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यूक्रेन संकट के बीच नाटो का बड़ा प्लान: रूस की सीमा के पास देगा सैनिकों को प्रशिक्षण, 27 देश लेंगे भाग

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, मॉस्को
Published by: संजीव कुमार झा
Updated Sat, 12 Mar 2022 10:10 AM IST

सार

साल 1949 में नाटो के मुख्य सदस्य बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, आइसलैंड, इटली, लक्जमबर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका थे। लेकिन अब सदस्य देशों की संख्या 30  हो गई है।

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रूस और यूक्रेन  में चल रही जंग के बीच नाटो ने बड़ा कदम उठाने का फैसला लिया है। दरअसल, नाटो  के सैनिक और उसके सहयोगी सोमवार से नॉर्वे में एक प्रशिक्षण अभ्यास शुरू करेंगे। इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य नाटो देशों को खुद का बचाव करना है। यह अभ्यास रूस की सीमाओं से कुछ दूर नॉर्वे के पास आयोजित किया जाएगा। इस प्रशिक्षण में  27 देशों के करीब 30,000 सैनिक, 200 विमान और 50 जहाज इस अभ्यास में हिस्सा लेंगे, जो इस साल नाटो सैनिकों की सबसे बड़ी संख्या है। बता दें कि शुक्रवार को, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा था कि वह तीसरे विश्व युद्ध के अंत तक नाटो की रक्षा करेंगे, लेकिन वह यूक्रेन में रूस से लड़कर एक व्यापक संघर्ष को बढ़ाने का जोखिम नहीं उठाएंगे और नो-फ्लाई जोन स्थापित करने से भी इनकार करेंगे।

नॉर्वे और उसके सहयोगियों की सुरक्षा के लिए यह अभ्यास जरूरी: रोजर एनोक्सेन 
यह अभ्यास नॉर्वे और उसके सहयोगियों की सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। हम नॉर्वे के संबद्ध सुदृढीकरण का अभ्यास करेंगे। नॉर्वे के रक्षा मंत्री ऑड ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया। ऑड ने कहा कि नॉर्वे यह परीक्षण करने के लिए इसलिए भी उत्सुक है कि वह नाटो के चार्टर के अनुच्छेद पांच के अनुरूप, अपनी धरती पर मित्र देशों के सुदृढ़ीकरण का प्रबंधन कर सकेगा। यह प्रशिक्षण किसी शक्तिशाली देश द्वारा किए गए हमले से बचाव के लिए सदस्य देशों से सहयोग लेने में मदद करता है। पड़ोसी स्वीडन और फिनलैंड, जो आधिकारिक तौर पर सैन्य गुटनिरपेक्ष लेकिन नाटो के तेजी से करीबी साझेदार हैं, भी प्रशिक्षण में भाग लेंगे, जिसका समापन 1 अप्रैल को होगा।

क्या हैं नाटो ?
गौरतलब है कि जब द्वितीय विश्व युद्ध खत्म हो रहा था और अमेरिका-सोवियत संघ के बीच शीत युद्ध की शुरुआत हो रही थी, तब 1949 में नाटो का गठन हुआ था। शुरुआत में इस संगठन में 12 देश सदस्य थे, जिनकी संख्या अब 30 हो चुकी है। इनमें से कई देश 1991 में सोवियत संघ का विघटन होने के बाद नाटो में शामिल हुए। नाटो के चार्टर में कुल 14 आर्टिकल हैं, जिनमें अनुच्छेद पांच सबसे अहम है। दरअसल, इस नियम के तहत नाटो गारंटी देता है कि उसके किसी सदस्य पर हमला होता है तो वह अपने सामूहिक सैन्य प्रतिक्रिया तंत्र को सक्रिय कर देगा। 

विस्तार

रूस और यूक्रेन  में चल रही जंग के बीच नाटो ने बड़ा कदम उठाने का फैसला लिया है। दरअसल, नाटो  के सैनिक और उसके सहयोगी सोमवार से नॉर्वे में एक प्रशिक्षण अभ्यास शुरू करेंगे। इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य नाटो देशों को खुद का बचाव करना है। यह अभ्यास रूस की सीमाओं से कुछ दूर नॉर्वे के पास आयोजित किया जाएगा। इस प्रशिक्षण में  27 देशों के करीब 30,000 सैनिक, 200 विमान और 50 जहाज इस अभ्यास में हिस्सा लेंगे, जो इस साल नाटो सैनिकों की सबसे बड़ी संख्या है। बता दें कि शुक्रवार को, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा था कि वह तीसरे विश्व युद्ध के अंत तक नाटो की रक्षा करेंगे, लेकिन वह यूक्रेन में रूस से लड़कर एक व्यापक संघर्ष को बढ़ाने का जोखिम नहीं उठाएंगे और नो-फ्लाई जोन स्थापित करने से भी इनकार करेंगे।

नॉर्वे और उसके सहयोगियों की सुरक्षा के लिए यह अभ्यास जरूरी: रोजर एनोक्सेन 

यह अभ्यास नॉर्वे और उसके सहयोगियों की सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। हम नॉर्वे के संबद्ध सुदृढीकरण का अभ्यास करेंगे। नॉर्वे के रक्षा मंत्री ऑड ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया। ऑड ने कहा कि नॉर्वे यह परीक्षण करने के लिए इसलिए भी उत्सुक है कि वह नाटो के चार्टर के अनुच्छेद पांच के अनुरूप, अपनी धरती पर मित्र देशों के सुदृढ़ीकरण का प्रबंधन कर सकेगा। यह प्रशिक्षण किसी शक्तिशाली देश द्वारा किए गए हमले से बचाव के लिए सदस्य देशों से सहयोग लेने में मदद करता है। पड़ोसी स्वीडन और फिनलैंड, जो आधिकारिक तौर पर सैन्य गुटनिरपेक्ष लेकिन नाटो के तेजी से करीबी साझेदार हैं, भी प्रशिक्षण में भाग लेंगे, जिसका समापन 1 अप्रैल को होगा।

क्या हैं नाटो ?

गौरतलब है कि जब द्वितीय विश्व युद्ध खत्म हो रहा था और अमेरिका-सोवियत संघ के बीच शीत युद्ध की शुरुआत हो रही थी, तब 1949 में नाटो का गठन हुआ था। शुरुआत में इस संगठन में 12 देश सदस्य थे, जिनकी संख्या अब 30 हो चुकी है। इनमें से कई देश 1991 में सोवियत संघ का विघटन होने के बाद नाटो में शामिल हुए। नाटो के चार्टर में कुल 14 आर्टिकल हैं, जिनमें अनुच्छेद पांच सबसे अहम है। दरअसल, इस नियम के तहत नाटो गारंटी देता है कि उसके किसी सदस्य पर हमला होता है तो वह अपने सामूहिक सैन्य प्रतिक्रिया तंत्र को सक्रिय कर देगा। 

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