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महाराष्ट्र: मंत्री अब्दुल सत्तार ने शिवसेना-भाजपा गठबंधन के दिए संकेत, सत्ता बंटवारे के लिए बिहार के फॉर्मूले का सुझाव

सार

अब्दुल सत्तार ने कहा कि अगर दिल्ली में भाजपा नेतृत्व चाहे तो कुछ भी हो सकता है। क्योंकि भाजपा ने कनिष्ठ गठबंधन सहयोगी (जदयू) को बिहार में नेतृत्व करने की अनुमति दी है।

उद्धव ठाकरे से मिलते अब्दुल सत्तार।
– फोटो : ANI (फाइल फोटो)

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महाराष्ट्र के मंत्री और शिवसेना नेता अब्दुल सत्तार ने राज्य में एक बार फिर भाजपा-शिवसेना गठबंधन की सरकार के संकेत दिए। अब्दुल सत्तार ने मंगलवार को कहा कि केवल केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ही दोनों दलों के बीच मतभेदों को दूर कर सकते हैं। सत्तार ने राज्य में भाजपा-शिवसेना के बीच सत्ता साझा करने के लिए बिहार के फार्मूले का सुझाव भी दिया।

महाराष्ट्र सरकार में राज्य मंत्री सत्तार ने नई दिल्ली में गडकरी के साथ एक बैठक के बाद यह टिप्पणी की। बैठक के दौरान उन्होंने मराठवाड़ा क्षेत्र में राजमार्ग परियोजनाओं पर चर्चा भी की।

सत्तार ने पीटीआई से कहा, “अगर दिल्ली में भाजपा नेतृत्व चाहे तो कुछ भी हो सकता है। क्योंकि भाजपा ने कनिष्ठ गठबंधन सहयोगी (जदयू) को बिहार में नेतृत्व करने की अनुमति दी है।” 2020 के विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बावजूद भाजपा ने बिहार के मुख्यमंत्री का पद नीतीश कुमार को दिया था।

महाराष्ट्र के सिलोड से विधायक सत्तार ने कहा, “अगर गडकरी भाजपा और शिवसेना के बीच सेतु बनाने का फैसला करते हैं, तो वह मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से संपर्क कर सकते हैं और उनसे अनुरोध कर सकते हैं। केवल उद्धव साहब ही शिवसेना और भाजपा के बीच गठबंधन पर फैसला ले सकते हैं।” 

विधायक ने गडकरी को महाराष्ट्र के एक वरिष्ठ नेता के रूप में भी वर्णित किया, जिनके ठाकरे परिवार के साथ घनिष्ठ संबंध थे। उन्होंने कहा कि गडकरी ने शिवसेना-भाजपा गठबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी जो तीन दशकों से अधिक समय तक चला था।

सत्तार ने आगे कहा कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के मन में गडकरी के लिए बहुत सम्मान है और अगर भाजपा नेता ने इस प्रस्ताव के साथ ठाकरे से संपर्क किया तो प्रक्रिया कुछ आगे बढ़ सकती है।

गौरतलब है कि 2019 के विधानसभा चुनावों के बाद शिवसेना-भाजपा का गठबंधन टूट गया था, जब ठाकरे ने भाजपा पर आरोप लगाया था कि वह मुख्यमंत्री पद को शिवसेना के साथ ढाई साल के लिए साझा करने के अपने वादे से पीछे हट गई। शिवसेना ने बाद में ठाकरे के साथ महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार बनाने के लिए एनसीपी और कांग्रेस के साथ हाथ मिला लिया था, जिससे विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी होते हुए भी भाजपा सत्ता से दूर हो गई थी।

तीन बार विधायक रहे सत्तार ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़ दी थी और तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ बैठक के बाद भाजपा में शामिल होने के लिए तैयार थे। हालांकि, मराठवाड़ा में भाजपा नेताओं के विरोध के बाद, सत्तार शिवसेना में शामिल हो गए और 2019 में राज्य विधानसभा के लिए फिर से चुने गए।

विस्तार

महाराष्ट्र के मंत्री और शिवसेना नेता अब्दुल सत्तार ने राज्य में एक बार फिर भाजपा-शिवसेना गठबंधन की सरकार के संकेत दिए। अब्दुल सत्तार ने मंगलवार को कहा कि केवल केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ही दोनों दलों के बीच मतभेदों को दूर कर सकते हैं। सत्तार ने राज्य में भाजपा-शिवसेना के बीच सत्ता साझा करने के लिए बिहार के फार्मूले का सुझाव भी दिया।

महाराष्ट्र सरकार में राज्य मंत्री सत्तार ने नई दिल्ली में गडकरी के साथ एक बैठक के बाद यह टिप्पणी की। बैठक के दौरान उन्होंने मराठवाड़ा क्षेत्र में राजमार्ग परियोजनाओं पर चर्चा भी की।

सत्तार ने पीटीआई से कहा, “अगर दिल्ली में भाजपा नेतृत्व चाहे तो कुछ भी हो सकता है। क्योंकि भाजपा ने कनिष्ठ गठबंधन सहयोगी (जदयू) को बिहार में नेतृत्व करने की अनुमति दी है।” 2020 के विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बावजूद भाजपा ने बिहार के मुख्यमंत्री का पद नीतीश कुमार को दिया था।

महाराष्ट्र के सिलोड से विधायक सत्तार ने कहा, “अगर गडकरी भाजपा और शिवसेना के बीच सेतु बनाने का फैसला करते हैं, तो वह मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से संपर्क कर सकते हैं और उनसे अनुरोध कर सकते हैं। केवल उद्धव साहब ही शिवसेना और भाजपा के बीच गठबंधन पर फैसला ले सकते हैं।” 

विधायक ने गडकरी को महाराष्ट्र के एक वरिष्ठ नेता के रूप में भी वर्णित किया, जिनके ठाकरे परिवार के साथ घनिष्ठ संबंध थे। उन्होंने कहा कि गडकरी ने शिवसेना-भाजपा गठबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी जो तीन दशकों से अधिक समय तक चला था।

सत्तार ने आगे कहा कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के मन में गडकरी के लिए बहुत सम्मान है और अगर भाजपा नेता ने इस प्रस्ताव के साथ ठाकरे से संपर्क किया तो प्रक्रिया कुछ आगे बढ़ सकती है।

गौरतलब है कि 2019 के विधानसभा चुनावों के बाद शिवसेना-भाजपा का गठबंधन टूट गया था, जब ठाकरे ने भाजपा पर आरोप लगाया था कि वह मुख्यमंत्री पद को शिवसेना के साथ ढाई साल के लिए साझा करने के अपने वादे से पीछे हट गई। शिवसेना ने बाद में ठाकरे के साथ महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार बनाने के लिए एनसीपी और कांग्रेस के साथ हाथ मिला लिया था, जिससे विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी होते हुए भी भाजपा सत्ता से दूर हो गई थी।

तीन बार विधायक रहे सत्तार ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़ दी थी और तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ बैठक के बाद भाजपा में शामिल होने के लिए तैयार थे। हालांकि, मराठवाड़ा में भाजपा नेताओं के विरोध के बाद, सत्तार शिवसेना में शामिल हो गए और 2019 में राज्य विधानसभा के लिए फिर से चुने गए।

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