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कोरोना का कहर : बच्चों में तेजी से फैल रहे संक्रमण की वजह क्या है? जानिए विशेषज्ञों की सलाह

सार

दिल्ली-एनसीआर में ही पिछले 10 दिनों के अंदर संक्रमित होने वालों में 25 से 30 फीसदी बच्चे हैं। बच्चों में संक्रमण के ज्यादा मामले आने का एक कारण वैक्सीनेशन का न होना भी है।

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कोरोना फिर से डराने लगा है। इस बार बच्चों को अपने चपेट में ले रहा है। दिल्ली-एनसीआर में ही पिछले 10 दिनों के अंदर संक्रमित होने वालों में 25 से 30 फीसदी बच्चे हैं। बच्चों में संक्रमण के ज्यादा मामले आने का एक कारण वैक्सीनेशन का न होना भी है। 18 साल से ऊपर के ज्यादातर लोगों को वैक्सीन लग चुकी है। बूस्टर डोज भी लगने लगी है, लेकिन छोटे बच्चों का टीकाकरण अभी नहीं हो पाया है।  
 
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़े के अनुसार, अब तक 187 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन की डोज भारत में लगाई जा चुकी है। 12 से 14 साल तक के 17 लाख बच्चों को वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी है, जबकि 2.57 करोड़ बच्चे ऐसे हैं, जिन्हें अभी पहली डोज लगी है। इसी तरह 15 से 17 साल की उम्र तक के 4.10 करोड़ बच्चों को दोनों डोज लग चुकी है, जबकि 5.80 करोड़ बच्चों को अभी सिंगल डोज लगी है। 

5 से 11 साल के बच्चों का वैक्सीनेशन भी जल्द शुरू हो सकता है
5 से 11 साल के बच्चों के लिए बायोलॉजिकल ई की कॉर्बेवैक्स वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की सिफारिश की गई है। देश के औषधि नियामक ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने ये सिफारिश की है। वैक्सीन को लेकर की गई सिफारिशों को अब ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया को भेज दिया गया है। ऐसे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से अंतिम मंजूरी देने से पहले अब डीसीजीआई की मंजूरी का इंतजार करना होगा।
 
1. बुखार
2. नाक बहना
3. गले में दर्द
4. शरीर में दर्द
5. सूखी खांसी
6. उल्टी आना
7. लूज मोशन (दस्त)
8. आंखों में सूजन आना

एमआईएस-सी का खतरा
डॉ. मनोज शेरवाल बताते हैं, ‘कोरोना के नए वैरिएंट से संक्रमित होने पर मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (एमआईएस-सी)  की स्थिति हो सकती है। इसमें शरीर में सूजन हो जाती है। इसके आम लक्षणों में बुखार, गर्दन में दर्द, शरीर में दर्द, रैशेज आना, उल्टी या दस्त आना, आंखें लाल होना, थकान महसूस होना, होंठ फटना, हाथों-पैरों में सूजन आना और पेट दर्द होना शामिल है।’

डॉ. शेरवाल के मुताबिक, अगर कोई एमआईएस-सी की चपेट में आता है तो उसके शरीर के कई हिस्सों में सूजन हो सकती है। इसमें फेफड़े, हृदय, गुर्दे, मस्तिष्क, त्वचा, आंखें शामिल हैं। 
 
इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रजनीकांत से संपर्क किया। उन्होंने कहा, ‘यह सही है कि बच्चों में संक्रमण के ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि बच्चों को अभी वैक्सीन नहीं लगी है। लेकिन यह भी सही है कि संक्रमण का घातक असर बच्चों पर नहीं पड़ रहा है। मतलब जो भी बच्चे संक्रमित हो रहे हैं, उनमें मामूली लक्षण ही देखने को मिल रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि बच्चों में रोग और वायरस से लड़ने की क्षमता अधिक होती है।’

डॉ. रजनीकांत आगे कहते हैं, ‘हल्के लक्षण होने के बावजूद इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए। संक्रमण से बचने का एकमात्र उपाय कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना है। बच्चे ज्यादा मास्क नहीं पहन पाते और अन्य प्रोटोकॉल का पालन भी सही से नहीं कर पाते। ऐसे में घर में पैरेंट्स और स्कूल में टीचर्स को इसका ख्याल रखना होगा।’
 

  • बच्चों के स्वास्थ्य पर लगातार नजर रखनी चाहिए। अगर कुछ व्यवहार में बदलाव दिखे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। 
  • बच्चों को गंदगी से दूर रखें और बार-बार हाथ धोने की आदत डलवाएं। 
  • पांच साल से ऊपर के बच्चों को मास्क के बारे में भी बताएं और भीड़भाड़ वाली जगहों पर ले जाने से बचें।
  • अगर बच्चा वैक्सीनेशन के दायरे में आता है तो वैक्सीन जरूर लगवाएं। 

 
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बच्चों में कोरोना के खतरे को लेकर 20 जनवरी को गाइडलाइन जारी की थी। इसमें कई बातों को स्पष्ट किया गया है। 

1. 18 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए मोनोक्लोनल एंटीबॉडी या एंटीवायरल के प्रयोग की अनुशंसा नहीं की गई है। केवल गंभीर स्थिति में इसका प्रयोग किया जा सकता है। 
2. कोरोना संक्रमित बच्चों को एमआईएस-सी से बचाव के लिए कदम उठाने होंगे। 
3. दो मीटर की दूरी, हाथों को धोना और मास्क पहनने को कहा गया है। 
4. बंद कमरे या हॉल की जगह ज्यादातर खुली जगह का प्रयोग करें। इसमें संक्रमण के फैलने का खतरा कम होता है। 
5. 12 से 17 साल तक के सभी बच्चे वैक्सीन लगवाएं।

विस्तार

कोरोना फिर से डराने लगा है। इस बार बच्चों को अपने चपेट में ले रहा है। दिल्ली-एनसीआर में ही पिछले 10 दिनों के अंदर संक्रमित होने वालों में 25 से 30 फीसदी बच्चे हैं। बच्चों में संक्रमण के ज्यादा मामले आने का एक कारण वैक्सीनेशन का न होना भी है। 18 साल से ऊपर के ज्यादातर लोगों को वैक्सीन लग चुकी है। बूस्टर डोज भी लगने लगी है, लेकिन छोटे बच्चों का टीकाकरण अभी नहीं हो पाया है।  

 

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