द न्यूज इंटरनेशनल ने अपनी एक रिपोर्ट में यह दावा किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि गिलगित बाल्टिस्तान (जीबी) के शीर्ष न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश राणा एम शमीम ने एक नोटरीकृत हलफनामे में माना है कि वह पाकिस्तान के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश निसार के इस निर्देश के गवाह थे। यह निर्देश इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अमीर फारूक को दिया गया था।
निर्देश साफ था कि नवाज शरीफ और मरियम नवाज शरीफ को आम चुनाव खत्म होने तक जेल में रहना चाहिए। पूर्व शीर्ष न्यायाधीश के हलफनामे के अनुसार, निर्देश सुनने के बाद जब दूसरी ओर से आश्वासन मिला तब उन्हें (निसार) तसल्ली हुई और उन्होंने खुशी-खुशी एक और कप चाय भी मांगी।
रिपोर्ट के अनुसार, शमीम ने यह बयान 10 नवंबर को नोटरी के समक्ष शपथ के तहत दिया गया था। हलफनामे को गिलगित बाल्टिस्तान के पूर्व मुख्य न्यायाधीश के हस्ताक्षर के साथ विधिवत नोटरीकृत किया गया था, इसमें उनके राष्ट्रीय पहचान पत्र की एक प्रतिछाया भी शामिल है।
25 जुलाई, 2018 के आम चुनाव से पहले शरीफ और मरियम दोनों को एवेनफील्ड भ्रष्टाचार मामले में एक अदालत ने दोषी ठहराया था। उनके वकीलों ने दोषसिद्धि के निलंबन के लिए ऊपरी अदालत का रुख किया था, लेकिन प्रारंभिक सुनवाई के बाद मामला जुलाई के अंतिम सप्ताह तक के लिए टाल दिया गया था।
द न्यूज इंटरनेशनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उसने जब बीते रविवार को व्हाट्सएप कॉल के माध्यम से शमीम से संपर्क किया, तो उन्होंने हलफनामे की पुष्टि की और मोबाइल पर बयान की पुष्टि करने वाला एक संदेश (एसएमएस) भी भेजा।
हालांकि, पूर्व मुख्य न्यायाधीश निसार ने स्पष्ट रूप से इस बात से इनकार किया कि उन्होंने अपने किसी भी अधीनस्थ न्यायाधीश को किसी भी न्यायिक आदेश के संबंध में निर्देश दिया था, चाहे वह शरीफ, शहबाज शरीफ, मरियम नवाज या किसी और से संबंधित हो।
इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने आज किया तलब
इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अतहर मिनल्लाह ने जीबी के पूर्व मुख्य न्यायाधीश पर लगाए गए आरोपों और रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए जंग ग्रुप के प्रधान संपादक मीर शकीलुर रहमान, संपादक आमिर गौरी, पत्रकार अंसार अब्बासी और जीबी के पूर्व न्यायाधीश शमीम मंगलवार को तलब कर लिया है।
मिनल्लाह ने कहा कि रिपोर्ट ‘इस अदालत और इसके न्यायाधीशों की निष्पक्षता और स्वतंत्रता में जनता के विश्वास को कमजोर करने के लिए प्रकाशित की गई’, यह कहते हुए उन्होंने इसे एक लंबित मामले में पूर्वाग्रह से ग्रसित बताया। अदालत ने प्रतिवादियों को यह बताने का भी निर्देश दिया कि उनके खिलाफ अदालत की अवमानना का मामला क्यों नहीं चलाया जा सकता।
इस बीच, पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (पीएमएल-एन) ने रिपोर्ट पर अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि शरीफ राजनीतिक प्रतिशोध का शिकार थे। पीएमएल-एन के अध्यक्ष शहबाज शरीफ ने इस संबंध में एक ट्वीट भी किया। उन्होंने लिखा कि यह जनता की अदालत में नवाज शरीफ और मरियम जीत का प्रमाण है।
धन के स्रोत का खुलासा करें शरीफ : चौधरी
सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने कहा कि इस देश में मसखरों का यह कैसा अभियान है और क्या साबित करना चाहते हैं कि नवाज को प्रताड़ित किया जा रहा है। चौधरी ने आरोपों को मूर्खतापूर्ण और साजिश की कहानियों को गढ़ने के प्रयासों के हिस्से का रूप बताते हुए शरीफ से लंदन में एवेनफील्ड अपार्टमेंट के लिए धन के स्रोत का खुलासा करने के लिए कहा, जिसके लिए उन्हें सजा सुनाई गई थी।
अगस्त में अपदस्थ प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने एक पाकिस्तानी अदालत से कहा था कि वह देश नहीं लौट सकते, क्योंकि डॉक्टरों ने उन्हें हवाई यात्रा टालने और स्वास्थ्य सुविधाओं के करीब रहने की सलाह दी है, जब तक कि कोविड-19 का खतरा खत्म नहीं हो जाता। शरीफ के पासपोर्ट की अवधि इसी साल फरवरी में समाप्त हो गई थी। सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी की सरकार ने पहले उन्हें एक नया राजनयिक पासपोर्ट जारी करने का अनुरोध ठुकरा दिया था।