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संयुक्त राष्ट्र: ज्वालामुखी राहत के लिए टोंगा को मदद जरूरी, काम शुरू करने को चाहिए नौ करोड़ डॉलर

एजेंसी, संयुक्त राष्ट्र।
Published by: Jeet Kumar
Updated Fri, 18 Feb 2022 01:10 AM IST

सार

टोंगा में 15 जनवरी को ज्वालामुखी फटने के बाद राख की घनी चादर के कारण देश का अधिकतर पेयजल दूषित हो गया था।

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टोंगा में समुद्र के नीचे ज्वालामुखी फटने से आई सुनामी के एक माह बाद संयुक्त राष्ट्र के एक अधिकारी ने बताया कि इससे प्रशांत महासागर के द्वीपीय राष्ट्र की 1,05,000 आबादी के 80 प्रतिशत लोग प्रभावित हुए हैं और देश को मरम्मत कार्य शुरू करने एवं अहम कृषि एवं मत्स्य क्षेत्रों में सुधार के लिए नौ करोड़ डॉलर की मदद की आवश्यकता है।

टोंगा के लिए संयुक्त राष्ट्र के स्थानिक समन्वयक सानाका समरसिन्हा ने पड़ोसी देश फिजी से एक डिजिटल संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सुनामी के बाद पानी का स्तर कम होने के बावजूद घबराहट कम नहीं हुई है।

उन्होंने कहा, क्षेत्र में लगातार चक्रवात आ रहे हैं और लगभग हर सप्ताह भूकंप आ रहे हैं। हाल में कुछ ही घंटों पहले टोंगा की राजधानी नुकुअलोफा से मात्र 47 किलोमीटर दूर 5.0 तीव्रता का भूकंप आया था।

टोंगा में 15 जनवरी को ज्वालामुखी फटने के बाद राख की घनी चादर के कारण देश का अधिकतर पेयजल दूषित हो गया था। विश्व बैंक के अनुमान के अनुसार, टोंगा को नौ करोड़ चार लाख डॉलर का नुकसान हुआ है, जो टोंगा के सकल घरेलू उत्पाद का 18.5 प्रतिशत है।

विस्तार

टोंगा में समुद्र के नीचे ज्वालामुखी फटने से आई सुनामी के एक माह बाद संयुक्त राष्ट्र के एक अधिकारी ने बताया कि इससे प्रशांत महासागर के द्वीपीय राष्ट्र की 1,05,000 आबादी के 80 प्रतिशत लोग प्रभावित हुए हैं और देश को मरम्मत कार्य शुरू करने एवं अहम कृषि एवं मत्स्य क्षेत्रों में सुधार के लिए नौ करोड़ डॉलर की मदद की आवश्यकता है।

टोंगा के लिए संयुक्त राष्ट्र के स्थानिक समन्वयक सानाका समरसिन्हा ने पड़ोसी देश फिजी से एक डिजिटल संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सुनामी के बाद पानी का स्तर कम होने के बावजूद घबराहट कम नहीं हुई है।

उन्होंने कहा, क्षेत्र में लगातार चक्रवात आ रहे हैं और लगभग हर सप्ताह भूकंप आ रहे हैं। हाल में कुछ ही घंटों पहले टोंगा की राजधानी नुकुअलोफा से मात्र 47 किलोमीटर दूर 5.0 तीव्रता का भूकंप आया था।

टोंगा में 15 जनवरी को ज्वालामुखी फटने के बाद राख की घनी चादर के कारण देश का अधिकतर पेयजल दूषित हो गया था। विश्व बैंक के अनुमान के अनुसार, टोंगा को नौ करोड़ चार लाख डॉलर का नुकसान हुआ है, जो टोंगा के सकल घरेलू उत्पाद का 18.5 प्रतिशत है।

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