अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली
Published by: देव कश्यप
Updated Thu, 10 Feb 2022 12:13 AM IST
सार
नंदीग्राम में भाजपा कार्यकर्ता देवव्रत मैती की हत्या के मामले में ममता बनर्जी के चुनाव एजेंट व टीएमसी नेता एसके सुपियन को सुप्रीम कोर्ट से अग्रिम जमानत मिल गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद नंदीग्राम में भाजपा कार्यकर्ता देवव्रत मैती की हत्या के मामले में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के चुनाव एजेंट व टीएमसी नेता एसके सुपियन को अग्रिम जमानत दे दी। इस मामले की जांच सीबीआई कर रही है।
जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस अभय एस ओका की पीठ ने शर्तों के साथ सुपियन की अग्रिम जमानत की याचिका को स्वीकार कर लिया। शीर्ष अदालत ने कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुपियन द्वारा दायर याचिका पर दलीलें सुनने के बाद चार फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। हाईकोर्ट ने उनकी जमानत याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था।
शीर्ष अदालत ने पहले उन्हें मामले में गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा प्रदान की थी। अपने हलफनामे में, सीबीआई ने सुपियन की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि उन्होंने हिंदुओं को सबक सिखाने के लिए एक आपराधिक साजिश रची। जिस कारण हिंदुओं ने बड़ी संख्या में भाजपा को वोट दिया, परिणामस्वरूप नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र में टीएमसी उम्मीदवार ममता बनर्जी की हार हुई।
एजेंसी ने दावा किया है कि सुपियन ने कथित तौर पर स्थानीय ग्रामीणों पर हिंसक हमले किए, जिससे देवव्रत मैती की मौत हो गई। कलकत्ता हाईकोर्ट ने चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद राज्य में हुई हत्याओं और यौन उत्पीड़न की विभिन्न घटनाओं की सीबीआई जांच का आदेश दिया था। सुपियन के वकील कपिल सिब्बल ने दावा किया था कि उनके मुवक्किल का नाम न तो पिछले साल मई में अथॉरिटी द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी में और न ही शिकायत में था। साथ ही सीबीआई द्वारा दायर आरोप पत्र में उनका नाम नहीं था।
विस्तार
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद नंदीग्राम में भाजपा कार्यकर्ता देवव्रत मैती की हत्या के मामले में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के चुनाव एजेंट व टीएमसी नेता एसके सुपियन को अग्रिम जमानत दे दी। इस मामले की जांच सीबीआई कर रही है।
जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस अभय एस ओका की पीठ ने शर्तों के साथ सुपियन की अग्रिम जमानत की याचिका को स्वीकार कर लिया। शीर्ष अदालत ने कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुपियन द्वारा दायर याचिका पर दलीलें सुनने के बाद चार फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। हाईकोर्ट ने उनकी जमानत याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था।
शीर्ष अदालत ने पहले उन्हें मामले में गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा प्रदान की थी। अपने हलफनामे में, सीबीआई ने सुपियन की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि उन्होंने हिंदुओं को सबक सिखाने के लिए एक आपराधिक साजिश रची। जिस कारण हिंदुओं ने बड़ी संख्या में भाजपा को वोट दिया, परिणामस्वरूप नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र में टीएमसी उम्मीदवार ममता बनर्जी की हार हुई।
एजेंसी ने दावा किया है कि सुपियन ने कथित तौर पर स्थानीय ग्रामीणों पर हिंसक हमले किए, जिससे देवव्रत मैती की मौत हो गई। कलकत्ता हाईकोर्ट ने चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद राज्य में हुई हत्याओं और यौन उत्पीड़न की विभिन्न घटनाओं की सीबीआई जांच का आदेश दिया था। सुपियन के वकील कपिल सिब्बल ने दावा किया था कि उनके मुवक्किल का नाम न तो पिछले साल मई में अथॉरिटी द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी में और न ही शिकायत में था। साथ ही सीबीआई द्वारा दायर आरोप पत्र में उनका नाम नहीं था।
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