videsh

रूस-यूक्रेन जंग का असर: परमाणु डील हो या नहीं, तुरंत पूरी नहीं होंगी ईरान से पश्चिम की तेल-गैस की उम्मीदें

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, तेहरान
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Sat, 12 Mar 2022 02:28 PM IST

सार

ईरानी विश्लेषकों का कहना है कि यूक्रेन युद्ध से अब तक ईरान पर कोई खास दुष्प्रभाव नहीं हुआ है। बल्कि उसके लिए अनुकूल अवसर पैदा हुए हैं। इन विश्लेषकों के मुताबिक अगर ईरान ने अपने पत्ते ठीक से चले, तो वह नए बने हालात का फायदा उठा सकता है। यूक्रेन युद्ध के कारण रूस पर प्रतिबंधों से ऊर्जा के बाजार में जो खालीपन आया है, उसे वह भरने की स्थिति में होगा…

ख़बर सुनें

पश्चिमी देशों के कुछ हलकों में ये उम्मीद जताई गई है कि अगर ईरान परमाणु डील को पुनर्जीवित करने पर जल्द समझौता हो जाए, तो उन देशों में तेल और गैस की पैदा हुई कमी का हल निकल सकता है। यूक्रेन पर हमले के बाद इन देशों की तरफ से रूस पर लगाए प्रतिबंधों के कारण पश्चिमी दुनिया में तेल और गैस की महंगाई तेजी से बढ़ी है। उसकी वजह से कई दूसरे देशों के साथ ईरान पर भी वहां ध्यान केंद्रित हुआ है। लेकिन ईरान के विशेषज्ञों का कहना है कि पश्चिमी देशों की ये उम्मीद पूरी होने की निकट भविष्य में संभावना नहीं है।

ईरान परमाणु डील के रास्ते में अब एक नई रुकावट रूस की एक मांग से भी पैदा हुई है। पिछले हफ्ते रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने अमेरिका से यह लिखित गारंटी मांगी कि परमाणु डील के पुनर्जीवित होने के बाद रूस के ईरान के साथ व्यापार पर अमेरिका प्रतिबंध नहीं लगाएगा। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य होने के नाते रूस भी परमाणु डील में शामिल एक पक्ष है।

ईरान उठाना चाहता है फायदा

ईरानी विश्लेषकों का कहना है कि यूक्रेन युद्ध से अब तक ईरान पर कोई खास दुष्प्रभाव नहीं हुआ है। बल्कि उसके लिए अनुकूल अवसर पैदा हुए हैं। इन विश्लेषकों के मुताबिक अगर ईरान ने अपने पत्ते ठीक से चले, तो वह नए बने हालात का फायदा उठा सकता है। यूक्रेन युद्ध के कारण रूस पर प्रतिबंधों से ऊर्जा के बाजार में जो खालीपन आया है, उसे वह भरने की स्थिति में होगा। इस समय तेल और गैस की जैसी महंगाई है, उसे देखते हुए अभी इन वस्तुओं के निर्यात में भारी मुनाफा होगा।

ईरान के पास प्राकृतिक गैस का दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा भंडार है। उससे ज्यादा गैस भंडार सिर्फ रूस के पास ही है। इसके अलावा ईरान के पास कच्चे तेल का चौथा सबसे बड़ा भंडार है। लेकिन वर्षों से उस पर पश्चिमी देशों के जारी प्रतिबंधों के कारण ईरान के तेल और गैस उद्योग को भारी क्षति पहुंची है। कुछ जानकारों का कहना है कि अगर परमाणु डील पुनर्जीवित करने पर सहमति बन गई, तो ईरान तेल और गैस का दुनिया में प्रमुख सप्लायर बन कर उभर सकता है। 2015 में ईरान परमाणु समझौता हुआ था। उसके कारण 2016-17 में ईरान ने 12.5 फीसदी की रिकॉर्ड आर्थिक दर हासिल की थी। लेकिन 2017 में अमेरिका इस समझौते से निकल गया और उसने ईरान पर फिर से प्रतिबंध लागू कर दिए।

ज्यादा उत्पादन की क्षमता नहीं

अनुमान है कि अभी ईरान में जितनी गैस का उत्पादन होता है, उसके 80 फीसदी खपत देश के अंदर ही हो जाती है। यानी निर्यात के लिए उसके पास 20 फीसदी गैस ही बचती है। कई विशेषज्ञों की राय है कि प्रतिबंधों के कारण ईरान का एनर्जी इन्फ्रास्ट्रक्चर कमजोर हो चुका है। इसलिए वह तेजी से उत्पान बढ़ाने की स्थिति में नहीं है। इसी कारण कुछ पश्चिमी देश परमाणु डील को हरी झंडी देने की जल्दबाजी में नहीं हैँ।

जर्मनी में बर्लिन स्थित रिसर्च कंसल्टेंसी कंपनी ओरिएंट मैटर्स के प्रबंध निदेशक डेविड जालिवैंड ने कहा है- ‘ईरान में प्राकृतिक गैस क्षेत्र में इन्फ्रास्ट्रक्चर संबंधी गंभीर दिक्कतें हैं। आसपास के कुछ ही देशों के साथ वह पाइपलाइन से जुड़ा हुआ है। अपनी घरेलू मांग को ही पूरा करने के लिए ईरान को संघर्ष करना पड़ता है। उसके पास तेजी से उत्पादन बढ़ाने की क्षमता नहीं है।’

विस्तार

पश्चिमी देशों के कुछ हलकों में ये उम्मीद जताई गई है कि अगर ईरान परमाणु डील को पुनर्जीवित करने पर जल्द समझौता हो जाए, तो उन देशों में तेल और गैस की पैदा हुई कमी का हल निकल सकता है। यूक्रेन पर हमले के बाद इन देशों की तरफ से रूस पर लगाए प्रतिबंधों के कारण पश्चिमी दुनिया में तेल और गैस की महंगाई तेजी से बढ़ी है। उसकी वजह से कई दूसरे देशों के साथ ईरान पर भी वहां ध्यान केंद्रित हुआ है। लेकिन ईरान के विशेषज्ञों का कहना है कि पश्चिमी देशों की ये उम्मीद पूरी होने की निकट भविष्य में संभावना नहीं है।

ईरान परमाणु डील के रास्ते में अब एक नई रुकावट रूस की एक मांग से भी पैदा हुई है। पिछले हफ्ते रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने अमेरिका से यह लिखित गारंटी मांगी कि परमाणु डील के पुनर्जीवित होने के बाद रूस के ईरान के साथ व्यापार पर अमेरिका प्रतिबंध नहीं लगाएगा। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य होने के नाते रूस भी परमाणु डील में शामिल एक पक्ष है।

ईरान उठाना चाहता है फायदा

ईरानी विश्लेषकों का कहना है कि यूक्रेन युद्ध से अब तक ईरान पर कोई खास दुष्प्रभाव नहीं हुआ है। बल्कि उसके लिए अनुकूल अवसर पैदा हुए हैं। इन विश्लेषकों के मुताबिक अगर ईरान ने अपने पत्ते ठीक से चले, तो वह नए बने हालात का फायदा उठा सकता है। यूक्रेन युद्ध के कारण रूस पर प्रतिबंधों से ऊर्जा के बाजार में जो खालीपन आया है, उसे वह भरने की स्थिति में होगा। इस समय तेल और गैस की जैसी महंगाई है, उसे देखते हुए अभी इन वस्तुओं के निर्यात में भारी मुनाफा होगा।

ईरान के पास प्राकृतिक गैस का दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा भंडार है। उससे ज्यादा गैस भंडार सिर्फ रूस के पास ही है। इसके अलावा ईरान के पास कच्चे तेल का चौथा सबसे बड़ा भंडार है। लेकिन वर्षों से उस पर पश्चिमी देशों के जारी प्रतिबंधों के कारण ईरान के तेल और गैस उद्योग को भारी क्षति पहुंची है। कुछ जानकारों का कहना है कि अगर परमाणु डील पुनर्जीवित करने पर सहमति बन गई, तो ईरान तेल और गैस का दुनिया में प्रमुख सप्लायर बन कर उभर सकता है। 2015 में ईरान परमाणु समझौता हुआ था। उसके कारण 2016-17 में ईरान ने 12.5 फीसदी की रिकॉर्ड आर्थिक दर हासिल की थी। लेकिन 2017 में अमेरिका इस समझौते से निकल गया और उसने ईरान पर फिर से प्रतिबंध लागू कर दिए।

ज्यादा उत्पादन की क्षमता नहीं

अनुमान है कि अभी ईरान में जितनी गैस का उत्पादन होता है, उसके 80 फीसदी खपत देश के अंदर ही हो जाती है। यानी निर्यात के लिए उसके पास 20 फीसदी गैस ही बचती है। कई विशेषज्ञों की राय है कि प्रतिबंधों के कारण ईरान का एनर्जी इन्फ्रास्ट्रक्चर कमजोर हो चुका है। इसलिए वह तेजी से उत्पान बढ़ाने की स्थिति में नहीं है। इसी कारण कुछ पश्चिमी देश परमाणु डील को हरी झंडी देने की जल्दबाजी में नहीं हैँ।

जर्मनी में बर्लिन स्थित रिसर्च कंसल्टेंसी कंपनी ओरिएंट मैटर्स के प्रबंध निदेशक डेविड जालिवैंड ने कहा है- ‘ईरान में प्राकृतिक गैस क्षेत्र में इन्फ्रास्ट्रक्चर संबंधी गंभीर दिक्कतें हैं। आसपास के कुछ ही देशों के साथ वह पाइपलाइन से जुड़ा हुआ है। अपनी घरेलू मांग को ही पूरा करने के लिए ईरान को संघर्ष करना पड़ता है। उसके पास तेजी से उत्पादन बढ़ाने की क्षमता नहीं है।’

Source link

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

Gold Import: सोने का आयात 2021 में तेजी से बढ़ा, पिछले साल की तुलना में यहां पहुंचा आंकड़ा Gold Import: सोने का आयात 2021 में तेजी से बढ़ा, पिछले साल की तुलना में यहां पहुंचा आंकड़ा
11
Business

Gold Import: सोने का आयात 2021 में तेजी से बढ़ा, पिछले साल की तुलना में यहां पहुंचा आंकड़ा

To Top
%d bloggers like this: