वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, इस्लामाबाद
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Sat, 26 Mar 2022 07:09 PM IST
सार
पाकिस्तान के कई राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि जिस तरह सदन को तीन दिन के लिए स्थगित किया गया, उससे प्रधानमंत्री खान का यह दावा कमजोर दिखने लगा है कि अभी भी उनके साथ बहुमत है। ऐसे में मध्यावधि चुनाव की संभावना चर्चा में आ गई है…
पाकिस्तान में मध्यावधि चुनाव की संभावना अब मजबूत मानी जा रही है। ये कयास जोरों पर है कि अगर प्रधानमंत्री इमरान खान को अविश्वास प्रस्ताव पर बहुमत पाने का भरोसा नहीं हुआ, तो वे नेशनल असेंबली को भंग कर नया चुनाव कराने की सिफारिश कर सकते हैं। गृह मंत्री शेख रशीद अहमद दो बार समय से पहले संसदीय चुनाव की संभावना जता चुके हैं।
विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा और मतदान के लिए नेशनल असेंबली का सत्र 25 मार्च को शुरू हुआ। लेकिन सदन के एक मृत सदस्य को श्रद्धांजलि देने के बाद स्पीकर ने कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी। इससे अविश्वास प्रस्ताव पर सांसदों का समर्थन जुटाने के लिए प्रधानमंत्री इमरान खान को तीन दिन का और वक्त मिल गया है। खबरों के मुताबिक सत्ताधारी तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने अपने नाराज सांसदों और सहयोगी दलों को मनाने की कोशिश में पूरी ताकत झोंक दी है।
तीन से सात दिन के अंदर मतदान कराने का प्रावधान
पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 95 के मुताबिक नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव पेश होने के बाद तीन से सात दिन के अंदर उस पर मतदान कराने का प्रावधान है। इस तह अगर 28 मार्च को प्रस्ताव पेश होता है, तो उस पर 31 मार्च से पहले मतदान नहीं होगा। इसका मतलब है कि पीटीआई के पास बहुमत जुटाने के लिए अभी चार दिन का वक्त है।
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक सोमवार को भी अविश्वास प्रस्ताव पेश हो जाएगा, यह अभी निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता। ये अंदेशा जताया गया है कि उस रोज भी स्पीकर इसे टालने का कोई तकनीकी बहाना ढूंढ सकते हैं। इस बीच शुक्रवार को यह जरूर जाहिर हुआ कि विपक्षी दल इमरान खान सरकार को सत्ता से हटाने के अपने इरादे पर गंभीर हैं। नेशनल असेंबली का सत्र शुरू होने के समय विपक्ष के 162 में से 159 सदस्य सदन में मौजूद थे।
सत्ताधारी पीटीआई के लगभग दो दर्जन सांसदों के पाला बदलने और दो सहयोगी दलों के साथ छोड़ने की घोषणा के बाद अब सदन में इमरान खान सरकार के समर्थकों की संख्या अधिक से अधिक 155 मानी जा रही है। ऐसे में अगर यही समीकरण रहा, तो सरकार का गिरना तय है। विपक्ष की चिंता सिर्फ यह है कि असंतुष्ट सांसदों और सहयोगी दलों को मनाने की पीटीआई की कोशिशें कहीं कामयाब न हो जाएं।
स्पीकर ने नहीं बोलने दिया विपक्ष के नेता को
पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में यह परंपरा है कि विपक्ष के नेता जब कभी बोलने के लिए खड़े हों, तो उन्हें इसका अवसर दिया जाता है। लेकिन इस परंपरा को तोड़ते हुए शुक्रवार को स्पीकर ने विपक्ष के नेता शाहबाज शरीफ को नहीं बोलने दिया। इससे खफा हुए विपक्षी सांसदों ने सदन के बाहर प्रेस कांफ्रेंस कर स्पीकर पर अविश्वास प्रस्ताव को टालने की कोशिश में सरकार का साथ देने का आरोप लगाया।
अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने पाकिस्तान के कई राजनीतिक विश्लेषकों के हवाले से अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि जिस तरह सदन को तीन दिन के लिए स्थगित किया गया, उससे प्रधानमंत्री खान का यह दावा कमजोर दिखने लगा है कि अभी भी उनके साथ बहुमत है। ऐसे में मध्यावधि चुनाव की संभावना चर्चा में आ गई है। हालांकि अविश्वास प्रस्ताव के बीच इमरान खान सरकार की सिफारिश को राष्ट्रपति मानेंगे या नहीं, इसको लेकर भी कयास लगाए जा रहे हैं।
विस्तार
पाकिस्तान में मध्यावधि चुनाव की संभावना अब मजबूत मानी जा रही है। ये कयास जोरों पर है कि अगर प्रधानमंत्री इमरान खान को अविश्वास प्रस्ताव पर बहुमत पाने का भरोसा नहीं हुआ, तो वे नेशनल असेंबली को भंग कर नया चुनाव कराने की सिफारिश कर सकते हैं। गृह मंत्री शेख रशीद अहमद दो बार समय से पहले संसदीय चुनाव की संभावना जता चुके हैं।
विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा और मतदान के लिए नेशनल असेंबली का सत्र 25 मार्च को शुरू हुआ। लेकिन सदन के एक मृत सदस्य को श्रद्धांजलि देने के बाद स्पीकर ने कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी। इससे अविश्वास प्रस्ताव पर सांसदों का समर्थन जुटाने के लिए प्रधानमंत्री इमरान खान को तीन दिन का और वक्त मिल गया है। खबरों के मुताबिक सत्ताधारी तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने अपने नाराज सांसदों और सहयोगी दलों को मनाने की कोशिश में पूरी ताकत झोंक दी है।
तीन से सात दिन के अंदर मतदान कराने का प्रावधान
पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 95 के मुताबिक नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव पेश होने के बाद तीन से सात दिन के अंदर उस पर मतदान कराने का प्रावधान है। इस तह अगर 28 मार्च को प्रस्ताव पेश होता है, तो उस पर 31 मार्च से पहले मतदान नहीं होगा। इसका मतलब है कि पीटीआई के पास बहुमत जुटाने के लिए अभी चार दिन का वक्त है।
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक सोमवार को भी अविश्वास प्रस्ताव पेश हो जाएगा, यह अभी निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता। ये अंदेशा जताया गया है कि उस रोज भी स्पीकर इसे टालने का कोई तकनीकी बहाना ढूंढ सकते हैं। इस बीच शुक्रवार को यह जरूर जाहिर हुआ कि विपक्षी दल इमरान खान सरकार को सत्ता से हटाने के अपने इरादे पर गंभीर हैं। नेशनल असेंबली का सत्र शुरू होने के समय विपक्ष के 162 में से 159 सदस्य सदन में मौजूद थे।
सत्ताधारी पीटीआई के लगभग दो दर्जन सांसदों के पाला बदलने और दो सहयोगी दलों के साथ छोड़ने की घोषणा के बाद अब सदन में इमरान खान सरकार के समर्थकों की संख्या अधिक से अधिक 155 मानी जा रही है। ऐसे में अगर यही समीकरण रहा, तो सरकार का गिरना तय है। विपक्ष की चिंता सिर्फ यह है कि असंतुष्ट सांसदों और सहयोगी दलों को मनाने की पीटीआई की कोशिशें कहीं कामयाब न हो जाएं।
स्पीकर ने नहीं बोलने दिया विपक्ष के नेता को
पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में यह परंपरा है कि विपक्ष के नेता जब कभी बोलने के लिए खड़े हों, तो उन्हें इसका अवसर दिया जाता है। लेकिन इस परंपरा को तोड़ते हुए शुक्रवार को स्पीकर ने विपक्ष के नेता शाहबाज शरीफ को नहीं बोलने दिया। इससे खफा हुए विपक्षी सांसदों ने सदन के बाहर प्रेस कांफ्रेंस कर स्पीकर पर अविश्वास प्रस्ताव को टालने की कोशिश में सरकार का साथ देने का आरोप लगाया।
अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने पाकिस्तान के कई राजनीतिक विश्लेषकों के हवाले से अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि जिस तरह सदन को तीन दिन के लिए स्थगित किया गया, उससे प्रधानमंत्री खान का यह दावा कमजोर दिखने लगा है कि अभी भी उनके साथ बहुमत है। ऐसे में मध्यावधि चुनाव की संभावना चर्चा में आ गई है। हालांकि अविश्वास प्रस्ताव के बीच इमरान खान सरकार की सिफारिश को राष्ट्रपति मानेंगे या नहीं, इसको लेकर भी कयास लगाए जा रहे हैं।
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