न्यूज डेस्क, अमर उजाला, अहमदाबाद
Published by: शिव शरण शुक्ला
Updated Sun, 27 Feb 2022 10:43 PM IST
सार
जी सतीश रेड्डी ने कहा कि विश्वविद्यालयों में टेक्नॉलॉजी के विकास को लेकर बेहतर काम हो रहा है। डीआरडीओ लगभग 300 एकेडमिक संस्थाओं और 1200 शोधार्थियों के साथ रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान को लेकर काम कर रहा है।
केंद्र सरकार ने रक्षा क्षेत्र में अकादमिक शोध कार्य के लिए 1200 करोड़ रुपये निर्धारित किए हैं। डीआरडीओ के चेयरमैन जी सतीश रेड्डी ने रविवार को कर्णावती विश्वविद्यालय में चल रहे अहमदाबाद डिजाइन वीक की तीसरे संस्करण समारोह में अपने वर्चुअली संबोधन के दौरान इसकी जानकारी दी। रेड्डी ने कहा कि इससे रक्षा के क्षेत्र में युवाओं को नवीन उत्पादों पर काम करने का खूब मौका मिलेगा।
अपने संबोधन के दौरान रेड्डी ने कहा कि विश्वविद्यालयों में टेक्नॉलॉजी के विकास को लेकर बेहतर काम हो रहा है। डीआरडीओ लगभग 300 एकेडमिक संस्थाओं और 1200 शोधार्थियों के साथ रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान को लेकर काम कर रहा है। इन संस्थानों के लिए 1200 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। उन्होंने बताया कि गुजरात विश्विविद्यालय इनमें से एक है।
गौरतलब है कि गुजरात विश्वविद्यालय ने हाल ही में रक्षा अनुसंधान के लिए उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने के लिए डीआरडीओ के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। रेड्डी ने बताया कि कुल 500 शोध छात्र उत्कृष्टता केंद्र के साथ काम करेंगे, जिसमें रक्षा से संबंधित मुख्य शोध होंगे। लगभग 40 छात्रों ने पहले ही पाठ्यक्रमों के लिए पंजीकरण कर लिया है और उन्हें रक्षा प्रयोगशाला में काम करने का अवसर मिलेगा।
अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि न केवल भारत बल्कि दुनिया के लिए उत्पादों के बनाने की जरूरत है। गौरतलब है कि जी सतीश रेड्डी रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सेक्रेटरी भी हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए अच्छी क्षमता वाले प्रोडक्ट बनाने के लिए तकनीक की जरूरत है।
इस मौके पर बोलते हुए नेवल ग्रुप इंडिया के सीएमडी राहुल कुमार श्रावत ने कहा कि भारतीय नौसेना में साइबर सिक्योरिटी और आर्टीफिशियल इंटिलिजेंस में माडर्न टेक्नॉलॉजी के लिए खूब मौके हैं। उन्होंने आगे कहा कि जहाज बनाने के क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर हो गया है। इस समय भारतीय शिपयार्ड में 40 से ज्यादा जहाज ऑर्डर पर बनाए जा रहे हैं।

विस्तार
केंद्र सरकार ने रक्षा क्षेत्र में अकादमिक शोध कार्य के लिए 1200 करोड़ रुपये निर्धारित किए हैं। डीआरडीओ के चेयरमैन जी सतीश रेड्डी ने रविवार को कर्णावती विश्वविद्यालय में चल रहे अहमदाबाद डिजाइन वीक की तीसरे संस्करण समारोह में अपने वर्चुअली संबोधन के दौरान इसकी जानकारी दी। रेड्डी ने कहा कि इससे रक्षा के क्षेत्र में युवाओं को नवीन उत्पादों पर काम करने का खूब मौका मिलेगा।
अपने संबोधन के दौरान रेड्डी ने कहा कि विश्वविद्यालयों में टेक्नॉलॉजी के विकास को लेकर बेहतर काम हो रहा है। डीआरडीओ लगभग 300 एकेडमिक संस्थाओं और 1200 शोधार्थियों के साथ रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान को लेकर काम कर रहा है। इन संस्थानों के लिए 1200 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। उन्होंने बताया कि गुजरात विश्विविद्यालय इनमें से एक है।
गौरतलब है कि गुजरात विश्वविद्यालय ने हाल ही में रक्षा अनुसंधान के लिए उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने के लिए डीआरडीओ के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। रेड्डी ने बताया कि कुल 500 शोध छात्र उत्कृष्टता केंद्र के साथ काम करेंगे, जिसमें रक्षा से संबंधित मुख्य शोध होंगे। लगभग 40 छात्रों ने पहले ही पाठ्यक्रमों के लिए पंजीकरण कर लिया है और उन्हें रक्षा प्रयोगशाला में काम करने का अवसर मिलेगा।
अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि न केवल भारत बल्कि दुनिया के लिए उत्पादों के बनाने की जरूरत है। गौरतलब है कि जी सतीश रेड्डी रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सेक्रेटरी भी हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए अच्छी क्षमता वाले प्रोडक्ट बनाने के लिए तकनीक की जरूरत है।
इस मौके पर बोलते हुए नेवल ग्रुप इंडिया के सीएमडी राहुल कुमार श्रावत ने कहा कि भारतीय नौसेना में साइबर सिक्योरिटी और आर्टीफिशियल इंटिलिजेंस में माडर्न टेक्नॉलॉजी के लिए खूब मौके हैं। उन्होंने आगे कहा कि जहाज बनाने के क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर हो गया है। इस समय भारतीय शिपयार्ड में 40 से ज्यादा जहाज ऑर्डर पर बनाए जा रहे हैं।

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