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ब्रिटेन में दो अध्ययनों के आधार पर दावा: अस्पताल में भर्ती होने वाले ओमिक्रॉन वैरिएंट संक्रमितों की संख्या में आई कमी

एजेंसी, लंदन
Published by: देव कश्यप
Updated Tue, 04 Jan 2022 06:17 AM IST

सार

अमेरिका में स्क्रिप्स रिसर्च ट्रांसलेशनल इंस्टीट्यूट के निदेशक व मॉलिक्यूलर मेडिसिन के प्रोफेसर एरिक टोपोल ने सोशल मीडिया पर दावा किया कि दो डोज ले चुके लोगों में दूसरी डोज के छह महीने बाद टीके का प्रभाव घट कर 52 प्रतिशत ही रह जाता है। जबकि बूस्टर डोज पाए लोगों में प्रतिरोधक क्षमता 52 से बढ़कर 88 प्रतिशत पहुंच जाती है। इसी वजह से अस्पताल में भर्ती होने की आशंका कम हो जाती है।
 

ओमिक्रॉन वैरिएंट (सांकेतिक तस्वीर)
– फोटो : iStock

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कोविड टीके की तीसरी डोज ओमिक्रॉन वैरिएंट के संक्रमितों को अस्पताल में भर्ती होने से 88 प्रतिशत तक बचा सकती है। यह दावा ब्रिटेन में हुए दो अध्ययनों की शुरुआती रिपोर्ट में किया गया है। इसे ब्रिटेन की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी ने जारी किया है।

इसे लेकर अमेरिका में स्क्रिप्स रिसर्च ट्रांसलेशनल इंस्टीट्यूट के निदेशक व मॉलिक्यूलर मेडिसिन के प्रोफेसर एरिक टोपोल ने सोशल मीडिया पर दावा किया कि दो डोज ले चुके लोगों में दूसरी डोज के छह महीने बाद टीके का प्रभाव घट कर 52 प्रतिशत ही रह जाता है। जबकि बूस्टर डोज पाए लोगों में प्रतिरोधक क्षमता 52 से बढ़कर 88 प्रतिशत पहुंच जाती है। इसी वजह से अस्पताल में भर्ती होने की आशंका कम हो जाती है।

पांच लाख ओमिक्रॉन मामलों के आधार पर बनी रिपोर्ट
अध्ययनों में टीका ले चुके व ओमिक्रोन संक्रमितों को अस्पताल में भर्ती करवाने की जरूरत का आकलन हुआ। पहले अध्ययन में हर आयु वर्ग के पांच लाख ओमिक्रॉन संक्रमित शामिल किए। इसने साबित किया कि डेल्टा के मुकाबले ओमिक्रॉन में संक्रमितों को अस्पताल में भर्ती करवाने की जरूरत कम है, बूस्टर डोज देने में यह और भी घट गई। दूसरा अध्ययन 18 से अधिक उम्र के लोगों पर छोटे दायरे में हुआ। इसने पाया कि तीसरी डोज लेने वालों को अस्पताल में भर्ती करवाने की कम जरूरत हुई।

फिर भी बड़ी संख्या में लोग अस्पताल में भर्ती हो सकते हैं
डेल्टा के मुकाबले ओमिक्रॉन मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने का जोखिम एक-तिहाई कम होने के बावजूद आशंका है कि ऐसे लोगों की संख्या अधिक हो सकती है। इसकी वजह नए वैरिएंट का ज्यादा संक्रामक होना भी है।

29 करोड़ संक्रमण के बाद भी टीका प्रभावशाली
टोपोल ने कहा कि दो साल पहले के कोरोना वायरस के आधार पर बने टीके द्वारा नए वैरिएंट पर भी असर दिखाना अच्छी बात है। हमें ध्यान रखना चाहिए कि यह वायरस 29 करोड़ लोगों को संक्रमित कर सैकड़ों बार म्यूटेट हुआ है। इस बार तो म्यूटेशन और भी उच्च स्तर पर हुआ।

10 हफ्ते बाद तीसरी डोज का असर भी घटेगा
रिपोर्ट के अनुसार बूस्टर डोज का असर 10 हफ्ते बाद घटने लगेगा। यह डेल्टा के मुकाबले ओमिक्रॉन के प्रति कम प्रभावी भी रहेगा।

विस्तार

कोविड टीके की तीसरी डोज ओमिक्रॉन वैरिएंट के संक्रमितों को अस्पताल में भर्ती होने से 88 प्रतिशत तक बचा सकती है। यह दावा ब्रिटेन में हुए दो अध्ययनों की शुरुआती रिपोर्ट में किया गया है। इसे ब्रिटेन की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी ने जारी किया है।

इसे लेकर अमेरिका में स्क्रिप्स रिसर्च ट्रांसलेशनल इंस्टीट्यूट के निदेशक व मॉलिक्यूलर मेडिसिन के प्रोफेसर एरिक टोपोल ने सोशल मीडिया पर दावा किया कि दो डोज ले चुके लोगों में दूसरी डोज के छह महीने बाद टीके का प्रभाव घट कर 52 प्रतिशत ही रह जाता है। जबकि बूस्टर डोज पाए लोगों में प्रतिरोधक क्षमता 52 से बढ़कर 88 प्रतिशत पहुंच जाती है। इसी वजह से अस्पताल में भर्ती होने की आशंका कम हो जाती है।

पांच लाख ओमिक्रॉन मामलों के आधार पर बनी रिपोर्ट

अध्ययनों में टीका ले चुके व ओमिक्रोन संक्रमितों को अस्पताल में भर्ती करवाने की जरूरत का आकलन हुआ। पहले अध्ययन में हर आयु वर्ग के पांच लाख ओमिक्रॉन संक्रमित शामिल किए। इसने साबित किया कि डेल्टा के मुकाबले ओमिक्रॉन में संक्रमितों को अस्पताल में भर्ती करवाने की जरूरत कम है, बूस्टर डोज देने में यह और भी घट गई। दूसरा अध्ययन 18 से अधिक उम्र के लोगों पर छोटे दायरे में हुआ। इसने पाया कि तीसरी डोज लेने वालों को अस्पताल में भर्ती करवाने की कम जरूरत हुई।

फिर भी बड़ी संख्या में लोग अस्पताल में भर्ती हो सकते हैं

डेल्टा के मुकाबले ओमिक्रॉन मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने का जोखिम एक-तिहाई कम होने के बावजूद आशंका है कि ऐसे लोगों की संख्या अधिक हो सकती है। इसकी वजह नए वैरिएंट का ज्यादा संक्रामक होना भी है।

29 करोड़ संक्रमण के बाद भी टीका प्रभावशाली

टोपोल ने कहा कि दो साल पहले के कोरोना वायरस के आधार पर बने टीके द्वारा नए वैरिएंट पर भी असर दिखाना अच्छी बात है। हमें ध्यान रखना चाहिए कि यह वायरस 29 करोड़ लोगों को संक्रमित कर सैकड़ों बार म्यूटेट हुआ है। इस बार तो म्यूटेशन और भी उच्च स्तर पर हुआ।

10 हफ्ते बाद तीसरी डोज का असर भी घटेगा

रिपोर्ट के अनुसार बूस्टर डोज का असर 10 हफ्ते बाद घटने लगेगा। यह डेल्टा के मुकाबले ओमिक्रॉन के प्रति कम प्रभावी भी रहेगा।

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