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झटका: फ्यूचर ग्रुप और रिलायंस के सौदे पर आया बड़ा अपडेट, क्रेडिटर्स ने अरेंजमेंट स्कीम के खिलाफ किया मतदान 

झटका: फ्यूचर ग्रुप और रिलायंस के सौदे पर आया बड़ा अपडेट, क्रेडिटर्स ने अरेंजमेंट स्कीम के खिलाफ किया मतदान 

सार

दरअसल, फ्यूचर समूह मुसीबतों का सामना कर रही है और कर्ज का भुगतान करने में विफल रही है, क्योंकि इसके कारोबार को कोरोना की वजह से काफी नुकसान हुआ है।

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फ्यूचर समूह को कर्ज देने वाले क्रेडिटर्स ने रिलायंस इंडस्ट्रीज और फ्यूचर रिटेल असेट के बीच होने वाले 24,730 करोड़ रुपये के सौदे को खारिज कर दिया है। शुक्रवार को हुई बैठक में सरकारी बैंक के एक अधिकारी ने कहा कि रिलायंस द्वारा रखी गई अरेंजमेंट स्कीम के खिलाफ सभी ने मतदान किया है।

दरअसल, फ्यूचर समूह मुसीबतों का सामना कर रही है और कर्ज का भुगतान करने में विफल रही है, क्योंकि इसके कारोबार को कोरोना की वजह से काफी नुकसान हुआ है। बैंकिंग सूत्रों ने कहा कि शुरुआत में हमने सोचा था कि किसी अन्य वैकल्पिक तरीके से कम रिकवरी होगी, लेकिन तब से यह कानूनी मुद्दों में उलझा हुआ है और अब इसके बचे हुए मूल्य का क्या होगा, इसके बारे में कोई आइडिया नहीं है। 

अमेजन के साथ चल रही है लड़ाई
अमेरिकी ई-कॉमर्स दिग्गज कंपनी अमेजन द्वारा लंबे समय से चली आ रही कानूनी चुनौती के बीच बैंकों ने इस तरह का मतदान किया है। अमेजन ने फ्यूचर पर रिलायंस के साथ कुछ करार को लेकर उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। इस बीच फ्यूचर किसी भी गलत काम से लगातार इनकार करती रही है। इसने कहा है कि अगर सौदा टूट जाता है तो इसे दिवालियापन की ओर धकेल दिया जाएगा। उधर, फरवरी महीने में विवादों में रहे रिलायंस ने अचानक से फ्यूचर के सैकड़ों स्टोरों पर कब्जा कर लिया था। इसका आरोप था कि फ्यूचर ने किराया नहीं दिया है। 

रिलायंस के इस कदम से डरे बैंकों में से कुछ ने फ्यूचर के खिलाफ पहले ही कर्ज वसूली की कार्यवाही शुरू कर दी है। फ्यूचर पर कुल 30 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज है। इसे बैंकों ने एनपीए में डालना शुरू कर दिया है।

विस्तार

फ्यूचर समूह को कर्ज देने वाले क्रेडिटर्स ने रिलायंस इंडस्ट्रीज और फ्यूचर रिटेल असेट के बीच होने वाले 24,730 करोड़ रुपये के सौदे को खारिज कर दिया है। शुक्रवार को हुई बैठक में सरकारी बैंक के एक अधिकारी ने कहा कि रिलायंस द्वारा रखी गई अरेंजमेंट स्कीम के खिलाफ सभी ने मतदान किया है।

दरअसल, फ्यूचर समूह मुसीबतों का सामना कर रही है और कर्ज का भुगतान करने में विफल रही है, क्योंकि इसके कारोबार को कोरोना की वजह से काफी नुकसान हुआ है। बैंकिंग सूत्रों ने कहा कि शुरुआत में हमने सोचा था कि किसी अन्य वैकल्पिक तरीके से कम रिकवरी होगी, लेकिन तब से यह कानूनी मुद्दों में उलझा हुआ है और अब इसके बचे हुए मूल्य का क्या होगा, इसके बारे में कोई आइडिया नहीं है। 

अमेजन के साथ चल रही है लड़ाई

अमेरिकी ई-कॉमर्स दिग्गज कंपनी अमेजन द्वारा लंबे समय से चली आ रही कानूनी चुनौती के बीच बैंकों ने इस तरह का मतदान किया है। अमेजन ने फ्यूचर पर रिलायंस के साथ कुछ करार को लेकर उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। इस बीच फ्यूचर किसी भी गलत काम से लगातार इनकार करती रही है। इसने कहा है कि अगर सौदा टूट जाता है तो इसे दिवालियापन की ओर धकेल दिया जाएगा। उधर, फरवरी महीने में विवादों में रहे रिलायंस ने अचानक से फ्यूचर के सैकड़ों स्टोरों पर कब्जा कर लिया था। इसका आरोप था कि फ्यूचर ने किराया नहीं दिया है। 

रिलायंस के इस कदम से डरे बैंकों में से कुछ ने फ्यूचर के खिलाफ पहले ही कर्ज वसूली की कार्यवाही शुरू कर दी है। फ्यूचर पर कुल 30 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज है। इसे बैंकों ने एनपीए में डालना शुरू कर दिया है।

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