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बाइडन का एक साल: डेमोक्रेटिक पार्टी में चमक लौटाने पर माथापच्ची

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वाशिंगटन
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Mon, 17 Jan 2022 03:19 PM IST

सार

राष्ट्रपति बनने के बाद पहले छह महीनों तक बाइडन के काम से संतुष्ट लोगों की संख्या 50 फीसदी से ऊपर रही। लेकिन बाद के छह महीनों में इसमें तेज गिरावट आई है। सीएनएन के ताजा ओपनियन पोल के मुताबिक सिर्फ 42 फीसदी अमेरिकी बाइडन के कामकाज से संतुष्ट हैं, जबकि 53 फीसदी इससे असंतुष्ट हैं…

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन
– फोटो : पीटीआई (फाइल)

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जो बाइडन बुधवार को राष्ट्रपति के रूप में अपनी पहली सालगिरह उदासी के माहौल में मनाएंगे। इस समय राष्ट्रपति और सत्ताधारी डेमोक्रेटिक पार्टी तमाम बुरी खबरों से घिरी हुई है। राष्ट्रपति के रूप में जो बाइडन के एक साल के कार्यकाल के बारे में जारी सभी जनमत सर्वेक्षणों से डेमोक्रेटिक पार्टी की मुश्किलें बढ़ने के संकेत मिले हैं। इससे ये आम समझ बनी है कि इस साल नवंबर में होने वाले संसदीय चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी की जोरदार वापसी होगी।

टीवी चैनल सीएनएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव के अगले चुनाव के लिए अनेक मौजूद डेमोक्रेटिक सांसदों ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। रिपब्लिकन पार्टी के जितने सदस्यों ने चुनाव से खुद को अलग किया है, उससे दो गुना ज्यादा संख्या में डेमोक्रेटिक सदस्यों ने ऐसा फैसला किया है।

कामकाज से संतुष्ट लोगों की संख्या घटी

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक कोरोना महामारी की नई तेज लहर, महंगाई में लगातार इजाफे और अहम विधेयकों को पारित कराने में राष्ट्रपति की नाकामी ने उनके पहले साल के कार्यकाल के बारे में लोगों के मन में नकारात्मक धारणा बना दी है। जनमत सर्वेक्षणों में इस समय उनके कामकाज से संतुष्ट लोगों की संख्या जितनी कम है, एक साल के कार्यकाल के बाद वैसा बहुत कम राष्ट्रपतियों के साथ हुआ है।

ऐसे में डेमोक्रेटिक पार्टी में ये माथापच्ची शुरू हो गई है कि राष्ट्रपति को लेकर लोगों में फिर से उम्मीद कैसे जगाई जा सकती है। राष्ट्रपति बनने के बाद पहले छह महीनों तक बाइडन के काम से संतुष्ट लोगों की संख्या 50 फीसदी से ऊपर रही। लेकिन बाद के छह महीनों में इसमें तेज गिरावट आई है। सीएनएन के ताजा ओपनियन पोल के मुताबिक सिर्फ 42 फीसदी अमेरिकी बाइडन के कामकाज से संतुष्ट हैं, जबकि 53 फीसदी इससे असंतुष्ट हैं।

बाइडन की गिरी लोकप्रियता का फायदा रिपब्लिकन पार्टी के चरमपंथी धड़े को मिलता हुई दिख रहा है। सीएनएन के एक विश्लेषण में कहा गया है कि दस महीने पहले रिपब्लिकन पार्टी के लिए जो लक्ष्य बहुत मुश्किल समझा जा रहा था, अब वह उसकी पहुंच में दिख रहा है। ये लक्ष्य इस साल के संसदीय चुनावों में दोनों सदनों में बहुमत हासिल कर लेने का है।

बिल्ड बैक बेटर बिल से उम्मीद

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक व्हाइट हाउस और डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता मौजूदा चुनौती से निकलने की रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं। उनमें ये सहमति बनी है कि अगर पार्टी बिल्ड बैक बेटर बिल को सीनेट से पास कराने में सफल हो जाए, तो अभी बनी जन धारणा को पलटा जा सकता है। ये बिल देश में जन कल्याण के कार्यों पर खर्च के लिए बाइडन प्रशासन ने तैयार किया है। लेकिन खुद अपनी पार्टी के दो सीनेटरों के विरोध के कारण वह इसे पारित नहीं करा पाया है।

विश्लेषकों का कहना है कि बीते एक साल में रिपब्लिकन पार्टी ने अपने शासन वाले राज्यों में चुनाव कानूनों को इस तरह बदल दिया है, जिससे उसके लिए अगले चुनाव में काफी अनुकूल स्थिति होगी। डेमोक्रेटिक पार्टी उन कानूनों को पलटने के लिए लाया गया वोटिंग राइट्स बिल भी पारित कराने में अब तक नाकाम रही है। बाइडन समर्थकों का कहना है कि अगर ये बिल पास हो जाए, तो डेमोक्रेटिक पार्टी की संभावनाओं को लेकर गहराई निराशाजनक भावना से उबरने में मदद मिल सकती है।

विस्तार

जो बाइडन बुधवार को राष्ट्रपति के रूप में अपनी पहली सालगिरह उदासी के माहौल में मनाएंगे। इस समय राष्ट्रपति और सत्ताधारी डेमोक्रेटिक पार्टी तमाम बुरी खबरों से घिरी हुई है। राष्ट्रपति के रूप में जो बाइडन के एक साल के कार्यकाल के बारे में जारी सभी जनमत सर्वेक्षणों से डेमोक्रेटिक पार्टी की मुश्किलें बढ़ने के संकेत मिले हैं। इससे ये आम समझ बनी है कि इस साल नवंबर में होने वाले संसदीय चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी की जोरदार वापसी होगी।

टीवी चैनल सीएनएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव के अगले चुनाव के लिए अनेक मौजूद डेमोक्रेटिक सांसदों ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। रिपब्लिकन पार्टी के जितने सदस्यों ने चुनाव से खुद को अलग किया है, उससे दो गुना ज्यादा संख्या में डेमोक्रेटिक सदस्यों ने ऐसा फैसला किया है।

कामकाज से संतुष्ट लोगों की संख्या घटी

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक कोरोना महामारी की नई तेज लहर, महंगाई में लगातार इजाफे और अहम विधेयकों को पारित कराने में राष्ट्रपति की नाकामी ने उनके पहले साल के कार्यकाल के बारे में लोगों के मन में नकारात्मक धारणा बना दी है। जनमत सर्वेक्षणों में इस समय उनके कामकाज से संतुष्ट लोगों की संख्या जितनी कम है, एक साल के कार्यकाल के बाद वैसा बहुत कम राष्ट्रपतियों के साथ हुआ है।

ऐसे में डेमोक्रेटिक पार्टी में ये माथापच्ची शुरू हो गई है कि राष्ट्रपति को लेकर लोगों में फिर से उम्मीद कैसे जगाई जा सकती है। राष्ट्रपति बनने के बाद पहले छह महीनों तक बाइडन के काम से संतुष्ट लोगों की संख्या 50 फीसदी से ऊपर रही। लेकिन बाद के छह महीनों में इसमें तेज गिरावट आई है। सीएनएन के ताजा ओपनियन पोल के मुताबिक सिर्फ 42 फीसदी अमेरिकी बाइडन के कामकाज से संतुष्ट हैं, जबकि 53 फीसदी इससे असंतुष्ट हैं।

बाइडन की गिरी लोकप्रियता का फायदा रिपब्लिकन पार्टी के चरमपंथी धड़े को मिलता हुई दिख रहा है। सीएनएन के एक विश्लेषण में कहा गया है कि दस महीने पहले रिपब्लिकन पार्टी के लिए जो लक्ष्य बहुत मुश्किल समझा जा रहा था, अब वह उसकी पहुंच में दिख रहा है। ये लक्ष्य इस साल के संसदीय चुनावों में दोनों सदनों में बहुमत हासिल कर लेने का है।

बिल्ड बैक बेटर बिल से उम्मीद

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक व्हाइट हाउस और डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता मौजूदा चुनौती से निकलने की रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं। उनमें ये सहमति बनी है कि अगर पार्टी बिल्ड बैक बेटर बिल को सीनेट से पास कराने में सफल हो जाए, तो अभी बनी जन धारणा को पलटा जा सकता है। ये बिल देश में जन कल्याण के कार्यों पर खर्च के लिए बाइडन प्रशासन ने तैयार किया है। लेकिन खुद अपनी पार्टी के दो सीनेटरों के विरोध के कारण वह इसे पारित नहीं करा पाया है।

विश्लेषकों का कहना है कि बीते एक साल में रिपब्लिकन पार्टी ने अपने शासन वाले राज्यों में चुनाव कानूनों को इस तरह बदल दिया है, जिससे उसके लिए अगले चुनाव में काफी अनुकूल स्थिति होगी। डेमोक्रेटिक पार्टी उन कानूनों को पलटने के लिए लाया गया वोटिंग राइट्स बिल भी पारित कराने में अब तक नाकाम रही है। बाइडन समर्थकों का कहना है कि अगर ये बिल पास हो जाए, तो डेमोक्रेटिक पार्टी की संभावनाओं को लेकर गहराई निराशाजनक भावना से उबरने में मदद मिल सकती है।

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