Entertainment

Manoj Muntashir: मनोज 'शुक्ला' से बने 'मुंतशिर', पिता ने लगाया धर्म परिवर्तन का आरोप, गाने लिखने की वजह से टूटी शादी

हिंदी सिनेमा के मशहूर गीतकार मनोज मुंतशिर का जन्म आज ही के दिन सन 1976 को उत्तर प्रदेश के अमेठी के गौरीगंज में हुआ था। ‘तेरी मिट्टी में मिल जावां’, ‘तेरी गलियां’, ‘कौन तुझे यूं प्यार करेगा’ जैसे गानों को अपनी कलम से सजाने वाले गीतकार, शायर, संवाद लेखक मनोज मुंतशिर का आज 46वा जन्मदिन है। सुपरहिट फिल्म ‘बाहुबली’ के शानदार डायलॉग्स लिखने वाले गीतकार मनोज मुंतशिर आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। लेकिन एक समय ऐसा भी था जब उन्हें को कोई नहीं जानता था।

पंडित परिवार के मनोज ने ऐसे सीखी उर्दू

मनोज मुंतशिर को बचपन से ही लिखने का शौक था। अपने लेखन को बेहतर बनाने के लिए मनोज कई कवियों की किताबें भी पढ़ा करते थे। सातवीं-आठवीं कक्षा में उन्होंने दीवान-ए-ग़ालिब किताब पढ़ी, लेकिन उर्दू नहीं आने की वजह से उन्हें कुछ समझ नहीं आया। फिर एक दिन मस्जिद के नीचे से मनोज मुंतशिर ने 2 रुपए की उर्दू की किताब खरीदी और उर्दू की तालीम हासिल की। 

फुटपाथ पर बिताईं कई रातें

स्नातक की पढ़ाई पूरी होने के बाद मनोज जेब में 700 रुपये लेकर सन 1999 में मुंबई आ गए। काम की तलाश में दिन और पैसे दोनों खर्च होते चले गए। एक दिन मनोज की मुलाकात अनूप जलोटा से हुई। अनूप जलोटा ने मनोज को मौका और काम दोनों दिया। मनोज ने अनूप जलोटा के लिए भजन लिखे और पहली बार 3000 रुपये की कमाई की। हालांकि इसके बाद भी मनोज के संघर्ष के दिन खत्म नहीं हुए। मुंबई के फुटपाथ पर कई रात बिताने वाले मनोज को साल 2005 में कौन बनेगा करोड़पति के लिए लिरिक्स लिखने का मौका मिला। 

 

धर्म परिवर्तन

एक साक्षात्कार के दौरान मनोज मुंतशिर बताते हैं कि ‘साल 1997 की सर्द रात में मैं अपने घर से चाय की तलाश में एक टपरी पर पहुंचा। उस टपरी पर रेडियो बज रहा था और उस पर पहली बार एक शब्द सुना “मुंतशिर”। यह शब्द और मनोज के साथ इसका जुड़ाव मुझे बेहद पसंद आया। चाय की आखिरी चुसकी तक मैंने अपना नाम मनोज शुक्ला से मनोज मुंतशिर करने की ठान ली थी। लेकिन समस्या यह थी कि पिताजी को इस बात के लिए कैसे मनाऊं। रात भर सोचने के बाद मैंने एक तरकीब निकाली और घर के नेम प्लेट पर मनोज मुंतशिर लिखवा लिया। नेम प्लेट देखकर पिता गुस्सा हो गए उन्हें लगा की मैंने अपना धर्म परिवर्तन करवा लिया है। घर पर मातम छा गया। 

गाने लिखने की वजह से टूटी शादी

घरवालों ने मेरी शादी की ठान ली और मेरे लिए लड़की ढूंढना शुरू कर दिया। 13 मई 1997 का मुहूर्त निकला। सब तैयारियां हो चुकी थी। कार्ड छप चुके थे, लेकिन दो महीने की कोर्टशिप के बाद शादी टूट गई। मनोज बताते हैं कि शादी से कुछ दिन पहले लड़की का भाई मुझसे मिलने आया और पूछने लगा कि जीजा आप आगे क्या करना चाहते हो? तो मैंने बिना किसी संकोच के कह दिया कि भाई मैं तो गीत लिखूंगा। इस पर लड़की के भाई ने कहा कि वो तो ठीक है, लेकिन करियर में क्या करेंगे? मैंने कहा भाई देख, मैं ताउम्र केवल गीत ही लिखूंगा और लेखन में ही करियर बनाऊंगा। यह बात सुनकर वह घर लौट गया और बाद में शादी टूटने की खबर आई।

Source link

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

To Top
%d bloggers like this: