पीटीआई, हैदराबाद
Published by: देव कश्यप
Updated Fri, 24 Dec 2021 03:35 AM IST
सार
भारत के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमणा ने पुरस्कार समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि तेलुगु भाषी लोगों में अपनी महान उपलब्धियों के बावजूद साथी तेलुगु लोगों को कम आंकने की प्रवृत्ति है। उन्होंने कहा कि इस तरह की प्रथा या ‘गुलामी की मानसिकता’ को त्याग दिया जाना चाहिए।
भारत के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण पुरस्कार देते हुए।
– फोटो : वीडियो स्क्रीनग्रैब
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विस्तार
प्रधान न्यायाधीश ने पुरस्कार समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि तेलुगु भाषी लोगों में अपनी महान उपलब्धियों के बावजूद साथी तेलुगु लोगों को कम आंकने की प्रवृत्ति है। उन्होंने कहा कि इस तरह की प्रथा या ‘गुलामी की मानसिकता’ को त्याग दिया जाना चाहिए।
प्रधान न्यायाधीश ने भारत बायोटेक के कोविड-रोधी टीके ‘कोवाक्सीन’ और इसके निर्माण के लिए कंपनी के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि एक ओर विभिन्न अध्ययनों में कहा गया है कि स्वदेशी रूप से निर्मित कोवाक्सीन नए वैरिएंट पर भी प्रभावी है, तो कई लोगों ने इसकी इसलिए आलोचना की क्योंकि इसे देश में बनाया गया था। कुछ ने इसके खिलाफ डब्ल्यूएचओ से शिकायत की थी।
उन्होंने दावा किया कि कुछ विदेशी कंपनियों ने भारतीय वैक्सीन के खिलाफ काम किया, देश में कई ने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की कि वैक्सीन को मान्यता न मिले। उन्होंने कहा कि तेलुगु लोगों की महानता को उजागर करने की आवश्यकता है।
उन्होंने मां, मातृभाषा और मातृभूमि के सम्मान की परंपरा को जारी रखने पर जोर दिया और तेलुगु भाषा को बढ़ावा देने के प्रयासों का आह्वान किया। पुरस्कार पाने वालों में भारत बायोटेक के प्रबंध-निदेशक कृष्णा एल्ला और सुचित्रा एला, नाबार्ड के अध्यक्ष जीआर चिंतला, तेलुगु फिल्म के अनुभवी हास्य अभिनेता ब्रह्मानंदम, प्रसिद्ध तेलुगु अभिनेत्री और एंकर सुमा कनकला शामिल हैं।
स्व. डॉ. रामिनेनी अय्याना चौधरी द्वारा 1995 में संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थापित, डॉ. रामिनेनी फाउंडेशन भारतीय संस्कृति और विरासत को बढ़ावा देने के लिए काम करता है।