एजेंसी, वाशिंगटन।
Published by: Jeet Kumar
Updated Fri, 29 Oct 2021 12:36 AM IST
सार
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह परीक्षण भले ही नाकाम रहा हो लेकिन चीन हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक तक पहुंच चुका है और उसने इस परीक्षण में अमेरिकी खुफिया तंत्र को भी चकमा दिया है।
शीर्ष अमेरिकी जनरल मार्क मिले ने चीन के हाल ही में हुए हाइपरसोनिक मिसाइल परीक्षण को स्पुतनिक जैसा बताया है। तात्कालिक सोवियत संघ के 1957 में स्पुतनिक सैटेलाइट लांच करने के बाद उसका अमेरिका से शीतयुद्ध शुरू हुआ था। अब मिले के बयान के बाद लग रहा है कि दुनिया में एक बार फिर शीतयुद्ध जैसी हथियारों की दौड़ शुरू हो सकती है।
अमेरिकी सेना में ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के मुखिया मार्क मिले ने ब्लूमबर्ग को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि चीनी सेना में ‘तेजी से विस्तार’ हो रहा है। हमने देखा कि चीन ने एक हाइपरसोनिक हथियार का परीक्षण किया, जो बड़ी चिंता का विषय है। यह स्पुतनिक मोमेंट जैसा है जिसने हमारा पूरा ध्यान अपनी ओर खींचा है। यह पहली बार है जब अमेरिकी पक्ष ने चीन के हाइपरसोनिक मिसाइल परीक्षण के बारे में सार्वजनिक रूप से कुछ बोला है।
हालांकि पेंटागन के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने जनरल मिले की टिप्पणी पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, यह कोई ऐसी तकनीक नहीं, जिसके बारे में हमें मालूम न हो। किर्बी ने कहा कि अमेरिका अपना सुरक्षा तंत्र और हाइपरसोनिक तकनीक पर काम कर रहा है।
परीक्षण नाकाम रहने पर भी चिंता बढ़ी
ब्रिटिश अखबार फायनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने अंतरिक्ष में हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया जिसमें पृथ्वी का चक्कर लगाया और बाद में लक्ष्य से कुछ किलोमीटर दूर गिर गई। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह परीक्षण भले ही नाकाम रहा हो लेकिन चीन हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक तक पहुंच चुका है और उसने इस परीक्षण में अमेरिकी खुफिया तंत्र को भी चकमा दिया है। इससे चिंता बढ़ गई है।
मिसाइल की ट्रैकिंग बेहद मुश्किल
हाइपरसोनिक मिसाइल की गति सामान्य एटमी हथियार ले जाने वाली बैलेस्टिक मिसाइल से काफी अधिक होती है। यह आवाज की गति (1235 किमी प्रतिघंटा) से कम से कम 5 गुना तेज या करीब 6200 किलोमीटर/घंटा की गति से उड़ान भरती है। यह मिसाइल क्रूज और बैलेस्टिक, दोनों तरह की मिसाइलों की गुणवत्ता रखती है। इसीलिए अमेरिकी जनरल मार्क मिले ने इसे अहम और चिंताजनक घटना माना है क्योंकि इसकी ट्रैकिंग बेहद मुश्किल होती है।
विस्तार
शीर्ष अमेरिकी जनरल मार्क मिले ने चीन के हाल ही में हुए हाइपरसोनिक मिसाइल परीक्षण को स्पुतनिक जैसा बताया है। तात्कालिक सोवियत संघ के 1957 में स्पुतनिक सैटेलाइट लांच करने के बाद उसका अमेरिका से शीतयुद्ध शुरू हुआ था। अब मिले के बयान के बाद लग रहा है कि दुनिया में एक बार फिर शीतयुद्ध जैसी हथियारों की दौड़ शुरू हो सकती है।
अमेरिकी सेना में ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के मुखिया मार्क मिले ने ब्लूमबर्ग को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि चीनी सेना में ‘तेजी से विस्तार’ हो रहा है। हमने देखा कि चीन ने एक हाइपरसोनिक हथियार का परीक्षण किया, जो बड़ी चिंता का विषय है। यह स्पुतनिक मोमेंट जैसा है जिसने हमारा पूरा ध्यान अपनी ओर खींचा है। यह पहली बार है जब अमेरिकी पक्ष ने चीन के हाइपरसोनिक मिसाइल परीक्षण के बारे में सार्वजनिक रूप से कुछ बोला है।
हालांकि पेंटागन के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने जनरल मिले की टिप्पणी पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, यह कोई ऐसी तकनीक नहीं, जिसके बारे में हमें मालूम न हो। किर्बी ने कहा कि अमेरिका अपना सुरक्षा तंत्र और हाइपरसोनिक तकनीक पर काम कर रहा है।
परीक्षण नाकाम रहने पर भी चिंता बढ़ी
ब्रिटिश अखबार फायनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने अंतरिक्ष में हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया जिसमें पृथ्वी का चक्कर लगाया और बाद में लक्ष्य से कुछ किलोमीटर दूर गिर गई। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह परीक्षण भले ही नाकाम रहा हो लेकिन चीन हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक तक पहुंच चुका है और उसने इस परीक्षण में अमेरिकी खुफिया तंत्र को भी चकमा दिया है। इससे चिंता बढ़ गई है।
मिसाइल की ट्रैकिंग बेहद मुश्किल
हाइपरसोनिक मिसाइल की गति सामान्य एटमी हथियार ले जाने वाली बैलेस्टिक मिसाइल से काफी अधिक होती है। यह आवाज की गति (1235 किमी प्रतिघंटा) से कम से कम 5 गुना तेज या करीब 6200 किलोमीटर/घंटा की गति से उड़ान भरती है। यह मिसाइल क्रूज और बैलेस्टिक, दोनों तरह की मिसाइलों की गुणवत्ता रखती है। इसीलिए अमेरिकी जनरल मार्क मिले ने इसे अहम और चिंताजनक घटना माना है क्योंकि इसकी ट्रैकिंग बेहद मुश्किल होती है।
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