याज दर बढ़ने पर कर्ज संकट और गहरा सकता है।

पांच ट्रिलियन डॉलर का देना होगा ब्याज

राजकोषीय स्थिति का अध्ययन करने वाली संस्था पीटर जी. पीटरसन फाउंडेशन के मुताबिक अगले दस साल में सिर्फ ब्याज के रूप में अमेरिका सरकार को पांच ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा की रकम चुकानी होगी। 2051 तक तो अमेरिका सरकार को अपने सालाना राजस्व का लगभग आधा हिस्सा ब्याज चुकाने के लिए खर्च कर देना होगा। डेविड केली ने कहा है कि कर्ज चुकाने पर अधिक रकम खर्च करने की वजह से जलवायु परिवर्तन रोकने से जुड़ी और ऐसी अन्य योजनाओं पर खर्च करने की अमेरिका सरकार की क्षमता सीमित हो जाएगी।

ताजा आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका की संघीय सरकार पर अभी अंतरराष्ट्रीय निवेशकों का आठ ट्रिलियन डॉलर का कर्ज है। इनमें सबसे ज्यादा निवेशक जापान और चीन के हैं। केली ने अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन से कहा- ‘इस कर्ज को अंततः चुकाना होगा। इसका अर्थ यह हुआ कि अमेरिकी करदाता चीन और जापान के लोगों की रिटायरमेंट सुविधाओं का बोझ उठाएंगे, जो हमारे कर्जदाता हैं।’

सरकारी ट्रस्ट फंड्स से लिया कर्ज

वैसे कुछ अर्थशास्त्रियों ने ध्यान दिलाया है कि 30 ट्रिलियन डॉलर एक भ्रामक आंकड़ा है, क्योंकि इसका एक हिस्सा खुद अमेरिकी सरकार का ही है। यह कर्ज सामाजिक सुरक्षा और अन्य सरकारी ट्रस्ट फंड्स से लिया गया है। अपनी ही एजेंसियों से लिए गए कर्ज की कुल रकम लगभग छह ट्रिलियन डॉलर है। लेकिन ये अर्थशास्त्री भी मानते हैं कि सरकार पर कर्ज का बोझ अत्यधिक हो गया है। इसमें खास कर 2008 की आर्थिक मंदी और 2020 में आई कोरोना महामारी के कारण तेजी से उछाल आया।

पीटर जी. पीटरसन फाउंडेशन के मुताबिक अमेरिका की मौजूदा राजकोषीय समस्या अनेक वर्षों से जारी राजकोषीय गैर-जिम्मेदारी का नतीजा है। ये गैर जिम्मेदारी दोनों ही प्रमुख पार्टियों की सरकारों ने दिखाई है। सीएनएन के मुताबिक बीते दिसंबर में उसकी तरफ से कराए गए एक जनमत सर्वेक्षण में लगभग 67 फीसदी अमेरिकियों ने कहा था कि सरकार की शाहखर्ची देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी समस्या बन गई है। फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जिरोम पॉवेल ने भी हाल में यह माना कि मौजूदा राजकोषीय दिशा टिकाऊ नहीं हो सकती।

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