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वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट : सरकार पर कर्ज बढ़कर 128 लाख करोड़ रुपये के पार, कुल देनदारी में सार्वजनिक कर्ज की हिस्सेदारी बढ़कर 91.6% पहुंची

वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट : सरकार पर कर्ज बढ़कर 128 लाख करोड़ रुपये के पार, कुल देनदारी में सार्वजनिक कर्ज की हिस्सेदारी बढ़कर 91.6% पहुंची

एजेंसी, मुंबई।
Published by: योगेश साहू
Updated Tue, 29 Mar 2022 05:39 AM IST

सार

वित्त मंत्रालय ने कहा कि 10 साल की परिपक्वता अवधि वाली सरकारी प्रतिभूतियों पर मिलने वाले ब्याज में इजाफा हुआ है। इस पर दिसंबर तिमाही में 6.45 फीसदी की दर से ब्याज मिला, जबकि सितंबर तिमाही में यह दर 6.22 फीसदी रही थी। आरबीआई के रेपो देर में कोई बदलाव नहीं करते हुए इसे 4 फीसदी पर रखने के फैसले से 10 साल की परिपक्वता अवधि वाली सरकारी प्रतिभूतियों को समर्थन मिला है।

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केंद्र सरकार पर कुल कर्ज 2021-22 की दिसंबर तिमाही में 2.15% बढ़कर 128.41 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया। जुलाई-सितंबर तिमाही में कुल 125.71 लाख करोड़ रुपये की देनदारी थी। इस दौरान सरकार ने 75,300 करोड़ रुपये के कर्ज का भुगतान किया। वित्त मंत्रालय की सोमवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल देनदारी में सार्वजनिक कर्ज की हिस्सेदारी दिसंबर तिमाही में बढ़कर 91.6% पहुंच गई, जबकि सितंबर तिमाही में यह आंकड़ा 91.15% था। 

इस दौरान सरकार ने कुल 2.88 लाख करोड़ की ऋण प्रतिभूतियां जारी कीं। सितंबर तिमाही में 2.83 लाख करोड़ की ऋण प्रतिभूतियां जारी की गई थीं। इन प्रतिभूतियों में वाणिज्यिक बैंकों की हिस्सेदारी कम होकर 35.40 फीसदी रह गई, जबकि सितंबर तिमाही में यह आंकड़ा 37.82 फीसदी रहा था। दिसंबर तिमाही में जारी कुल ऋण प्रतिभूतियों में 25% की परिवक्वता अवधि पांच साल से कम है। 

आरबीआई की हिस्सेदारी घटी
बीमा कंपनियों और भविष्य निधि की हिस्सेदारी अक्तूबर-दिसंबर तिमाही में क्रमश: 25.74 फीसदी एवं 4.33 फीसदी रही। म्यूचुअल फंड की हिस्सेदारी 3.08 फीसदी और आरबीआई की 16.92 फीसदी रही। रिपोर्ट में कहा गया है कि दिसंबर तिमाही में केंद्रीय बैंक की हिस्सेदारी में गिरावट आई है क्योंकि सितंबर तिमाही में हिस्सेदारी 16.98 फीसदी रही थी।

खुदरा महंगाई ने बढ़ाई मुश्किल…
घरेलू मोर्चे पर तीसरी तिमाही में रिजर्व बैंक द्वारा प्रतिभूतियों के अधिग्रहण की योजना बंद करने से बाजार दबाव में रहा। अतिरिक्त उधारी बढ़ने की आशंका और महंगाई ने भी मुश्किलें बढ़ा दी। 

सरकारी प्रतिभूतियों पर ज्यादा ब्याज
वित्त मंत्रालय ने कहा कि 10 साल की परिपक्वता अवधि वाली सरकारी प्रतिभूतियों पर मिलने वाले ब्याज में इजाफा हुआ है। इस पर दिसंबर तिमाही में 6.45 फीसदी की दर से ब्याज मिला, जबकि सितंबर तिमाही में यह दर 6.22 फीसदी रही थी। आरबीआई के रेपो देर में कोई बदलाव नहीं करते हुए इसे 4 फीसदी पर रखने के फैसले से 10 साल की परिपक्वता अवधि वाली सरकारी प्रतिभूतियों को समर्थन मिला है।

विस्तार

केंद्र सरकार पर कुल कर्ज 2021-22 की दिसंबर तिमाही में 2.15% बढ़कर 128.41 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया। जुलाई-सितंबर तिमाही में कुल 125.71 लाख करोड़ रुपये की देनदारी थी। इस दौरान सरकार ने 75,300 करोड़ रुपये के कर्ज का भुगतान किया। वित्त मंत्रालय की सोमवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल देनदारी में सार्वजनिक कर्ज की हिस्सेदारी दिसंबर तिमाही में बढ़कर 91.6% पहुंच गई, जबकि सितंबर तिमाही में यह आंकड़ा 91.15% था। 

इस दौरान सरकार ने कुल 2.88 लाख करोड़ की ऋण प्रतिभूतियां जारी कीं। सितंबर तिमाही में 2.83 लाख करोड़ की ऋण प्रतिभूतियां जारी की गई थीं। इन प्रतिभूतियों में वाणिज्यिक बैंकों की हिस्सेदारी कम होकर 35.40 फीसदी रह गई, जबकि सितंबर तिमाही में यह आंकड़ा 37.82 फीसदी रहा था। दिसंबर तिमाही में जारी कुल ऋण प्रतिभूतियों में 25% की परिवक्वता अवधि पांच साल से कम है। 

आरबीआई की हिस्सेदारी घटी

बीमा कंपनियों और भविष्य निधि की हिस्सेदारी अक्तूबर-दिसंबर तिमाही में क्रमश: 25.74 फीसदी एवं 4.33 फीसदी रही। म्यूचुअल फंड की हिस्सेदारी 3.08 फीसदी और आरबीआई की 16.92 फीसदी रही। रिपोर्ट में कहा गया है कि दिसंबर तिमाही में केंद्रीय बैंक की हिस्सेदारी में गिरावट आई है क्योंकि सितंबर तिमाही में हिस्सेदारी 16.98 फीसदी रही थी।

खुदरा महंगाई ने बढ़ाई मुश्किल…

घरेलू मोर्चे पर तीसरी तिमाही में रिजर्व बैंक द्वारा प्रतिभूतियों के अधिग्रहण की योजना बंद करने से बाजार दबाव में रहा। अतिरिक्त उधारी बढ़ने की आशंका और महंगाई ने भी मुश्किलें बढ़ा दी। 

सरकारी प्रतिभूतियों पर ज्यादा ब्याज

वित्त मंत्रालय ने कहा कि 10 साल की परिपक्वता अवधि वाली सरकारी प्रतिभूतियों पर मिलने वाले ब्याज में इजाफा हुआ है। इस पर दिसंबर तिमाही में 6.45 फीसदी की दर से ब्याज मिला, जबकि सितंबर तिमाही में यह दर 6.22 फीसदी रही थी। आरबीआई के रेपो देर में कोई बदलाव नहीं करते हुए इसे 4 फीसदी पर रखने के फैसले से 10 साल की परिपक्वता अवधि वाली सरकारी प्रतिभूतियों को समर्थन मिला है।

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