Desh

मद्रास हाईकोर्ट की सलाह: विवि के भ्रष्ट कर्मचारियों को मिले मौत की सजा, गिरती साख पर जताई चिंता

एजेंसी, चेन्नई
Published by: देव कश्यप
Updated Wed, 05 Jan 2022 06:15 AM IST

सार

मद्रास हाईकोर्ट की पीठ ने कहा, मद्रास विवि पुराना गौरव खो रहा है। कर्मचारी जो विश्वविद्यालय की साख से खिलवाड़ करते हुए मेहनत और ईमानदारी के साथ ड्यूटी नहीं कर रहे, उन्हें सेवा से बर्खास्त किया जाना चाहिए और उनकी करतूत को सर्विस रजिस्टर में दर्ज किया जाना चाहिए ताकि उन्हें प्रोन्नति और अन्य लाभ न मिल सके।

मद्रास हाईकोर्ट
– फोटो : सोशल मीडिया

ख़बर सुनें

मद्रास हाईकोर्ट ने मद्रास विश्वविद्यालय की गिरती साख पर चिंता जताते हुए कहा कि भ्रष्ट कर्मचारियों को मौत की सजा दी जानी चाहिए। अदालत की ओर से यह टिप्पणी उस अधिकारी पर की, जिसने धोखाधड़ी कर दो लोगों को सहायक लाइब्रेरियन के पद प्रोन्नत कर दिया।

जस्टिस एस वैद्यनाथन और एए नक्किरन की पीठ ने कहा, मद्रास विवि पुराना गौरव खो रहा है। कर्मचारी जो विश्वविद्यालय की साख से खिलवाड़ करते हुए मेहनत और ईमानदारी के साथ ड्यूटी नहीं कर रहे, उन्हें सेवा से बर्खास्त किया जाना चाहिए और उनकी करतूत को सर्विस रजिस्टर में दर्ज किया जाना चाहिए ताकि उन्हें प्रोन्नति और अन्य लाभ न मिल सके। पीठ ने रिट याचिका पर अंतिम आदेश देते हुए एकल पीठ के 23 अक्तूबर, 2017 के आदेश को खारिज कर दिया।

विश्वविद्यालय की ओर से वीरापंडी और सेल्वी के पदोन्नति के आदेश को भी खारिज कर दिया। एकल पीठ ने याचिकाकर्ता डॉ. एस भास्करन को भी प्रोन्नति देने का आदेश दिया था, जिसे अदालत ने अनुचित माना और कहा कि दो गलत मिलकर कभी भी सही नहीं हो सकते। एकल पीठ का फैसले का ठोस आधार नहीं है। इसलिए किसी को भी इस पद पर प्रोन्नति नहीं दिया जाना चाहिए।

विस्तार

मद्रास हाईकोर्ट ने मद्रास विश्वविद्यालय की गिरती साख पर चिंता जताते हुए कहा कि भ्रष्ट कर्मचारियों को मौत की सजा दी जानी चाहिए। अदालत की ओर से यह टिप्पणी उस अधिकारी पर की, जिसने धोखाधड़ी कर दो लोगों को सहायक लाइब्रेरियन के पद प्रोन्नत कर दिया।

जस्टिस एस वैद्यनाथन और एए नक्किरन की पीठ ने कहा, मद्रास विवि पुराना गौरव खो रहा है। कर्मचारी जो विश्वविद्यालय की साख से खिलवाड़ करते हुए मेहनत और ईमानदारी के साथ ड्यूटी नहीं कर रहे, उन्हें सेवा से बर्खास्त किया जाना चाहिए और उनकी करतूत को सर्विस रजिस्टर में दर्ज किया जाना चाहिए ताकि उन्हें प्रोन्नति और अन्य लाभ न मिल सके। पीठ ने रिट याचिका पर अंतिम आदेश देते हुए एकल पीठ के 23 अक्तूबर, 2017 के आदेश को खारिज कर दिया।

विश्वविद्यालय की ओर से वीरापंडी और सेल्वी के पदोन्नति के आदेश को भी खारिज कर दिया। एकल पीठ ने याचिकाकर्ता डॉ. एस भास्करन को भी प्रोन्नति देने का आदेश दिया था, जिसे अदालत ने अनुचित माना और कहा कि दो गलत मिलकर कभी भी सही नहीं हो सकते। एकल पीठ का फैसले का ठोस आधार नहीं है। इसलिए किसी को भी इस पद पर प्रोन्नति नहीं दिया जाना चाहिए।

Source link

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

To Top
%d bloggers like this: