वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, जिनेवा
Published by: गौरव पाण्डेय
Updated Mon, 04 Apr 2022 10:53 PM IST
सार
संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार दुनिया भर में लोग वायु प्रदूषण का सामना कर रहे हैं। लेकिन, गरीब देशों में हालात बहुत गंभीर हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सोमवार को कहा कि धरती पर 99 फीसदी लोग बेहद प्रदूषित हवा में सांस ले रहे हैं। संगठन ने कहा कि खराब वायु गुणवत्ता की वजह से हर साल लाखों लोगों की मौत हो रही है। इसके अनुसार दुनिया के हर कोने में लोग वायु प्रदूषण का सामना कर रहे हैं लेकिन गरीब देशों में स्थिति कहीं अधिक गंभीर है। संगठन ने इसे पूरी दुनिया के लिए गंभीर समस्या बताया है।
डब्ल्यूएचओ की पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य निदेशक मारिया नीरा ने कहा कि दुनिया की लगभग पूरी आबादी ऐसी हवा में सांस ले रही है जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों की तुलना में खराब है। उन्होंने कहा कि यह सार्वजनिक स्वास्थ्य का एक अहम मुद्दा है। चार साल पहले अपनी पिछली रिपोर्ट में संगठन ने पाया था कि वायु प्रदूषण से दुनिया की 90 फीसदी से अधिक जनसंख्या प्रभावित है।
संगठन ने कहा कि वायु प्रदूषण से होने वाले नुकसान के लिए साक्ष्य आधार तेजी से बढ़ रहा है और यह कई वायु प्रदूषकों के निम्न स्तर के कारण होने वाले गंभीर नुकसान की ओर इशारा करता है। पिछले साल संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों में ऐसा संकेत मिला था कि लॉकडाउन और यात्रा प्रतिबंधों ने वायु गुणवत्ता में अल्पकालिक सुधार किया है। लेकिन, डब्ल्यूएचओ ने कहा कि वायु प्रदूषण एक बड़ी समस्या है।
सैटेलाइट डाटा और गणितीय मॉल पर निकाला गया निष्कर्ष
डब्ल्यूएचओ का अध्ययन दुनिया भर के 6000 से अधिक शहरों और 117 देशों में स्थित अन्य केंद्रों के वायु गुणवत्ता की जानकारी उपलब्ध कराता है। इसके दायरे में दुनिया का लगभग 80 फीसदी शहरी इलाका आता है। नीरा ने अनुसार डब्ल्यूएचओ ने सैटेलाइट डाटा और गणितीय मॉडल का इस्तेमाल कर यह तय किया कि वायु की गुणवत्ता में दुनिया भर में लगभग हर जगह गिरावट देखने को मिल रही है।
रिपोर्ट के अनुसार पूर्वी भूमध्यसागर व दक्षिण एशियाई क्षेत्रों समेत अफ्रीका में सबसे खराब वायु गुणवत्ता दर्ज की गई है। मरिया नीरा ने इसे संकट का चिंताजनक कारण बताया है और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को जल्द से जल्द कम करने के महत्व पर जोर दिया। मारिया ने कहा कि एक वैश्विक महामारी के बाद वायु प्रदूषण के चलते ऐसे लाखों लोगों की जान का जाना अस्वीकार्य है जिन्हें बचाया जा सकता है।
विस्तार
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सोमवार को कहा कि धरती पर 99 फीसदी लोग बेहद प्रदूषित हवा में सांस ले रहे हैं। संगठन ने कहा कि खराब वायु गुणवत्ता की वजह से हर साल लाखों लोगों की मौत हो रही है। इसके अनुसार दुनिया के हर कोने में लोग वायु प्रदूषण का सामना कर रहे हैं लेकिन गरीब देशों में स्थिति कहीं अधिक गंभीर है। संगठन ने इसे पूरी दुनिया के लिए गंभीर समस्या बताया है।
डब्ल्यूएचओ की पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य निदेशक मारिया नीरा ने कहा कि दुनिया की लगभग पूरी आबादी ऐसी हवा में सांस ले रही है जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों की तुलना में खराब है। उन्होंने कहा कि यह सार्वजनिक स्वास्थ्य का एक अहम मुद्दा है। चार साल पहले अपनी पिछली रिपोर्ट में संगठन ने पाया था कि वायु प्रदूषण से दुनिया की 90 फीसदी से अधिक जनसंख्या प्रभावित है।
संगठन ने कहा कि वायु प्रदूषण से होने वाले नुकसान के लिए साक्ष्य आधार तेजी से बढ़ रहा है और यह कई वायु प्रदूषकों के निम्न स्तर के कारण होने वाले गंभीर नुकसान की ओर इशारा करता है। पिछले साल संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों में ऐसा संकेत मिला था कि लॉकडाउन और यात्रा प्रतिबंधों ने वायु गुणवत्ता में अल्पकालिक सुधार किया है। लेकिन, डब्ल्यूएचओ ने कहा कि वायु प्रदूषण एक बड़ी समस्या है।
सैटेलाइट डाटा और गणितीय मॉल पर निकाला गया निष्कर्ष
डब्ल्यूएचओ का अध्ययन दुनिया भर के 6000 से अधिक शहरों और 117 देशों में स्थित अन्य केंद्रों के वायु गुणवत्ता की जानकारी उपलब्ध कराता है। इसके दायरे में दुनिया का लगभग 80 फीसदी शहरी इलाका आता है। नीरा ने अनुसार डब्ल्यूएचओ ने सैटेलाइट डाटा और गणितीय मॉडल का इस्तेमाल कर यह तय किया कि वायु की गुणवत्ता में दुनिया भर में लगभग हर जगह गिरावट देखने को मिल रही है।
रिपोर्ट के अनुसार पूर्वी भूमध्यसागर व दक्षिण एशियाई क्षेत्रों समेत अफ्रीका में सबसे खराब वायु गुणवत्ता दर्ज की गई है। मरिया नीरा ने इसे संकट का चिंताजनक कारण बताया है और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को जल्द से जल्द कम करने के महत्व पर जोर दिया। मारिया ने कहा कि एक वैश्विक महामारी के बाद वायु प्रदूषण के चलते ऐसे लाखों लोगों की जान का जाना अस्वीकार्य है जिन्हें बचाया जा सकता है।
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