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पाक का दावा: UNSC में रूस के खिलाफ मतदान के लिए बनाया गया था दबाव, इमरान बोले- क्या भारत को भी लिखा पत्र?

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, इस्लामाबाद
Published by: संजीव कुमार झा
Updated Mon, 07 Mar 2022 08:10 AM IST

सार

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने दावा किया है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उनपर यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रामकता की निंदा करने के लिए दबाव बनाया गया था।

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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के मतदान में यूक्रेन के खिलाफ रूस की निंदा करने के लिए पाकिस्तान पर दबाव डालने के लिए यूरोपीय यूनियन के राजदूतों को फटकार लगाई। 22 राजनयिक मिशनों के प्रमुखों द्वारा जारी संयुक्त पत्र के जवाब में इमरान खान ने कहा कि पाकिस्तान पश्चिम का गुलाम नहीं है, कि जो कहोगे वो करेंगे। मैं यूरोपीय संघ के राजदूतों से पूछना चाहता हूं, क्या आपने भारत को भी ऐसा पत्र लिखकर दवाब बनाया था क्या? क्या आपने इसी तरह की नाराजगी भारत से भी जताई थी?  इमरान खान ने आगे कहा कि अब हम कोई गलती करने वाले नहीं हैं क्योंकि पाकिस्तान को इससे हर बार नुकसान होता है। इमरान बोले पिछली बार हमने अफगानिस्तान में पश्चिमी नाटो गठबंधन का समर्थन किया था और इसका खामियाजा भुगतना पड़ा था। तुम हमारे बारे में क्या सोचते हो? क्या हम तुम्हारे गुलाम हैं… कि जो कुछ तुम कहोगे, हम करेंगे? 

हम किसी कैंप से नहीं बल्कि हम तटस्थ हैं: इमरान
अमेरिका, रूस, चीन और यूरोप के साथ हमारी दोस्ती है। हम किसी कैंप में नहीं हैं। चूंकि हम तटस्थ हैं, हम यूक्रेन में इस युद्ध को समाप्त करने के प्रयास के लिए इन देशों के साथ सहयोग करने का प्रयास करेंगे। बता दें कि जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन पर विशेष सैन्य अभियान को अधिकृत किया तो इमरान खान की मॉस्को यात्रा की आलोचना हुई। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव पर पाकिस्तान ने परहेज किया।

क्या है मामला?
1 मार्च को, जर्मनी और फ्रांस सहित पाकिस्तान में विभिन्न विदेशी मिशनों के प्रमुखों ने 25 फरवरी के यूएनएससी प्रस्ताव को याद करते हुए एक संयुक्त पत्र लिखा था। राजनयिकों के अनुसार, पत्र को सार्वजनिक रूप से जारी करने का कदम दुर्लभ था। यह पत्र ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, बुल्गारिया, चेक गणराज्य, डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी, ग्रीस, हंगरी, इटली, पुर्तगाल, पोलैंड, रोमानिया, स्पेन, स्वीडन, नीदरलैंड, जापान, नॉर्वे और स्विटजरलैंड के राजदूतों द्वारा हस्ताक्षरित किया गया था। पाकिस्तान में यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख ने कहा कि प्रस्ताव का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर यूक्रेन की संप्रभुता, स्वतंत्रता, एकता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति प्रतिबद्धता की पुष्टि करना था और रूस की आक्रामकता की कड़ी निंदा करना था।  

विस्तार

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के मतदान में यूक्रेन के खिलाफ रूस की निंदा करने के लिए पाकिस्तान पर दबाव डालने के लिए यूरोपीय यूनियन के राजदूतों को फटकार लगाई। 22 राजनयिक मिशनों के प्रमुखों द्वारा जारी संयुक्त पत्र के जवाब में इमरान खान ने कहा कि पाकिस्तान पश्चिम का गुलाम नहीं है, कि जो कहोगे वो करेंगे। मैं यूरोपीय संघ के राजदूतों से पूछना चाहता हूं, क्या आपने भारत को भी ऐसा पत्र लिखकर दवाब बनाया था क्या? क्या आपने इसी तरह की नाराजगी भारत से भी जताई थी?  इमरान खान ने आगे कहा कि अब हम कोई गलती करने वाले नहीं हैं क्योंकि पाकिस्तान को इससे हर बार नुकसान होता है। इमरान बोले पिछली बार हमने अफगानिस्तान में पश्चिमी नाटो गठबंधन का समर्थन किया था और इसका खामियाजा भुगतना पड़ा था। तुम हमारे बारे में क्या सोचते हो? क्या हम तुम्हारे गुलाम हैं… कि जो कुछ तुम कहोगे, हम करेंगे? 

हम किसी कैंप से नहीं बल्कि हम तटस्थ हैं: इमरान

अमेरिका, रूस, चीन और यूरोप के साथ हमारी दोस्ती है। हम किसी कैंप में नहीं हैं। चूंकि हम तटस्थ हैं, हम यूक्रेन में इस युद्ध को समाप्त करने के प्रयास के लिए इन देशों के साथ सहयोग करने का प्रयास करेंगे। बता दें कि जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन पर विशेष सैन्य अभियान को अधिकृत किया तो इमरान खान की मॉस्को यात्रा की आलोचना हुई। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव पर पाकिस्तान ने परहेज किया।

क्या है मामला?

1 मार्च को, जर्मनी और फ्रांस सहित पाकिस्तान में विभिन्न विदेशी मिशनों के प्रमुखों ने 25 फरवरी के यूएनएससी प्रस्ताव को याद करते हुए एक संयुक्त पत्र लिखा था। राजनयिकों के अनुसार, पत्र को सार्वजनिक रूप से जारी करने का कदम दुर्लभ था। यह पत्र ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, बुल्गारिया, चेक गणराज्य, डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी, ग्रीस, हंगरी, इटली, पुर्तगाल, पोलैंड, रोमानिया, स्पेन, स्वीडन, नीदरलैंड, जापान, नॉर्वे और स्विटजरलैंड के राजदूतों द्वारा हस्ताक्षरित किया गया था। पाकिस्तान में यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख ने कहा कि प्रस्ताव का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर यूक्रेन की संप्रभुता, स्वतंत्रता, एकता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति प्रतिबद्धता की पुष्टि करना था और रूस की आक्रामकता की कड़ी निंदा करना था।  

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