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भारत को मना रहा अमेरिका: पेंटागन बोला- रक्षा क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए हम प्रतिबद्ध, लेकिन रूस पर निर्भरता हतोत्साहित करने वाली

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वाशिंगटन
Published by: प्रांजुल श्रीवास्तव
Updated Sat, 23 Apr 2022 09:54 AM IST

सार

अमेरिकी विदेश विभाग के काउंसलर डेरेक चॉलेट ने कहा था कि  बाइडन प्रशासन भारत के रक्षा क्षेत्र में काम करने के लिए उत्सुक है, क्योंकि भारत अपनी रक्षा क्षमताओं और आपूर्तिकर्ताओं में विविधता लाता है। 

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रक्षा क्षेत्र में भारत और रूस के संबंधों पर एक बार फिर से अमेरिका नजरें टिकाए हुए है। अमेरिकी रक्षा मुख्यालय पेंटागन की ओर से कहा गया है कि, भारत अपनी रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए रूस पर निर्भर है और यह हतोत्साहित करने वाला है। 

पेंटागन के प्रेस सचिव जॉन किर्बी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, हम भारत ही नहीं अन्य देशों के साथ भी बहुत स्पष्ट हैं। हम नहीं चाहते कि कोई भी देश अपनी रक्षा जरूरतों के लिए रूस पर निर्भर रहे। उन्होंने कहा कि भारत के साथ रक्षा साझेदारी के लिए हम प्रतिबद्ध हैं और इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के तरीके तलाशे जा रहे हैंं। उन्होंने कहा कि यह आवश्यक है और हमारे प्रयास जारी रहेंगे।

इससे पहले अमेरिकी विदेश विभाग के काउंसलर डेरेक चॉलेट ने कहा था कि जो बाइडन प्रशासन भारत के रक्षा क्षेत्र में काम करने के लिए उत्सुक है, क्योंकि भारत अपनी रक्षा क्षमताओं और आपूर्तिकर्ताओं में विविधता लाता है। 

चेतावनी के बावजूद भारत ने किया था रूस के साथ समझौता 
अक्टूबर, 2018 में भारत ने रूस के साथ वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली एस-400 को लेकर पांच बिलियन डॉलर का समझौता किया था। इसके बाद अमेरिका की नजरें तिरछी हो गई थीं। तब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर प्रतिबंध लगाने की चेतावनी तक दे डाली थी। इसके बावजूद भारत ने रूस के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जबकि रूस से एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीद के लिए अमेरिका तुर्की पर प्रतिबंध लगा चुका है। 

विस्तार

रक्षा क्षेत्र में भारत और रूस के संबंधों पर एक बार फिर से अमेरिका नजरें टिकाए हुए है। अमेरिकी रक्षा मुख्यालय पेंटागन की ओर से कहा गया है कि, भारत अपनी रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए रूस पर निर्भर है और यह हतोत्साहित करने वाला है। 

पेंटागन के प्रेस सचिव जॉन किर्बी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, हम भारत ही नहीं अन्य देशों के साथ भी बहुत स्पष्ट हैं। हम नहीं चाहते कि कोई भी देश अपनी रक्षा जरूरतों के लिए रूस पर निर्भर रहे। उन्होंने कहा कि भारत के साथ रक्षा साझेदारी के लिए हम प्रतिबद्ध हैं और इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के तरीके तलाशे जा रहे हैंं। उन्होंने कहा कि यह आवश्यक है और हमारे प्रयास जारी रहेंगे।

इससे पहले अमेरिकी विदेश विभाग के काउंसलर डेरेक चॉलेट ने कहा था कि जो बाइडन प्रशासन भारत के रक्षा क्षेत्र में काम करने के लिए उत्सुक है, क्योंकि भारत अपनी रक्षा क्षमताओं और आपूर्तिकर्ताओं में विविधता लाता है। 

चेतावनी के बावजूद भारत ने किया था रूस के साथ समझौता 

अक्टूबर, 2018 में भारत ने रूस के साथ वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली एस-400 को लेकर पांच बिलियन डॉलर का समझौता किया था। इसके बाद अमेरिका की नजरें तिरछी हो गई थीं। तब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर प्रतिबंध लगाने की चेतावनी तक दे डाली थी। इसके बावजूद भारत ने रूस के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जबकि रूस से एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीद के लिए अमेरिका तुर्की पर प्रतिबंध लगा चुका है। 

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