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नगालैंड-मणिपुर सीमा विवाद : परंपरागत स्वामित्व के तरीके को आजमाकर हल करें मसला, टीपीओ का सुझाव

पीटीआई, कोहिमा
Published by: सुरेंद्र जोशी
Updated Sat, 26 Mar 2022 12:58 PM IST

सार

टीपीओ के अध्यक्ष तिमिखा कोजा ने कहा कि 2017 में केजोल्त्सा, कोजिरी, काजिंग, डीज कू इलाकों में तीन दावेदार पक्षों द्वारा मध्यस्थता समझौते पर दस्तखत किए गए थे। लेकिन पांच साल से अधिक समय हो गया है, कोई हल नहीं निकला है। 

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पूर्वोत्तर के दो राज्यों नगालैंड व मणिपुर के बीच दशकों से जारी सीमा विवाद हल करने के लिए एक आदिवासी संगठन ने परंपरागत स्वामित्व के तरीके को आजमाने का सुझाव दिया है। दोनों राज्यों की तेनीमी जनजातियों के शीर्ष संगठन तेनीमी पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (टीपीओ) ने कहा कि सीमा विवाद सुलझाने का यह सबसे अच्छा तरीका होगा। 

टीपीओ के अध्यक्ष तिमिखा कोजा ने कहा कि 2017 में केजोल्त्सा, कोजिरी, काजिंग, डीज कू इलाकों में तीन दावेदार पक्षों द्वारा मध्यस्थता समझौते पर दस्तखत किए गए थे, लेकिन पांच साल से अधिक समय हो गया है, कोई हल नहीं निकला है। इसलिए उसका मानना है कि इस विवाद का हल नगा समुदाय के परंपरागत तरीके का सम्मान करते हुए ही किया जा सकता है। 

इस विवाद के पक्षकारों में नगालैंड के दक्षिणी अंगामी पब्लिक ऑर्गनाइजेशन (एसएपीओ) और मणिपुर की माओ काउंसिल तथा मारम खुल्लेन शामिल हैं। टीपीओ ने विभिन्न संचार माध्यम से दोनों राज्यों की सरकारों को स्पष्ट कर दिया है कि उसका राज्यों और उसकी सीमाओं के मामलों में हस्तक्षेप का कोई इरादा नहीं है। वह केवल तेनीमी जनजातियों के भीतर गलतफहमी और विवाद को सुलझाने की कोशिश कर रहा है।

टीपीओ ने आरोप लगाया कि इन सभी अपीलों और प्रयासों के बावजूद मणिपुर सरकार विवाद के सौहार्दपूर्ण समाधान और सभी संबंधितों के बीच स्वस्थ संबंधों की बहाली की दिशा में काम कर रहे लोगों के अच्छे इरादों को विफल करने पर तुली हुई है।

विस्तार

पूर्वोत्तर के दो राज्यों नगालैंड व मणिपुर के बीच दशकों से जारी सीमा विवाद हल करने के लिए एक आदिवासी संगठन ने परंपरागत स्वामित्व के तरीके को आजमाने का सुझाव दिया है। दोनों राज्यों की तेनीमी जनजातियों के शीर्ष संगठन तेनीमी पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (टीपीओ) ने कहा कि सीमा विवाद सुलझाने का यह सबसे अच्छा तरीका होगा। 

टीपीओ के अध्यक्ष तिमिखा कोजा ने कहा कि 2017 में केजोल्त्सा, कोजिरी, काजिंग, डीज कू इलाकों में तीन दावेदार पक्षों द्वारा मध्यस्थता समझौते पर दस्तखत किए गए थे, लेकिन पांच साल से अधिक समय हो गया है, कोई हल नहीं निकला है। इसलिए उसका मानना है कि इस विवाद का हल नगा समुदाय के परंपरागत तरीके का सम्मान करते हुए ही किया जा सकता है। 

इस विवाद के पक्षकारों में नगालैंड के दक्षिणी अंगामी पब्लिक ऑर्गनाइजेशन (एसएपीओ) और मणिपुर की माओ काउंसिल तथा मारम खुल्लेन शामिल हैं। टीपीओ ने विभिन्न संचार माध्यम से दोनों राज्यों की सरकारों को स्पष्ट कर दिया है कि उसका राज्यों और उसकी सीमाओं के मामलों में हस्तक्षेप का कोई इरादा नहीं है। वह केवल तेनीमी जनजातियों के भीतर गलतफहमी और विवाद को सुलझाने की कोशिश कर रहा है।

टीपीओ ने आरोप लगाया कि इन सभी अपीलों और प्रयासों के बावजूद मणिपुर सरकार विवाद के सौहार्दपूर्ण समाधान और सभी संबंधितों के बीच स्वस्थ संबंधों की बहाली की दिशा में काम कर रहे लोगों के अच्छे इरादों को विफल करने पर तुली हुई है।

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