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नगालैंड हिंसा: जहां हुई शादी, वहीं हो गया दफन; ग्रामीणों ने कहा- 'पैसे से नहीं दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई से मिलेगा न्याय'

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कोहिमा
Published by: प्रांजुल श्रीवास्तव
Updated Tue, 07 Dec 2021 08:09 AM IST

सार

गांव के रहने वाले टी नहवांग बताते हैं कि जिस होकुप की शादी में पूरा गांव शामिल हुआ था, उनमें वे दोनों जुड़वा भाई भी थे।

नगालैंड हिंसा
– फोटो : सोशल मीडिया

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नगालैंड के मोन जिले में सुरक्षाबलों की कार्रवाई में 14 ग्रामीणों के मौत के बाद जब उनके शव ओटिंग गांव लौटे तो हर कोई सिहर उठा। इन शवों में दो जुड़वा भाईयों लैंगवांग और थापवांग के शव भी थे। 25वर्षीय जुड़वा भाई बीते सोमवार को गांव के ही 38 वर्षीय होकुप की शादी में शामिल हुए थे। इसके बाद वे छह किलोमीटर दूर कोयले की खदान में काम करने के लिए रवाना हो गए।

एक स्थानीय नागरिक के मुताबिक, यह खदान करीब 15 वर्षों से काम कर रही है और ओटिंग गांव के लिए मुख्य आय का मुख्य श्रोत भी है। दोनों जुड़वा भाई पिछले तीन साल से इसी खदान में काम कर रहे थे। 

सोमवार को शादी समारोह में शामिल होने के बाद दोनों भाईयों ने पूरे सप्ताह इस खदान में काम किया और शनिवार की रात चर्च सेवा के लिए गांव की ओर एक पिकअप ट्रक में सवार होकर निकले। उनकी यही यात्रा अंतिम यात्रा साबित हुई और वे कभी घर वापस नहीं लौट पाए। 

गांव वालों का कहना है कि सभी की मौत के बदले सरकार मुआवजा दे रही है। हमें नहीं लगता कि पैसे से हमें न्याय मिलेगा। ग्रामीणों की मौत के लिए सेना के जिम्मेदार अधिकारियों को सजा दी जानी चाहिए। 

जहां हुई शादी वहीं हो गया दफन 
गांव के रहने वाले टी नहवांग बताते हैं कि जिस होकुप की शादी में पूरा गांव शामिल हुआ था, उनमें वे दोनों जुड़वा भाई भी थे। सुरक्षाबलों की कार्रवाई के बाद होकुप को उसी परिसर में दफनाया गया, जहां एक सप्ताह पहले उसकी शादी हुई थी। 

पूरा गांव कर रहा विरोध 
सुरक्षा बलों की कार्रवाई के बाद भड़की हिंसा के बाद अब ओटिंग गांव शांत है। लेकिन यहां के हर एक घर से इस कार्रवाई का विरेाध हो रहा है। महिलाओं ने काले झंडे बनाए हैं, जिन्हें कारों व बाइकों में लगाया गया है। गांव वालों का कहना है कि हम सेना, पुलिस या सरकार को दोष नहीं दे रहे, लेकिन उन लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिए जिनकी गलती की सजा पूरा गांव भुगत रहा है। 

गलत पहचान के कारण हुई थी मौत
मोंग जिले में बीते शनिवार की रात सुरक्षा बलों ने गलती से ग्रामीणों को उग्रवादी समझ लिया और उन पर गोलियां बरसा दीं। इस कार्रवाई में अब तक 14 लोगों की मौत हो चुकी है। असम राइफल्स का कहना है कि उन्हें उग्रवादियों को लेकर खुफिया जानकारी हाथ लगी थी, इसीलिए सुरक्षाबलों की ओर से  घेराव किया गया था, लेकिन इसी दौरान वहां ग्रामीण आ गए, जिन्हें गलती से उग्रवादी समझ लिया गया। इस मामले में सरकार की ओर से एसआईटी का गठन किया गया है तो असम राइफल्स ने भी कोर्ट ऑफ इंक्वायरी बिठा दी है। 

विस्तार

नगालैंड के मोन जिले में सुरक्षाबलों की कार्रवाई में 14 ग्रामीणों के मौत के बाद जब उनके शव ओटिंग गांव लौटे तो हर कोई सिहर उठा। इन शवों में दो जुड़वा भाईयों लैंगवांग और थापवांग के शव भी थे। 25वर्षीय जुड़वा भाई बीते सोमवार को गांव के ही 38 वर्षीय होकुप की शादी में शामिल हुए थे। इसके बाद वे छह किलोमीटर दूर कोयले की खदान में काम करने के लिए रवाना हो गए।

एक स्थानीय नागरिक के मुताबिक, यह खदान करीब 15 वर्षों से काम कर रही है और ओटिंग गांव के लिए मुख्य आय का मुख्य श्रोत भी है। दोनों जुड़वा भाई पिछले तीन साल से इसी खदान में काम कर रहे थे। 

सोमवार को शादी समारोह में शामिल होने के बाद दोनों भाईयों ने पूरे सप्ताह इस खदान में काम किया और शनिवार की रात चर्च सेवा के लिए गांव की ओर एक पिकअप ट्रक में सवार होकर निकले। उनकी यही यात्रा अंतिम यात्रा साबित हुई और वे कभी घर वापस नहीं लौट पाए। 

गांव वालों का कहना है कि सभी की मौत के बदले सरकार मुआवजा दे रही है। हमें नहीं लगता कि पैसे से हमें न्याय मिलेगा। ग्रामीणों की मौत के लिए सेना के जिम्मेदार अधिकारियों को सजा दी जानी चाहिए। 

जहां हुई शादी वहीं हो गया दफन 

गांव के रहने वाले टी नहवांग बताते हैं कि जिस होकुप की शादी में पूरा गांव शामिल हुआ था, उनमें वे दोनों जुड़वा भाई भी थे। सुरक्षाबलों की कार्रवाई के बाद होकुप को उसी परिसर में दफनाया गया, जहां एक सप्ताह पहले उसकी शादी हुई थी। 

पूरा गांव कर रहा विरोध 

सुरक्षा बलों की कार्रवाई के बाद भड़की हिंसा के बाद अब ओटिंग गांव शांत है। लेकिन यहां के हर एक घर से इस कार्रवाई का विरेाध हो रहा है। महिलाओं ने काले झंडे बनाए हैं, जिन्हें कारों व बाइकों में लगाया गया है। गांव वालों का कहना है कि हम सेना, पुलिस या सरकार को दोष नहीं दे रहे, लेकिन उन लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिए जिनकी गलती की सजा पूरा गांव भुगत रहा है। 

गलत पहचान के कारण हुई थी मौत

मोंग जिले में बीते शनिवार की रात सुरक्षा बलों ने गलती से ग्रामीणों को उग्रवादी समझ लिया और उन पर गोलियां बरसा दीं। इस कार्रवाई में अब तक 14 लोगों की मौत हो चुकी है। असम राइफल्स का कहना है कि उन्हें उग्रवादियों को लेकर खुफिया जानकारी हाथ लगी थी, इसीलिए सुरक्षाबलों की ओर से  घेराव किया गया था, लेकिन इसी दौरान वहां ग्रामीण आ गए, जिन्हें गलती से उग्रवादी समझ लिया गया। इस मामले में सरकार की ओर से एसआईटी का गठन किया गया है तो असम राइफल्स ने भी कोर्ट ऑफ इंक्वायरी बिठा दी है। 

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