एजेंसी, मुंबई।
Published by: देव कश्यप
Updated Tue, 22 Mar 2022 06:18 AM IST
सार
नारायण राणे ने याचिका में बीएमसी की तरफ से 25 फरवरी, चार मार्च और 16 मार्च को दिए गए नोटिस को विकृत, अवैध और मूल अधिकारों का उल्लंघन बताया है। अदालत आज याचिका पर सुनवाई करेगी।
बॉम्बे हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने सोमवार को बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के नोटिस को रद्द करने की मांग की है। बीएमसी ने राणे और उनके परिवार को उनके जुहू स्थित बंगले के कथित अनधिकृत विस्तार को लेकर नोटिस दिए थे।
राणे ने याचिका में बीएमसी की तरफ से 25 फरवरी, चार मार्च और 16 मार्च को दिए गए नोटिस को विकृत, अवैध और मूल अधिकारों का उल्लंघन बताया है। राणे के वकील अमोघ सिंह ने जस्टिस ए सैयद की पीठ के समक्ष याचिका पर शीघ्र सुनवाई की अपील की। अदालत 22 मार्च को याचिका पर सुनवाई करेगी।
बता दें कि शिवसेना शासित बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने केंद्रीय मंत्री राणे को नोटिस जारी किया था और सात दिन के अंदर जवाब मांगा था। बीएमसी की यह नोटिस उनके जुहू स्थित अधीश बंगले में कथित तौर पर अनधिकृत रूप से किए गए बदलाव को लेकर जारी हुआ था।
बीएमसी की ओर से जारी नोटिस मे कहा गया है कि बंगले में हुए अनधिकृत निर्माण को लेकर उचित कारण बताएं कि आखिर इस तरह का बदलाव क्यों किया गया है। नोटिस में बंगले के भूतल और आठ मंजिलों में से सात में अनधिकृत तौर पर बदलाव किए जाने का उल्लेख किया गया है। बीएमसी के एक अधिकारी का कहना है कि पहली मंजिल से लेकर 8वीं मंजिल (7वीं मंजिल छोड़कर) तक बगीचे की जगह रूम बनवाए गए हैं जबकि नियम के मुताबिक आठ मंजिला बंगले के सभी फ्लोर पर बगीचे का क्षेत्र होना आवश्यक है।
गौरतलब है कि बीएमसी की टीम ने पिछले दिनो समुद्र तटीय नियामक क्षेत्र (सीआरजेड) के मानक के उलंघन के लिए राणे के ‘अधीश’ बंगले का निरीक्षण किया था। उसके बाद राणे को बीएमसी अधिनियम 1888 की धार 351 (1) के तहत नोटिस जारी किया गया है। बीएमसी के-पश्चिम वार्ड के अधिकारी द्वारा जारी नोटिस में कहा है कि बंगले में किए गए परिवर्तन अनुमोदित योजनाओं के अनुरूप नहीं थे। इसलिए बीएमसी अधिनियम की धारा 351(1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए इस संबंध में कारण बताने का निर्देश दिया जाता है कि आखिर इस भवन में हुए बदलावों को क्यों न गिराया जाए।
विस्तार
बॉम्बे हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने सोमवार को बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के नोटिस को रद्द करने की मांग की है। बीएमसी ने राणे और उनके परिवार को उनके जुहू स्थित बंगले के कथित अनधिकृत विस्तार को लेकर नोटिस दिए थे।
राणे ने याचिका में बीएमसी की तरफ से 25 फरवरी, चार मार्च और 16 मार्च को दिए गए नोटिस को विकृत, अवैध और मूल अधिकारों का उल्लंघन बताया है। राणे के वकील अमोघ सिंह ने जस्टिस ए सैयद की पीठ के समक्ष याचिका पर शीघ्र सुनवाई की अपील की। अदालत 22 मार्च को याचिका पर सुनवाई करेगी।
बता दें कि शिवसेना शासित बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने केंद्रीय मंत्री राणे को नोटिस जारी किया था और सात दिन के अंदर जवाब मांगा था। बीएमसी की यह नोटिस उनके जुहू स्थित अधीश बंगले में कथित तौर पर अनधिकृत रूप से किए गए बदलाव को लेकर जारी हुआ था।
बीएमसी की ओर से जारी नोटिस मे कहा गया है कि बंगले में हुए अनधिकृत निर्माण को लेकर उचित कारण बताएं कि आखिर इस तरह का बदलाव क्यों किया गया है। नोटिस में बंगले के भूतल और आठ मंजिलों में से सात में अनधिकृत तौर पर बदलाव किए जाने का उल्लेख किया गया है। बीएमसी के एक अधिकारी का कहना है कि पहली मंजिल से लेकर 8वीं मंजिल (7वीं मंजिल छोड़कर) तक बगीचे की जगह रूम बनवाए गए हैं जबकि नियम के मुताबिक आठ मंजिला बंगले के सभी फ्लोर पर बगीचे का क्षेत्र होना आवश्यक है।
गौरतलब है कि बीएमसी की टीम ने पिछले दिनो समुद्र तटीय नियामक क्षेत्र (सीआरजेड) के मानक के उलंघन के लिए राणे के ‘अधीश’ बंगले का निरीक्षण किया था। उसके बाद राणे को बीएमसी अधिनियम 1888 की धार 351 (1) के तहत नोटिस जारी किया गया है। बीएमसी के-पश्चिम वार्ड के अधिकारी द्वारा जारी नोटिस में कहा है कि बंगले में किए गए परिवर्तन अनुमोदित योजनाओं के अनुरूप नहीं थे। इसलिए बीएमसी अधिनियम की धारा 351(1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए इस संबंध में कारण बताने का निर्देश दिया जाता है कि आखिर इस भवन में हुए बदलावों को क्यों न गिराया जाए।
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