एएनआई, मैनचेस्टर
Published by: सुरेंद्र जोशी
Updated Sat, 12 Feb 2022 01:57 PM IST
सार
इस अध्ययन में यह जानने का प्रयास किया गया है कि जीवनदायिनी ऑक्सीजन पैदा करने वाली इलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया कम गुरुत्वाकर्षण वाले स्थानों पर कैसे काम करती है?
अक्सर सवाल उठता है कि सिर्फ धरती पर ही जीव रह सकेंगे या किसी दूसरे ग्रह या उपग्रह पर भी जीवन बसाया जा सकता है? जीवन के विकास और अस्तित्व के लिए कौन सी परिस्थितियां उपयुक्त हैं? क्या चंद्रमा या मंगल पर ‘घर’ बसाया जा सकेगा? वैज्ञानिकों ने एक ताजा अध्ययन में इन ग्रहों पर प्राणु वायु ऑक्सीजन पैदा करने का तरीका ढूंढा है। इसके दम पर कहा जा सकता है कि भविष्य में धरती के अलावा दूसरे ग्रहों-उपग्रहों पर भी जीवन बसाया जा सकता है।
‘नेचर कम्युनिकेशन’ में ब्रिटेन के मैनचेस्टर विश्वविद्यालय और ग्लासगो विश्वविद्यालय के शोध पर रिपोर्ट आई है। इस अध्ययन में यह जानने का प्रयास किया गया है कि जीवनदायिनी ऑक्सीजन पैदा करने वाली इलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया कम गुरुत्वाकर्षण वाले स्थानों पर कैसे काम करती है?
ऑक्सीजन का भरोसेमंद स्रोत तैयार करने से इंसान को पृथ्वी से दूर रहने व ‘चांद पर घर’ स्थापित करने में मदद मिल सकती है। चांद पर पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति का 1/6 और मंगल पर 1/3 वां हिस्सा है। इस कारण इलेक्ट्रोलिसिस के जरिए गैस पैदा करने की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है। हालांकि पृथ्वी की तुलना में यह कितना प्रभावित हो सकता है, इसे लेकर अभी कोई अध्ययन नहीं किया गया है।
गुरुत्वाकर्षण कम होने के कारण इलेक्ट्रोलिसिस क्षमता प्रभावित हो सकती है और इलेक्ट्रोड की सतह पर बुलबुले चिपके रह सकते हैं। उन्हें गैस में परिवर्तित होने में बाधा हो सकती है। इस प्रोजेक्ट के अग्रणी इंजीनियर गंटर जस्ट ने कहा है कि हमने एक छोटा सेंट्रीफ्यूज तैयार किया है। यह चांद व मंगल के उचित गुरुत्वाकर्षण स्तर बना सकता है।
क्या है इलेक्ट्रोलिसिस
यह एक लोकप्रिय विद्युत अपघटन (Electrolysis) प्रक्रिया है। इसमें एक रासायनिक सिस्टम के जरिए बिजली प्रवाहित की जाती है। इसके जरिए चांद की चट्टानों से ऑक्सीजन निकाली जा सकती है या पानी को ऑक्सीजन व हाइड्रोजन में विभक्त किया जा सकता है।
विस्तार
अक्सर सवाल उठता है कि सिर्फ धरती पर ही जीव रह सकेंगे या किसी दूसरे ग्रह या उपग्रह पर भी जीवन बसाया जा सकता है? जीवन के विकास और अस्तित्व के लिए कौन सी परिस्थितियां उपयुक्त हैं? क्या चंद्रमा या मंगल पर ‘घर’ बसाया जा सकेगा? वैज्ञानिकों ने एक ताजा अध्ययन में इन ग्रहों पर प्राणु वायु ऑक्सीजन पैदा करने का तरीका ढूंढा है। इसके दम पर कहा जा सकता है कि भविष्य में धरती के अलावा दूसरे ग्रहों-उपग्रहों पर भी जीवन बसाया जा सकता है।
‘नेचर कम्युनिकेशन’ में ब्रिटेन के मैनचेस्टर विश्वविद्यालय और ग्लासगो विश्वविद्यालय के शोध पर रिपोर्ट आई है। इस अध्ययन में यह जानने का प्रयास किया गया है कि जीवनदायिनी ऑक्सीजन पैदा करने वाली इलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया कम गुरुत्वाकर्षण वाले स्थानों पर कैसे काम करती है?
ऑक्सीजन का भरोसेमंद स्रोत तैयार करने से इंसान को पृथ्वी से दूर रहने व ‘चांद पर घर’ स्थापित करने में मदद मिल सकती है। चांद पर पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति का 1/6 और मंगल पर 1/3 वां हिस्सा है। इस कारण इलेक्ट्रोलिसिस के जरिए गैस पैदा करने की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है। हालांकि पृथ्वी की तुलना में यह कितना प्रभावित हो सकता है, इसे लेकर अभी कोई अध्ययन नहीं किया गया है।
गुरुत्वाकर्षण कम होने के कारण इलेक्ट्रोलिसिस क्षमता प्रभावित हो सकती है और इलेक्ट्रोड की सतह पर बुलबुले चिपके रह सकते हैं। उन्हें गैस में परिवर्तित होने में बाधा हो सकती है। इस प्रोजेक्ट के अग्रणी इंजीनियर गंटर जस्ट ने कहा है कि हमने एक छोटा सेंट्रीफ्यूज तैयार किया है। यह चांद व मंगल के उचित गुरुत्वाकर्षण स्तर बना सकता है।
क्या है इलेक्ट्रोलिसिस
यह एक लोकप्रिय विद्युत अपघटन (Electrolysis) प्रक्रिया है। इसमें एक रासायनिक सिस्टम के जरिए बिजली प्रवाहित की जाती है। इसके जरिए चांद की चट्टानों से ऑक्सीजन निकाली जा सकती है या पानी को ऑक्सीजन व हाइड्रोजन में विभक्त किया जा सकता है।
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एएनआई, मैनचेस्टर
Published by: सुरेंद्र जोशी
Updated Sat, 12 Feb 2022 01:57 PM IST
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इस अध्ययन में यह जानने का प्रयास किया गया है कि जीवनदायिनी ऑक्सीजन पैदा करने वाली इलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया कम गुरुत्वाकर्षण वाले स्थानों पर कैसे काम करती है?
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‘नेचर कम्युनिकेशन’ में ब्रिटेन के मैनचेस्टर विश्वविद्यालय और ग्लासगो विश्वविद्यालय के शोध पर रिपोर्ट आई है। इस अध्ययन में यह जानने का प्रयास किया गया है कि जीवनदायिनी ऑक्सीजन पैदा करने वाली इलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया कम गुरुत्वाकर्षण वाले स्थानों पर कैसे काम करती है?
ऑक्सीजन का भरोसेमंद स्रोत तैयार करने से इंसान को पृथ्वी से दूर रहने व ‘चांद पर घर’ स्थापित करने में मदद मिल सकती है। चांद पर पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति का 1/6 और मंगल पर 1/3 वां हिस्सा है। इस कारण इलेक्ट्रोलिसिस के जरिए गैस पैदा करने की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है। हालांकि पृथ्वी की तुलना में यह कितना प्रभावित हो सकता है, इसे लेकर अभी कोई अध्ययन नहीं किया गया है।
गुरुत्वाकर्षण कम होने के कारण इलेक्ट्रोलिसिस क्षमता प्रभावित हो सकती है और इलेक्ट्रोड की सतह पर बुलबुले चिपके रह सकते हैं। उन्हें गैस में परिवर्तित होने में बाधा हो सकती है। इस प्रोजेक्ट के अग्रणी इंजीनियर गंटर जस्ट ने कहा है कि हमने एक छोटा सेंट्रीफ्यूज तैयार किया है। यह चांद व मंगल के उचित गुरुत्वाकर्षण स्तर बना सकता है।
क्या है इलेक्ट्रोलिसिस
यह एक लोकप्रिय विद्युत अपघटन (Electrolysis) प्रक्रिया है। इसमें एक रासायनिक सिस्टम के जरिए बिजली प्रवाहित की जाती है। इसके जरिए चांद की चट्टानों से ऑक्सीजन निकाली जा सकती है या पानी को ऑक्सीजन व हाइड्रोजन में विभक्त किया जा सकता है।
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