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काम तेज: आतंकवाद से चीन जैसे देशों की जासूसी में बदला अमेरिकी खुफिया एजेंसी का एजेंडा

एजेंसी, वाशिंगटन।
Published by: Jeet Kumar
Updated Sun, 12 Dec 2021 05:46 AM IST

सार

सीआईए ने इस एजेंडे के तहत अपने अधिकारियों की ट्रेनिंग व दुनियाभर में उनकी तैनाती पर काम तेज कर दिया है।  

सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : सोशल मीडिया

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आतंकी संगठनों पर अंकुश लगाने वाले अमेरिकी खुफिया तंत्र का फोकस अब चीन व रूस जैसे जटिल देशों की जासूसी पर जा टिका है। अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के एजेंडे पर अब आतंकवाद की जगह चीन व उसके देशों से होने वाला खतरा ऊपर हो गया है।

नई खुफिया नीति के तहत अब जटिल देशों की सरकारों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। यह बिलकुल 9/11 से पहले वाले अमेरिका की नीति को अपनाने जैसा है। जिसमें पारंपरिक एवं शांत कारोबार पर ध्यान दिया जाता था।

9/11 के बाद अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ युद्ध छेड़ा था और इस्लामी आतंक समूहों के खिलाफ सैन्य ऑपरेशनों पर पूरा फोकस रहता था। जबकि अमेरिका की जासूसी एजेंसी रूस व चीन से खुफिया जानकारियां जुटाने में जुटेंगी।

पूर्व अमेरिकी ऑपरेशन अधिकारी थाड ट्रॉय ने बताया कि एजेंसियां फिर से पहले सफल हुई तकनीकों की ओर जा रही हैं और उसी पैटर्न पर आगे की रणनीति बनाई जा रही है।

इसके लिए मंदारिन भाषा समझने और बोलने वाले लोगों और क्षेत्रीय विशेषज्ञों को भर्ती किया जाएगा। यही नहीं सीआईए के शीर्ष खुफिया विश्लेषकों की ट्रेनिंग में व्यापक सुधार किए जाएंगे।

विस्तार

आतंकी संगठनों पर अंकुश लगाने वाले अमेरिकी खुफिया तंत्र का फोकस अब चीन व रूस जैसे जटिल देशों की जासूसी पर जा टिका है। अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के एजेंडे पर अब आतंकवाद की जगह चीन व उसके देशों से होने वाला खतरा ऊपर हो गया है।

नई खुफिया नीति के तहत अब जटिल देशों की सरकारों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। यह बिलकुल 9/11 से पहले वाले अमेरिका की नीति को अपनाने जैसा है। जिसमें पारंपरिक एवं शांत कारोबार पर ध्यान दिया जाता था।

9/11 के बाद अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ युद्ध छेड़ा था और इस्लामी आतंक समूहों के खिलाफ सैन्य ऑपरेशनों पर पूरा फोकस रहता था। जबकि अमेरिका की जासूसी एजेंसी रूस व चीन से खुफिया जानकारियां जुटाने में जुटेंगी।

पूर्व अमेरिकी ऑपरेशन अधिकारी थाड ट्रॉय ने बताया कि एजेंसियां फिर से पहले सफल हुई तकनीकों की ओर जा रही हैं और उसी पैटर्न पर आगे की रणनीति बनाई जा रही है।

इसके लिए मंदारिन भाषा समझने और बोलने वाले लोगों और क्षेत्रीय विशेषज्ञों को भर्ती किया जाएगा। यही नहीं सीआईए के शीर्ष खुफिया विश्लेषकों की ट्रेनिंग में व्यापक सुधार किए जाएंगे।

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