न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: Amit Mandal
Updated Mon, 21 Feb 2022 10:23 PM IST
सार
इसमें कहा गया है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल की 6 अप्रैल, 2016 की कार्योत्तर मंजूरी भी कैबिनेट सचिवालय द्वारा 7 अप्रैल, 2016 को दी गई थी।
रक्षा सेवाओं के लिए वन रैंक-वन पेंशन (ओआरओपी) की सैद्धांतिक मंजूरी पर बयान तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने 17 फरवरी, 2014 को तत्कालीन केंद्रीय कैबिनेट की सिफारिश के बिना दिया था। केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को यह जानकारी दी। हालांकि, केंद्र ने ओआरओपी पर लंबित मामले में दायर अपने अतिरिक्त हलफनामे में कहा कि कैबिनेट सचिवालय ने 7 नवंबर, 2015 को प्रधानमंत्री की मंजूरी से अवगत कराया था।
हलफनामे में केंद्र ने कहा, हम बताना चाहते हैं कि यह कथन (दिनांक 17 फरवरी, 2014 को तत्कालीन वित्त मंत्री का कथन) तत्कालीन केंद्रीय मंत्रिमंडल के किसी निर्णय या सिफारिश पर आधारित नहीं था। दूसरी ओर, कैबिनेट सचिवालय ने 7 नवंबर, 2015 को भारत सरकार (कारोबार नियमावली) 1961 के नियम 12 के संदर्भ में प्रधानमंत्री की मंजूरी से अवगत कराया। इसमें कहा गया है कि इसके बाद रक्षा मंत्रालय के भूतपूर्व सैनिक कल्याण विभाग ने 7 नवंबर, 2015 के संचार के माध्यम से रक्षा बल कर्मियों के लिए ओआरओपी की नीति से अवगत कराया।
इसमें कहा गया है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल की 6 अप्रैल, 2016 की कार्योत्तर मंजूरी भी कैबिनेट सचिवालय द्वारा 7 अप्रैल, 2016 को दी गई थी। केंद्र द्वारा यह स्पष्टीकरण न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा 16 फरवरी को भारतीय पूर्व सैनिक आंदोलन (आईईएसएम) द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया था जिसमें सरकार से यह स्पष्ट करने के लिए कहा गया था कि क्या 17 फरवरी 2014 को तत्कालीन वित्त मंत्री द्वारा दिए गए बयान केंद्रीय मंत्रिमंडल के किसी निर्णय या सिफारिश पर आधारित था।
विस्तार
रक्षा सेवाओं के लिए वन रैंक-वन पेंशन (ओआरओपी) की सैद्धांतिक मंजूरी पर बयान तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने 17 फरवरी, 2014 को तत्कालीन केंद्रीय कैबिनेट की सिफारिश के बिना दिया था। केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को यह जानकारी दी। हालांकि, केंद्र ने ओआरओपी पर लंबित मामले में दायर अपने अतिरिक्त हलफनामे में कहा कि कैबिनेट सचिवालय ने 7 नवंबर, 2015 को प्रधानमंत्री की मंजूरी से अवगत कराया था।
हलफनामे में केंद्र ने कहा, हम बताना चाहते हैं कि यह कथन (दिनांक 17 फरवरी, 2014 को तत्कालीन वित्त मंत्री का कथन) तत्कालीन केंद्रीय मंत्रिमंडल के किसी निर्णय या सिफारिश पर आधारित नहीं था। दूसरी ओर, कैबिनेट सचिवालय ने 7 नवंबर, 2015 को भारत सरकार (कारोबार नियमावली) 1961 के नियम 12 के संदर्भ में प्रधानमंत्री की मंजूरी से अवगत कराया। इसमें कहा गया है कि इसके बाद रक्षा मंत्रालय के भूतपूर्व सैनिक कल्याण विभाग ने 7 नवंबर, 2015 के संचार के माध्यम से रक्षा बल कर्मियों के लिए ओआरओपी की नीति से अवगत कराया।
इसमें कहा गया है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल की 6 अप्रैल, 2016 की कार्योत्तर मंजूरी भी कैबिनेट सचिवालय द्वारा 7 अप्रैल, 2016 को दी गई थी। केंद्र द्वारा यह स्पष्टीकरण न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा 16 फरवरी को भारतीय पूर्व सैनिक आंदोलन (आईईएसएम) द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया था जिसमें सरकार से यह स्पष्ट करने के लिए कहा गया था कि क्या 17 फरवरी 2014 को तत्कालीन वित्त मंत्री द्वारा दिए गए बयान केंद्रीय मंत्रिमंडल के किसी निर्णय या सिफारिश पर आधारित था।
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