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संसद रत्न अवार्ड: वीरप्पा मोइली और एच वी हांडे को मिला ये सम्मान, संसद में महिलाओं की भागीदारी पर सीईसी चंद्रा ने जताई चिंता

मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) सुशील चंद्रा ने शनिवार को संसद में महिलाओं के प्रतिनिधित्व में कमी पर अफसोस जताया है, उन्होंने कहा कि हाल के सालों में चुनाव प्रक्रिया में शामिल होने वाली महिलाओं की संख्या में वृद्धि हुई है। उन्होंने संसद में व्यवधानों के कारण बेकार हुए समय पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है।

संसद रत्न पुरस्कार देने के लिए दिल्ली के एक कार्यक्रम में मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने पहुंचे थे। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए चंद्रा ने कहा कि पहली लोकसभा में 15 महिला सांसद थीं और 17वीं लोकसभा में 78 महिलाएं हैं। उन्होंने कहा कि प्रगति हुई है, लेकिन अभी भी सुधार की जरूरत है। संसद को बहुत समावेशी होना चाहिए।

मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने बताया कि संविधान  स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण की गारंटी देता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि कई जमीनी स्तर की महिला नेताओं ने अपने नेतृत्व गुणों का प्रदर्शन किया है।

संसदीय कार्यवाही में व्यवधान के मुद्दे पर चंद्रा ने कहा कि जोरदार बहस और भाषण मजबूत संसद के बैरोमीटर हैं, लेकिन संसदीय कार्यवाही के बीच में बार-बार व्यवधान करना, वाकआउट और भूख हड़ताल करना लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं हैं।

उन्होंने आगे कहा कि व्यवधानों के कारण संसद के समय को बेकार करने में पिछले कुछ वर्षों में नाटकीय रूप से वृद्धि देखी गई है, इतना ही नहीं कुछ सत्रों में तो पूरी तरह से “वाश आउट” देखा गया है। उन्होंने कहा कि यह मजबूत संसदीय लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है।

संसदीय स्थायी समितियों की भूमिका पर उन्होंने कहा कि समिति की बैठकें प्रसारित नहीं जाती हैं जिस कारण, इस पैनल का उपयोग विवादास्पद मुद्दों या विवादास्पद कानूनों के लिए पार्टियों के बीच आम सहमति बनाने के लिए एक मंच के रूप में भी किया जाता है। हालांकि, समिति की बैठकों में सांसदों की घटती उपस्थिति चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि सांसदों को उत्साही और गैर-पक्षपातपूर्ण तरीके से इन बैठकों में भाग लेना चाहिए।

चुनावों में महिलाओं की भागीदारी पर उन्होंने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, पंजाब और मणिपुर में हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों के आंकड़े साझा किए। उन्होंने कहा कि पांच में से चार राज्यों- गोवा, उत्तराखंड, मणिपुर और उत्तर प्रदेश में महिला मतदाताओं का मतदान पुरुष मतदान से अधिक है और पंजाब में यह लगभग बराबर है। सभी पांच राज्यों में लिंगानुपात में वृद्धि हुई है। चंद्रा ने कहा कि अकेले उत्तर प्रदेश में यह 29 अंक बढ़ा है।

भारतीय चुनाव प्रणाली का विवरण देने की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि देश में 17.3 करोड़ मतदाता थे और 1951 में जब पहला लोकसभा चुनाव हुआ था तब मतदान लगभग 45.6 प्रतिशत था। 2019 के संसदीय चुनावों के दौरान, मतदाताओं की संख्या लगभग 91.2 करोड़ थी और मतदाता मतदान अब तक का सबसे अधिक 66.4 प्रतिशत था। चंद्रा ने कहा कि आज की स्थिति में 95.3 करोड़ से अधिक मतदाता हैं, जिनमें 49.04 करोड़ पुरुष और 46.09 करोड़ महिलाएं हैं।

 वीरप्पा मोइली, एच वी हांडे को मिला लाइफटाइम अचीवमेंट सम्मान

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एम वीरप्पा मोइली और तमिलनाडु के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री एच वी हांडे को शनिवार को संसद रत्न पुरस्कार के 12वें संस्करण में लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया। प्राइम प्वाइंट फाउंडेशन ने कहा कि राकांपा की सुप्रिया सुले और बीजद के अमर पटनायक उन 11 सांसदों में शामिल हैं, जिन्हें विभिन्न श्रेणियों के तहत संसद रत्न पुरस्कार 2022 से सम्मानित किया गया। उन्हें महाराष्ट्र सदन में मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा द्वारा पुरस्कार प्रदान किए गए।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के सांसद के के रागेश (केरल) को राज्यसभा में अपने पूर्ण कार्यकाल के दौरान उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए ‘2021 में सेवानिवृत्त सदस्यों’ श्रेणी के तहत सम्मानित किया गया।

प्राइम पॉइंट फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष के श्रीनिवासन ने कहा कि पुरस्कार विजेताओं का चयन 17वीं लोकसभा की शुरुआत से शीतकालीन सत्र 2021 के अंत तक पीआरएस इंडिया द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के आधार पर उनके संचयी प्रदर्शन के आधार पर किया गया था। संसद रत्न पुरस्कार समिति की अध्यक्षता संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने की और सह-अध्यक्षता भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टी एस कृष्णमूर्ति ने की।

पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय एपीजे अब्दुल कलाम के सुझाव पर हुई थी स्थापना

शीर्ष प्रदर्शन करने वाले सांसदों को सम्मानित करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय एपीजे अब्दुल कलाम के सुझाव पर पुरस्कारों की स्थापना की गई थी। पहला पुरस्कार समारोह 2010 में चेन्नई में आयोजित किया गया था और कलाम ने खुद इस पहल की शुरुआत की थी।

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