रिपोर्ट में बताया गया कि कारोवार चलाने के लिए देश में 69,233 अनुपालना नियम बनाए गए हैं। इनमें से 26, 134 नियमों के उल्लंघन पर जेल भेजने का प्रावधान है। रिपोर्ट तैयार करने वाले ऑब्जवर रिसर्च फाउंडेशन के अनुसार हर 5 में से 2 मामलों में उद्यमियों को जेल जाना पड़ सकता है।
एक औसत एमएसएमई उद्यमी को 150 से अधिक कर्मचारी रखने पर सालाना 500 से 900 नियम मानने होते हैं। इनके लिए वे 12 से 18 लाख रुपये तक अतिरिक्त खर्च करते हैं।
अपनी तरह की इस पहली रिपोर्ट को फाउंडेशन ने 7 वर्ष तक नियमों का विश्लेषण कर तैयार किया इनमें श्रम, वित्त, कर, पर्यावरण, स्वास्थ्य व सुरक्षा, दफ्तर संबंधी, वाणिज्यिक, उद्योग स्पेसिफिक और सामान्य किस्म के नियम शामिल हैं।
इन 5 राज्यों में जेल भिजवाने वाले 1000-1000 नियम सबसे ज्यादा उद्योगों वाले पांच राज्यों एक-एक हजार से अधिक नियम हैं, जिनके उल्लंघन पर उद्यमी को जेल भेजा जा सकता है। गुजरात में ऐसे 1,469, पंजाब में 1,273, महाराष्ट्र में 1,210, कर्नाटक में 1, 175 और तमिलनाडु में 1,043 नियम हैं। यह गैर-वित्तीय लाभ पर काम कर रही संस्थाओं पर भी लागू हैं।
यहीं से बढ़ता है भ्रष्टाचार
फाउंडेशन के उपाध्यक्ष मनीष सभरवाल के अनुसार उद्यमियों को सामान्य अनुपालना नियम उल्लंघन पर अपराधी मानने से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल सकता है। साथ में रोजगार भी घटता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि फाउंडेशन की रिपोर्ट गैर जरूरी नियामक सख्तियों को कम करने में मदद करेगी। अपनी सिफारिश में कहा कि कारोबारी कानूनों को ज्यादा तार्किक बनाने, जेल भेजने जैसी सजाएं कम करने, नियमों के असर को मापने और नीतियों में सुधार करने की जरूरत है।