एजेंसी, नई दिल्ली
Published by: देव कश्यप
Updated Tue, 18 Jan 2022 03:58 AM IST
सार
चीन के आर्थिक हालात इतने गंभीर हो चुके हैं कि केंद्रीय बैंक को महामारी के बाद दूसरी बार ब्याज दर में कटौती कर नीतिगत हस्तक्षेप करना पड़ा है।
चीनी अर्थव्यवस्था (सांकेतिक तस्वीर)
– फोटो : Pixabay
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विस्तार
चीन के आर्थिक हालात इतने गंभीर हो चुके हैं कि केंद्रीय बैंक को महामारी के बाद दूसरी बार ब्याज दर में कटौती कर नीतिगत हस्तक्षेप करना पड़ा है। इससे पहले अप्रैल 2020 में ब्याज दर में 0.5 फीसदी की बड़ी कटौती की गई थी। पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने सोमवार को बताया कि वित्तीय संस्थानों को एक वर्ष की अवधि के लिए 700 अरब युआन (110.2 अरब डॉलर) की ऋण सुविधा (एमएलएफ) ब्याज दर में 10 आधार अंकों की कटौती कर इसे 2.85 फीसदी कर दिया है।
इसके अलावा साप्ताहिक रिवर्स रेपो रेट में भी कटौती की है। इसके अलावा आने वाले दिनों में थोड़ी और नीतिगत राहत दी जा सकती है। हालांकि, वित्तीय विश्लेषण करने वाली फर्म नोमुरा का मानना है कि चीन के केंद्रीय बैंक के पास अब और अधिक राहत देने की गुंजाइश नहीं है।
रियल एस्टेट की गिरावट से रुका चीन
2021 में 8.0 फीसदी के पूर्वानुमान के बजाय अर्थव्यवस्था 8.1 फीसदी से बढ़ी, सरकार का लक्ष्य इसे छह फीसदी तक लाना था, लेकिन आखिरी तिमाही में यह वृद्धि चार फीसदी रही। चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो (एनबीएस) के आंकड़ों के मुताबिक, अगर तिमाही दर तिमाही के लिहाज से आकलन करें तो यह 2020 की दूसरी तिमाही के बाद से सबसे कमजोर तिमाही है एनबीएस के प्रमुख निंग जिझे ने कहा कि चीन की अर्थव्यवस्था पर अभी भारी दबाव है, जिसका असर लोगों के रोजगार और आय पर पड़ सकता है।
चीन के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, संपत्ति में निवेश में बीते एक साल की तुलना में दिसंबर में 13.9 फीसदी की गिरावट आई है, जो 2020 की शुरुआत से ही तेजी कम हो रहा है। कमजोर खपत के आंकड़ों ने भी इस क्षेत्र के पूरे परिदृश्य को धूमिल कर दिया है। शंघाई में हवाबाओ ट्रस्ट के मुख्य अर्थशास्त्री नी वेन का कहना है कि नीति निर्माताओं के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि शून्य कोविड नीति के साथ अर्थव्यवस्था को पांच से 5.5 फीसदी के बीच कैसे स्थिर किया जाए।