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भड़काऊ भाषण मामला: हरिद्वार के आयोजन पर आईएफएस के 32 पूर्व अधिकारियों का खुला पत्र, कहा- निंदा के लिए दोहरा मानदंड न अपनाएं

हरिद्वार में वर्ग विशेष के खिलाफ दिए गए भड़काऊ भाषणों के मामले में पूर्व सेनाध्यक्षों समेत कई मशहूर लोगों द्वारा कार्रवाई की मांग करने के एक दिन बाद भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) के 32 पूर्व अधिकारियों ने खुला पत्र लिखा है।

आईएफएस के 32 पूर्व अधिकारियों ने कहा है कि किसी भी तरह की हिंसा के आह्वान की निंदा करते समय धर्म, जाति, क्षेत्र या वैचारिक मूल का लिहाज नहीं किया जाना चाहिए। सरकार के खिलाफ सतत निंदा अभियान चलाने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि ऐसी निंदा सभी के लिए होनी चाहिए, न कि कुछ चुनिंदा लोगों के लिए।

कंवल सिब्बल, वीना सीकरी और लक्ष्मी पुरी जैसी मशहूर हस्तियों वाले इस समूह ने एक खुले पत्र में कहा कि ऐसे आह्वान की निंदा करते समय कोई भी दोहरा मानदंड या केवल समूह विशेष की निंदा करना उनके इरादों और नैतिकता पर सवाल खड़े करता है।

उनका आरोप है कि माओवादियों के साथ सहानुभूति रखने वाले कुछ वामपंथी कार्यकर्ताओं का समूह कुछ पूर्व अधिकारियों और पूर्व सैन्य अधिकारियों (ये अपने करियर में सर्वोच्च पदों पर रहे हैं) और मीडिया के एक वर्ग के साथ मिलकर वर्तमान सरकार के खिलाफ देश के कथित लोकतांत्रिक लोकाचार के उल्लंघन का आरोप लगाकर लगातार निंदा अभियान चला रहा है। यह हिंदू विरोधी तत्व के साथ हिंदुत्व विरोधी रूप में बदलता जा रहा है। खुद को धर्मनिरपेक्ष दिखाने वाले, संवैधानिक हैसियत रखने वाले लोगों की ‘नाजीवादी’ और ‘नरसंहार’ जैसी शब्दावली के कारण यह अंतरराष्ट्रीय चर्चा का विषय बनता है और केंद्र सरकार के प्रति विद्वेष का कारण बनता है।

इससे पूर्व, पांच पूर्व सेना प्रमुखों, पूर्व नौकरशाहों और जाने-माने नागरिकों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में उनका ध्यान हाल ही में नफरत फैलाने वाले भाषणों की ओर दिलाते हुए उचित कार्रवाई की मांग की थी। सौ से ज्यादा लोगों के समूह ने साथ ही हाल ही में हरिद्वार में हुए एक कार्यक्रम में हिंसा भड़कने के आह्वान की निंदा की थी।

इसी के जवाब में पूर्व आईएफएस अधिकारियों ने कहा है कि हरिद्वार में हुए कार्यक्रम की सभी सही सोचने वाले लोगों को निंदा करनी चाहिए। ऐसा करने वालों की विचारधारा या राजनीतिक रुझानों का ध्यान नहीं रखा जाना चाहिए। इसके लिए सरकार पर किए जाने वाले हमले एकतरफा और विषम हैं। देश में कहीं भी किसी भी समूह के हिंदू नाम से जारी हरेक वक्तव्य के लिए सरकार को दोष दिया जाता है। ये निंदक समूह दूसरे समुदाय की ओर से ऐसे ही हिंसा के विषैले आह्वान और हिंसा की धमकी को अनदेखा कर देते हैं।

नफरत फैलाने वाले बयान सुनकर हम चुप नहीं रहेंगे
हरिद्वार में 17 दिसंबर से 19 दिसंबर तक आयोजित धर्म संसद में मुसलमानों के खिलाफ नफरत भरे बयान देने वालों के खिलाफ 270 से अधिक लोगों व संगठनों ने कड़ी कार्रवाई की मांग की है। इस पत्र में हस्ताक्षर करने वालों में पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल (सेवानिवृत्त) एल रामदास, राष्ट्रीय सेवा दल के अध्यक्ष डॉ. गणेश देवे,  गीता हरिहरन (लेखिका), अरुणा राय (पूर्व आईएएस), देब मुखर्जी (आईएफएस) जस्टिस एपी साह, जुलियो रिबेरो (पूर्व आईपीएस), टीएम कृष्णा (संगीतकार व लेखक), नंदिता दास (अभिनेत्री), बद्री रैना (लेखक), एसजी वासुदेव (कलाकार), बेला भाटिया (लेखिका एवं मानवाधिकार अधिवक्ता), पामेला फिलिपोस (पत्रकार) और प्रभात पटनायक (प्रोफेसर एमरिटस, जेएनयू) और अन्य जानीमानी हस्तियां हैं।

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