एजेंसी, पेशावर
Published by: Kuldeep Singh
Updated Sat, 25 Dec 2021 01:16 AM IST
सार
पाकिस्तान में पेशावर हाईकोर्ट ने सिख समुदाय की तरफ से लगाई गई याचिका पर अपने साथ कृपाण रखने के लिए लाइसेंस जारी करने का आदेश दिया है। इसे लेकर लेकर सिख संगठनों में नाराजगी है क्योंकि कृपाण सिख धर्म का प्रतीक है और यह पांच ककारों में शामिल है। ऐसे में इसे रखना उनका धार्मिक आजादी का अधिकार है और इसे हथियारों से जोड़कर देखना अनुचित है।
ख़बर सुनें
विस्तार
पाकिस्तान में कृपाण को हथियार मानने से सिख असंतुष्ट
एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, पेशावर सिख समुदाय की तरफ से अक्तूबर 2020 में पाकिस्तान के चारों प्रांतों के उच्च न्यायालयों में एक याचिका दायर कर अदालत परिसर समेत सभी सरकारी संस्थानों में कृपाण को साथ रखने की अनुमति मांगी गई थी। यह फैसला इसी कड़ी में 22 दिसंबर को आया है।
पेशावर हाईकोर्ट ने 2012 की हथियार नीति के तहत लाइसेंस के साथ ही तलवार रखने की भी अनुमति दी है। लेकिन इस फैसले से पाकिस्तानी सिख समुदाय संतुष्ट नहीं है। उनका मानना है कि कृपाण उनके धर्म के साथ-साथ उनके जिस्म का भी अहम हिस्सा है और उसे हथियारों के साथ जोड़ने से उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं। सिखों का कहना है कि सिख समुदाय दुनिया भर में एक शांतिपूर्ण कौम के रूप में पहचाना जाता है और सिखों ने कभी भी कृपाण का इस्तेमाल किसी की जान लेने के लिए नहीं किया है।
सुप्रीम कोर्ट से पुनर्विचार का अनुरोध
सिखों का मानना है कि तलवार का लाइसेंस उनके लिए आसानी नहीं बल्कि मुश्किल का सबब बनेगा। सिख समुदाय ने चिंता जताई कि कृपाण पर लाइसेंस परमिट जारी करने की फीस और कई अन्य कानून लगाए जाएंगे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से इस फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध भी किया है। उनका कहना है कि सिख उम्मीद कर रहे हैं कि अदालत इस पर संवेदना के साथ ध्यान देगी।
विश्व में कृपाण की कानूनी स्थिति
भारत के कानून का अनुच्छेद-25 सिखों को धार्मिक आजादी देते हुए कृपाण रखने की अनुमति देता है। यही नहीं भारत में सिख 6 फुट लंबी तलवार भी आजादी से अपने साथ रख सकते हैं। ऐसे ही कई मामलों के तहत 2006 में सिखों को कनाडा, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया समेत यूरोप के हवाई अड्डों और दूसरे सार्वजनिक स्थानों पर धार्मिक आजादी के तहत कृपाण रखने की कानूनी अनुमति दे दी गई है।
ईशनिंदा के आरोप में पाकिस्तानी शख्स को मौत की सजा
पाकिस्तान की एक स्थानीय अदालत ने खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के चारसद्दा जिले के 42 वर्षीय बशीर मस्तानन को इंटरनेट पर एक वीडियो अपलोड कर ईशनिंदा करने का दोषी ठहराया है। उसे मौत की सजा सुनाई गई है। द डॉन अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने बशीर को मौत की सजा सुनाते हुए आदेश दिया कि जब तक पेशावर हाईकोर्ट इसकी पुष्टि नहीं कर देता, तब तक सजा को निष्पादित नहीं किया जाए। कथित तौर पर, वायरल हुए वीडियो में संदिग्ध को अपने नबी होने का झूठा दावा करते दिखाया गया है। इस वीडियो के कारण लोगों में आक्रोश फैल गया था।