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बजट 2022: जैविक खेती से गांव-किसान की तकदीर तय करने की कोशिश, एमएसपी पर दिया भरोसा

एमएसपी को लेकर किसान आंदोलन की आंच को कम करने की कोशिश इस बजट में की गई है। आय बढ़ाने और खेती की हालत सुधारने के लिए तकनीक और ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है। हालांकि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदारी का लक्ष्य पिछली बार के 2.85 लाख करोड़ से कम किया गया है। सरकारी फसल खरीद की ये रकम सीधे किसानों के खाते में भेजी जाएगी।

केंद्र वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान किसानों को ड्रोन तकनीक, रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती, सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा दिया जाएगा। कृषि और कृषक कल्याण योजनाओं का कुल बजट इस बार 1,24 लाख करोड़ रुपये रखा गया है जो पिछले बजट की तुलना में करीब छह हजार करोड़ ज्यादा है।

किसानों को बेहतर तकनीक उपलब्ध कराते हुए फसल मूल्यांकन (क्रॉप कटिंग) भूमि रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण और कीटनाशकों के छिड़काव के लिए ड्रोन तकनीक पर जोर देने के साथ ही कृषि स्टार्ट-अप और ग्रामीण उद्यमों के वित्तपोषण के लिए नाबार्ड के माध्यम से सह-निवेश मॉडल के तहत जुटाई गई मिश्रित पूंजी के साथ एक फंड की सुविधा दी जाएगी। किसानों को डिजिटल और हाईटेक सेवाएं देने के लिए सरकार निजी एग्रोटेक और स्टार्टअप को पीपीपी मॉडल पर योजना शुरू करेगी।

2323 मोटा अनाज वर्ष घोषित
मोनोक्रॉपिंग (एक तरह की खेती) से भूजल संकट बढ़ता जा रहा है। अब किसानों को मोटे अनाज पैदा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। जिससे मानव स्वास्थ्य के साथ ही मिट्टी की सेहत भी बरकरार रहे। सरकार द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मोटे अनाज की घरेलू खपत को बढ़ाने के लिए उत्पादन से लेकर बिक्री तक में सहायता की जाएगी। मोटे अनाज कम पानी में पैदा हो जाते हैं, इससे उन जगहों पर बढ़ावा दिया जाएगा जहां पानी का संकट है। जिससे कि भूजल का दोहन कम हो और कीटनाशकों का अंधाधुंध इस्तेमाल पर भी रोक लगे।

कृषि डिजिटलीकरण पर खर्च होंगे 60 करोड़ रुपये
कृषि के डिजिटलीकरण  के लिए 60 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। किसानों और कृषि संबंधी सूचनाओं को बेहतर आदान-प्रदान के लिए कृषि सूचना प्रणाली और सूचना प्रोद्योगिकी तथा राष्ट्रीय ई-गर्वनेंस योजना को सुदृढ़ और प्रोत्साहित किया जाएगा। किसानों की आय दोगुना करने के मिशन के साथ-साथ आधुनिक आईटी जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग, ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी, इंटरनेट ऑफ थिंग, रोबोटिक्स आदि के उपयोग को शामिल किया जाएगा। किसानों को बेहतर तकनीक उपलब्ध कराने के साथ ही या कराते हुए भूमि रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण और कीटनाशकों के छिड़काव में ड्रोन तकनीक मदद करेंगे। माना जा रहा है कि इससे मजदूरी कम होने के साथ ही किसानों की आय भी बढ़ेगी।

खेती में स्टार्टअप पर जोर
गांव और किसान की आय बढ़ाने की दिशा में सरकार ने प्रयास को आगे बढ़ाया है। खेती में स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए नाबार्ड नई योजनाएं लाएगा, जिसके जरिए नई मशीनें और उपकरण के स्टार्टअप शुरू किए जा सकेंगे। किसानों को भी आसानी से यह उपकरण अपने घर के आसपास उपलब्ध होंगे।

कृषि विवि के पाठ्यक्रम किए जाएंगे संशोधित
प्राकृतिक शून्य बजट खेती और जैविक खेती को बढ़ावा देकर किसानों की लागत कम करके उनकी आमदनी बढ़ाने पर भी जोर के लिए राज्यों को कृषि विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम को संशोधिक करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। किसानों की सबसे अधिक लागत हाईब्रिड बीज और रासायनिक खादों व कीटनाशकों के उपयोग पर आती है।

मत्स्य पालन को प्रोत्साहन
पशुपालन, मत्स्यपालन और डेयरी मंत्रालय का बजट बढ़ाकर 2,118 करोड़ रुपये कर दिया गया है। जो मौजूदा साल में संशोधित 1407 करोड़ रुपये था।

तिलहन में आत्मनिर्भरता के लिए नया मिशन
तिलहन की जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत अभी खाद्य तेलों के आयात पर निर्भर रहता है। खाद्य तेलों में आत्मनिर्भर बनने के लिए इसकी खेती को बढ़ावा देने के लिए नया मिशन राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन (एनएमई-ओएस) को शुरू किया जाएगा। अगले पांच वर्षों (वर्ष 2021-22 से वर्ष 2025-26) में इस मिशन के जरिए पैदावार 1676 किलोग्राम/ हेक्टेयर बढ़ाकर कुल उत्पादन 54.10 मिलियन टन करने का लक्ष्य है।

खाद्य तेलों की जरूरत पूरी करने के लिए भारत कच्चे पॉम ऑयल के लिए आयात पर निर्भर रहता है। अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतें घरेलू कीमतों को प्रभावित करती हैं। नई योजना के तहत पॉम ऑयल की खेती के लिए किसानों में विश्वास पैदा किया जाएगा।

आयात निर्भरता 20 फीसदी घटना का रखा लक्ष्य
तिलहन के लिए 3.5 मिलियन हेक्टेयर अतिरिक्त रकबा (28.7 मिलियन हेक्टेयर से 32.3 मिलियन हेक्टेयर) बढ़ाया जाएगा। इससे खाद्य तेलों के आयात पर निर्भरता 52 फीसदी से घटकर 32 फीसदी करने का लक्ष्य है। तिलहनी फसलों को बढ़ावा देने के लिए 600 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इसके अंतर्गत अधिक धान उत्पादन से बंजर भूमि, अंतर फसलें, गैर पांरपरिक राज्यों में सरसों और सोयाबीन मिशन तथा फसल विविधीकरण के जरिए बढ़ावा दिया जाएगा।

किसानों को कम समय के कर्ज के लिए 19500 करोड़ रुपये रखे गए इस बार
किसानों को कम समय के लिए कर्ज उपलब्ध कराने के लिए बैंकों को प्रोत्साहन दिया जाएगा। संशोधित ब्याज सबवेंशन योजना के अंतर्गत कृषि एवं इससे संबंधित गतिविधियों में लगे किसानों को कम समय के लिए नौ फीसदी की दर से अल्पकालीक ऋण उपलब्ध कराया जाता है। इसमें भारत सरकार दो फीसदी की छूट देती है। कर्ज का जल्द और समय पर भुगतान करने पर तीन फीसदी और छूट दी जाती है। इससे किसानों को 4 फीसदी का ब्याज देना होता है। इसके लिए 19,500 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है।

फसल अवशेष प्रबंधन: प्रदूषण कम होगा, आय बढ़ाने में मिलेगी मदद
फसल अवशेषों को जलाने से होने वाले प्रदूषण का मुद्दा बड़ी समस्या है। किसानों को फसल अवशेषों से बायोमास ईंधन बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके लिए देश के बड़े थर्मल पावर प्लांट में बिजली बनाने के लिए उपयोग होने वाले कोयले में 5-7 फीसदी बायोमास ईंधन मिलाया जाएगा। इसस किसानों की आमदनी बढ़ेगी। साथ ही ग्रामीणों को रोजगार मिलेगा। इससे 38 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड का कम उत्सर्जन होगा।

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