वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, काठमांडो
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Tue, 07 Dec 2021 07:42 PM IST
सार
पर्यवेक्षकों के मुताबिक सबसे ज्यादा दाम नाइट्रोजन उर्वरकों के बढ़े हैं। जबकि ये उर्वरक फसल की मात्रा बढ़ाने के लिए जरूरी समझे जाते हैं। नेपाल में यूरिया एक साल पहले 390 डॉलर प्रति टन के हिसाब से मिल रहा था। अब ये कीमत 1,025 डॉलर तक पहुंच चुकी है…
नेपाल को एक साथ कई आर्थिक मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। नवंबर लगातार ऐसा तीसरा महीना रहा, जब विदेशों से कमा कर नेपाल भेजी जाने वाली रकम में गिरावट आई। पर्यटन उद्योग भी लगभग ठप हैं। इससे देश का विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से खत्म हो रहा है। इसके साथ ही अब देश में उर्वरकों की भारी किल्लत हो गई है।
खाद की कमी से पैदा हो सकता है खाद्य संकट
जानकारों का कहना है कि खाद की किल्लत दो महीने पहले ही नजर आने लगी थी। अब इस समस्या ने गंभीर रूप ले लिया है। अब आशंका जताई जा रही है कि देश में खाद का मौजूद भंडार अगले कुछ महीनों में शून्य हो जाएगा। उसका बहुत खराब असर खेती पर पड़ेगा। उससे नेपाल में खाद्य संकट पैदा हो सकता है।
खाद की कमी की वजह से किसानों को कैसी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, इस बारे में नेपाली मीडिया में लगातार खबरें छप रही हैं। इसके मुताबिक सरकार से अधिकृत एजेंसी से उचित मूल्य पर डीएपी खरीदने के लिए किसानों को कई चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक हजारों ऐसे किसान हैं, जिन्होंने फसल बुवाई की पूरी तैयारी कर रखी है, लेकिन खाद ना मिलने के कारण उन्हें इसमें देर करनी पड़ रही है।
अर्थशास्त्रियों ने ध्यान दिलाया है कि नेपाल में पहले से ही लगभग साढ़े 17 फीसदी आबादी गरीबी रेखा के नीचे है। अब अगर फसल अच्छी नहीं हुई, तो उससे छोटे किसानों की आमदनी पर बुरा असर पड़ेगा। नेपाल के कुल किसानों में 60 फीसदी हिस्सा छोटे किसानों का है। अर्थशास्त्री केशव आचार्य ने अखबार काठमांडू पोस्ट से कहा- ‘पूरी तस्वीर खराब नजर आ रही है। ये साफ दिख रहा है कि अगर अभी मजबूत योजना नहीं बनाई गई, तो देश की अर्थव्यवस्था विनाश की तरफ बढ़ जाएगी।’
यूरिया का भाव 390 डॉलर से 1025 डॉलर तक पहुंचा
पर्यवेक्षकों के मुताबिक सबसे ज्यादा दाम नाइट्रोजन उर्वरकों के बढ़े हैं। जबकि ये उर्वरक फसल की मात्रा बढ़ाने के लिए जरूरी समझे जाते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक रासायनिक खादों की आपूर्ति में जल्द सुधार की आशा नहीं है। खाद सप्लाई करने वाली कंपनी सॉल्ट ट्रेडिंग कॉरपोरेशन के उप महानिदेशक पंकज जोशी ने काठमांडू पोस्ट से कहा कि धनी देशों में खाद की कमी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में नेपाल जैसे देश में इसकी सप्लाई जल्द सुधरेगी, इसकी संभावना बहुत कम है। उन्होंने बताया कि नेपाल में यूरिया एक साल पहले 390 डॉलर प्रति टन के हिसाब से मिल रहा था। अब ये कीमत 1,025 डॉलर तक पहुंच चुकी है। इसी तरह डीएपी का भाव पिछले साल नवंबर में 375 डॉलर प्रति टन था, जो अब 1,125 डॉलर है।
नेपाल सरकार उर्वरकों की कीमत के 90 फीसदी के बराबर सब्सिडी देती है। इसलिए खाद की महंगाई का सीधा असर सरकारी खजाने पर पड़ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ी गैस की कीमत के कारण खाद के दाम बढ़े हैं। इसका असर दुनिया भर में अनाज की महंगाई के रूप में भी देखने को मिल रहा है। लेकिन नेपाल की आर्थिक क्षमता वैसी नहीं है, जिससे वह इस महंगाई को सह सके। इसलिए यहां आर्थिक संकट गहराता जा रहा है।
विस्तार
नेपाल को एक साथ कई आर्थिक मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। नवंबर लगातार ऐसा तीसरा महीना रहा, जब विदेशों से कमा कर नेपाल भेजी जाने वाली रकम में गिरावट आई। पर्यटन उद्योग भी लगभग ठप हैं। इससे देश का विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से खत्म हो रहा है। इसके साथ ही अब देश में उर्वरकों की भारी किल्लत हो गई है।
खाद की कमी से पैदा हो सकता है खाद्य संकट
जानकारों का कहना है कि खाद की किल्लत दो महीने पहले ही नजर आने लगी थी। अब इस समस्या ने गंभीर रूप ले लिया है। अब आशंका जताई जा रही है कि देश में खाद का मौजूद भंडार अगले कुछ महीनों में शून्य हो जाएगा। उसका बहुत खराब असर खेती पर पड़ेगा। उससे नेपाल में खाद्य संकट पैदा हो सकता है।
खाद की कमी की वजह से किसानों को कैसी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, इस बारे में नेपाली मीडिया में लगातार खबरें छप रही हैं। इसके मुताबिक सरकार से अधिकृत एजेंसी से उचित मूल्य पर डीएपी खरीदने के लिए किसानों को कई चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक हजारों ऐसे किसान हैं, जिन्होंने फसल बुवाई की पूरी तैयारी कर रखी है, लेकिन खाद ना मिलने के कारण उन्हें इसमें देर करनी पड़ रही है।
अर्थशास्त्रियों ने ध्यान दिलाया है कि नेपाल में पहले से ही लगभग साढ़े 17 फीसदी आबादी गरीबी रेखा के नीचे है। अब अगर फसल अच्छी नहीं हुई, तो उससे छोटे किसानों की आमदनी पर बुरा असर पड़ेगा। नेपाल के कुल किसानों में 60 फीसदी हिस्सा छोटे किसानों का है। अर्थशास्त्री केशव आचार्य ने अखबार काठमांडू पोस्ट से कहा- ‘पूरी तस्वीर खराब नजर आ रही है। ये साफ दिख रहा है कि अगर अभी मजबूत योजना नहीं बनाई गई, तो देश की अर्थव्यवस्था विनाश की तरफ बढ़ जाएगी।’
यूरिया का भाव 390 डॉलर से 1025 डॉलर तक पहुंचा
पर्यवेक्षकों के मुताबिक सबसे ज्यादा दाम नाइट्रोजन उर्वरकों के बढ़े हैं। जबकि ये उर्वरक फसल की मात्रा बढ़ाने के लिए जरूरी समझे जाते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक रासायनिक खादों की आपूर्ति में जल्द सुधार की आशा नहीं है। खाद सप्लाई करने वाली कंपनी सॉल्ट ट्रेडिंग कॉरपोरेशन के उप महानिदेशक पंकज जोशी ने काठमांडू पोस्ट से कहा कि धनी देशों में खाद की कमी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में नेपाल जैसे देश में इसकी सप्लाई जल्द सुधरेगी, इसकी संभावना बहुत कम है। उन्होंने बताया कि नेपाल में यूरिया एक साल पहले 390 डॉलर प्रति टन के हिसाब से मिल रहा था। अब ये कीमत 1,025 डॉलर तक पहुंच चुकी है। इसी तरह डीएपी का भाव पिछले साल नवंबर में 375 डॉलर प्रति टन था, जो अब 1,125 डॉलर है।
नेपाल सरकार उर्वरकों की कीमत के 90 फीसदी के बराबर सब्सिडी देती है। इसलिए खाद की महंगाई का सीधा असर सरकारी खजाने पर पड़ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ी गैस की कीमत के कारण खाद के दाम बढ़े हैं। इसका असर दुनिया भर में अनाज की महंगाई के रूप में भी देखने को मिल रहा है। लेकिन नेपाल की आर्थिक क्षमता वैसी नहीं है, जिससे वह इस महंगाई को सह सके। इसलिए यहां आर्थिक संकट गहराता जा रहा है।
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