ये है मकसद
केंद्र सरकार के इस कदम का मकसद टीका निर्माता कंपनियों के पास तैयार खुराकों को खपाना है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) और भारत बायोटेक ने कम मांग और बढ़ते स्टॉक की वजह से कोविड-19 टीकों का उत्पादन बंद कर दिया है। भारत में बूस्टर खुराक को मंजूरी मिलने पर सीरम के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा कि हम बूस्टर के बारे में भारत सरकार की घोषणा से खुश है। यह फैसला लंबी अवधि की सुरक्षा मुहैया कराएगा। पूनावाला ने कुछ टीवी चैनलों से बातचीत में इशारा किया कि सीरम निजी अस्पतालों को 600 रुपये प्रति खुराक से भी कम कीमत पर टीके दे सकती है।
प्राइवेट हॉस्पिटल के लिए तय है यह दाम
टीका कीमत (रुपए प्रति खुराक)
कोविशील्ड 780
कोवैक्सीन 1,410
स्पूतनिक वी 1,145
कोर्बेवैक्स 1,140
कोवोवैक्स 1,095
नोट: जीएसटी और टीका लगाने के 150 रुपए के शुल्क सहित
(कीमत घोषित नहीं है। सूत्रों के मुताबिक एसआईआई ने भारत सरकार को संकेत दिया है कि उसने निजी बाजार में 900 रुपए प्रति खुराक कीमत वसूलने की योजना बनाई है। इसमें अन्य कर अलग होगा।)
इतना आ रहा है खर्च
आबादी के इन वर्गों के लिए बूस्टर खुराक को जनवरी के पहले सप्ताह में मंजूरी दी गई थी। पिछले साल जून में केंद्र ने निजी टीकाकरण केंद्रों के लिए टीके की एक खुराक लगाने का शुल्क 150 रुपये तय किया था। केंद्र ने निजी टीकाकरण केंद्रों को कर और लगाने के शुल्क सहित कोविशील्ड के लिए अधिकतम 780 रुपये, कोवाक्सिन के लिए 1,410 रुपये और स्पूतनिक वी के लिए 1,145 रुपये वसूलने को कहा था।निजी केंद्रों के लिए कोवीशील्ड की लागत 600 रुपये प्रति खुराक आती है, जो कोवाक्सिन के लिए 1,200 रुपये प्रति खुराक और स्पूतनिक वी के लिए 948 रुपये प्रति खुराक (जीएसटी अतिरिक्त) है। बायोलॉजिकल ई ने कहा है कि वह कोर्बिवैक्स की कीमत 800 रुपये प्रति खुराक (सभी कर अतिरिक्त) रखेगी। स्वास्थ्य मंत्रालय को मार्च में भेजे पत्र में सीरम ने कहा था कि वह निजी बाजार में कोवैक्स (नोवा वैक्स के टीके) की कीमत 900 रुपये (कर अतिरिक्त) तय करने के बारे में विचार कर रही है। जाइडस लाइफसाइंसेज अपना तीन खुराक का डीएनए टीका जाइकोव-डी केंद्र को 265 रुपये प्रति खुराक पर देती है और सुई रहित एप्लीकेटर डिवाइस की लागत 93 रुपये प्रति खुराक है।
अब इतने को लग चुकी है वैक्सीन
15 साल से अधिक उम्र के करीब 96 फीसदी बच्चों को कोविड-19 टीके की कम से कम एक खुराक लग गई है, जबकि 15 साल से अधिक उम्र की करीब 83 फीसदी आबादी को दोनों खुराक लग चुकी है। कोविन डैशबोर्ड के मुताबिक देश में अब तक कोविड-19 टीकों की 1.85 अरब खुराक लग चुकी हैं। भारत में कुल खुराकों में 83.3 फीसदी कोविशील्ड टीके की लगी हैं, जबकि कुल खुराकों में कोवैक्सीन का हिस्सा करीब 16 फीसदी रहा है। स्वास्थ्यकर्मियों, अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं और वरिष्ठ नागरिकों को करीब 2.28 बूस्टर खुराक लगी है।
बूस्टर डोज के लिए नियम और शर्तें
बूस्टर डोज निजी टीकाकरण केंद्रों पर उपलब्ध होगी। निजी टीकाकरण केंद्रों के माध्यम से 18 से अधिक उम्र की आबादी को बूस्टर खुराक देने का काम 10 अप्रैल यानी रविवार से शुरू होगा। खुराक के लिए 18 साल से अधिक उम्र होना जरुरी है। साथ ही बूस्टर डोज वही ले सकेंगे, जिन्होंने कोविड की दूसरी खुराक लेने के बाद 9 महीने पूरे कर लिए हैं। यह सुविधा सभी निजी टीकाकरण केंद्रों पर उपलब्ध होगी। बूस्टर डोज लगवाने के लिए लोगों को पैसे देने होंगे। सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला के मुताबिक कोवीशील्ड के बूस्टर डोज की कीमत 600 रुपये होगी।
बूस्टर खुराक के दुष्प्रभाव हैं?
कोविड-19 वैक्सीन की पहली खुराक लेने के बाद अनुभव किया था कि लोगों को कुछ अस्थायी लक्षण दिखाई दे सकते हैं। जिनमें गले में खराश, हाथ में सूजन, बुखार, शरीर में दर्द, सिरदर्द और थकान शामिल हैं। कुछ लोगों को ठंड लगना, सूजन लिम्फ नोड्स भी हो सकते हैं। हालांकि इसका ये संकेत नहीं हैं कि आप बीमार हैं। प्रतिरक्षा प्रणाली विकसित होने या टीके के प्रति प्रतिक्रिया में इस तरह के कुछ लक्षण दिखाई पड़ सकते हैं। उधर, मंत्रालय ने ये भी साफ किया है कि पात्र आबादी के लिए पहली और दूसरी खुराक के लिए सरकारी टीकाकरण केंद्रों के माध्यम से चल रहे मुफ्त टीकाकरण कार्यक्रम के साथ-साथ स्वास्थ्य कर्मियों, अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं और 60 से अधिक आबादी के लिए एहतियाती खुराक जारी रहेगा और इसमें तेजी लाई जाएगी।
16 जनवरी 2021 को शुरू हुआ था टीकाकरण अभियान
देश भर में टीकाकरण अभियान 16 जनवरी, 2021 को शुरू किया गया था, जिसमें स्वास्थ्य कर्मियों को पहले चरण में टीका लगाया गया था। फ्रंटलाइन वर्कर्स का टीकाकरण पिछले साल 2 फरवरी से शुरू हुआ था। कोविड-19 टीकाकरण का अगला चरण पिछले साल 1 मार्च को 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों और 45 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों के लिए किसी रोग से पीड़ितों को टीके के साथ शुरू हुआ था।
भारत ने पिछले साल 1 अप्रैल से 45 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोगों के लिए टीकाकरण शुरू किया। इसके बाद सरकार ने पिछले साल 1 मई से 18 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को वायरल बीमारी के खिलाफ टीकाकरण की अनुमति देकर अपने टीकाकरण अभियान का विस्तार करने का फैसला किया। टीकाकरण का अगला चरण इस साल 3 जनवरी से 15-18 वर्ष के आयु वर्ग के किशोरों के लिए शुरू हुआ है।