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भारत-स्वीडन: स्वीडिश राजदूत बोले- हमारा अब भी पितृसत्ता के साथ संघर्ष जारी

एजेंसी, नई दिल्ली।
Published by: Jeet Kumar
Updated Sun, 27 Mar 2022 02:44 AM IST

सार

भारत में यूरोपीय संघ (ईयू) के राजदूत यूगो एस्तुतो ने कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दुनिया अभी तक वास्तविक समानता तक नहीं पहुंची है। 

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भारत में स्वीडन के राजदूत क्लास मोलिन ने कहा है कि दुनिया भर में लैंगिक समानता का प्रतीक स्वीडन अभी भी ‘पितृसत्ता, मानदंडों और मूल्यों’ से जूझ रहा है। उन्होंने कहा कि इस मामले में हमारी सोच के विपरीत विभिन्न देश लगभग एक जैसे हैं। भारत में यूरोपीय संघ (ईयू) के राजदूत यूगो एस्तुतो ने कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दुनिया अभी तक वास्तविक समानता तक नहीं पहुंची है। 

एस्तुतो ने स्वीडन को, पिछले कुछ वर्षों में इस क्षेत्र में यूरोप द्वारा की गई प्रगति का एक ‘उत्कृष्ट उदाहरण’ बताया। स्वीडन ने 10 मार्च को एस्टोनिया से ईयू के ‘जेंडर चैंपियन’ का चक्रीय आधार पर छह माह के लिए नेतृत्व संभाला।

यह एक वैश्विक पहल है जिसका मकसद महिला को सशक्त करना है। यह पूछे जाने पर कि क्या लैंगिक असमानता के मामले में भारत और स्वीडन के बीच कोई समानता है, मोलिन ने कहा, ‘सिर्फ भारत और स्वीडन ही नहीं बल्कि जितना हम सोचते हैं उससे कहीं अधिक और भी देश पारंपरिक और कुछ मायने में एक जैसे हैं।

मोलिन ने कहा, हम निश्चित रूप से अब भी पारंपरिक मानदंडों से जूझ रहे हैं जो हमारे हित में नहीं हैं। मूल रूप से, नैतिकता की बातें करना आसान है, लेकिन हम अभी भी पितृसत्ता, मानदंडों और मूल्यों के साथ संघर्ष कर रहे हैं।

विस्तार

भारत में स्वीडन के राजदूत क्लास मोलिन ने कहा है कि दुनिया भर में लैंगिक समानता का प्रतीक स्वीडन अभी भी ‘पितृसत्ता, मानदंडों और मूल्यों’ से जूझ रहा है। उन्होंने कहा कि इस मामले में हमारी सोच के विपरीत विभिन्न देश लगभग एक जैसे हैं। भारत में यूरोपीय संघ (ईयू) के राजदूत यूगो एस्तुतो ने कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दुनिया अभी तक वास्तविक समानता तक नहीं पहुंची है। 

एस्तुतो ने स्वीडन को, पिछले कुछ वर्षों में इस क्षेत्र में यूरोप द्वारा की गई प्रगति का एक ‘उत्कृष्ट उदाहरण’ बताया। स्वीडन ने 10 मार्च को एस्टोनिया से ईयू के ‘जेंडर चैंपियन’ का चक्रीय आधार पर छह माह के लिए नेतृत्व संभाला।

यह एक वैश्विक पहल है जिसका मकसद महिला को सशक्त करना है। यह पूछे जाने पर कि क्या लैंगिक असमानता के मामले में भारत और स्वीडन के बीच कोई समानता है, मोलिन ने कहा, ‘सिर्फ भारत और स्वीडन ही नहीं बल्कि जितना हम सोचते हैं उससे कहीं अधिक और भी देश पारंपरिक और कुछ मायने में एक जैसे हैं।

मोलिन ने कहा, हम निश्चित रूप से अब भी पारंपरिक मानदंडों से जूझ रहे हैं जो हमारे हित में नहीं हैं। मूल रूप से, नैतिकता की बातें करना आसान है, लेकिन हम अभी भी पितृसत्ता, मानदंडों और मूल्यों के साथ संघर्ष कर रहे हैं।

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